कटनी के प्रगतिशील किसान पारस पटेल ने जलवायु अनुकूल तकनीकों से खेती को दी नई दिशा, टिकाऊ कृषि का बना उदाहरण।
बनहरी गांव में वैज्ञानिक तरीकों से खेती कर बढ़ाया उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य सुधार और जल संरक्षण में रचा कीर्तिमान।
ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:
कटनी जिले के विकासखंड ढीमरखेड़ा के ग्राम बनहरी के किसान पारस पटेल ने अपनी मेहनत, दूरदर्शिता और वैज्ञानिक सोच से पारंपरिक खेती के ढर्रे को बदलते हुए कृषि की एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने जलवायु अनुकूल तकनीकों को अपनाकर अपनी खेती को न केवल अधिक उत्पादन वाली बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ भी बनाया। आज उनकी यह सफलता जिले और प्रदेश के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।
पारस पटेल की कृषि यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उनका संपर्क बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA), जबलपुर के वैज्ञानिकों से हुआ। साथ ही ढीमरखेड़ा तहसील के कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी उन्हें नवीनतम कृषि तकनीकों, जलवायु स्मार्ट खेती, मृदा स्वास्थ्य पुनर्जीवन और आधुनिक यंत्रों के उपयोग के विषय में मार्गदर्शन दिया। इस सहयोग और पारस पटेल की प्रतिबद्धता का परिणाम यह हुआ कि उनकी कृषि पद्धति में व्यापक बदलाव आया।
उन्होंने खेतों में उन्नत बीजों का प्रयोग, संतुलित उर्वरक उपयोग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार पोषण प्रबंधन, सिंचाई के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर प्रणाली और न्यूनतम जुताई जैसी टिकाऊ तकनीकों को अपनाया। इससे न केवल लागत में कमी आई बल्कि पैदावार में भी वृद्धि हुई। खास बात यह रही कि उन्होंने मृदा की उपजाऊ क्षमता को पुनः जीवंत करने के लिए जैविक पदार्थों का प्रयोग किया, जिससे मिट्टी में जैव विविधता और नमी की क्षमता बनी रही।
उनकी खेती की विधियों और फसल की गुणवत्ता को देखकर आसपास के गांवों के कई किसान प्रभावित हुए और अब वे भी जलवायु अनुकूल व वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं।
इस बदलाव के पीछे कृषि विभाग के अधिकारी आर. एस. श्याम (प्रभारी SADO), स्नेहलता कोरछे, निशा सोलंकी, अश्वनी पटेल, प्रकाश अवश्य और BISA के वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार व तकनीकी विशेषज्ञ संजय कुमार की निरंतर भूमिका रही। इन सभी ने समय-समय पर प्रशिक्षण, फील्ड विजिट, फसल निरीक्षण और तकनीकी परामर्श के माध्यम से पारस पटेल की सहायता की।
कटनी जिले के परिप्रेक्ष्य में पारस पटेल की यह सफलता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र अक्सर वर्षा आधारित खेती पर निर्भर रहता है, और जलवायु परिवर्तन के कारण खेती में अनिश्चितता बढ़ती जा रही है। ऐसे में जलवायु-संवेदनशील कृषि उपायों को अपनाना ही भविष्य की सुरक्षित और लाभकारी खेती का रास्ता है।
पारस पटेल का यह कदम न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से सफलता की ओर ले गया है, बल्कि उन्होंने सामुदायिक स्तर पर भी कृषि में नवाचार का संदेश फैलाया है। वे एक किसान के रूप में नहीं, बल्कि परिवर्तन के अग्रदूत के रूप में उभरकर सामने आए हैं।