अहमदाबाद में 'मिनी बांग्लादेश' पर चला बुलडोजर: 8,000 से अधिक अवैध घर जमींदोज।

 अहमदाबाद में 'मिनी बांग्लादेश' पर चला बुलडोजर: 8,000 से अधिक अवैध घर जमींदोज।

चंदोला झील क्षेत्र में प्रशासन की ऐतिहासिक कार्रवाई, हजारों लोगों को हटाया गया, हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज।

कटनी,ग्रामीण खबर mp:

गुजरात के अहमदाबाद शहर में सोमवार को एक ऐतिहासिक प्रशासनिक कार्रवाई को अंजाम दिया गया, जिसने पूरे राज्य और देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। शहर के दक्षिणी भाग में स्थित चंदोला झील के निकट ‘मिनी बांग्लादेश’ के नाम से प्रसिद्ध अवैध बस्ती पर बुलडोजर चलाया गया और 8,200 से अधिक घरों को जमींदोज कर दिया गया। यह घर कथित रूप से बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा अवैध रूप से बसाए गए थे। प्रशासन ने इस कार्रवाई को राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा अतिक्रमण विरोधी अभियान बताया है।

इस अभियान को सफलतापूर्वक चलाने के लिए नगर निगम, पुलिस और राज्य प्रशासन ने महीनों की तैयारी की। कुल 40 जेसीबी मशीनें, 35 हाइड्रॉलिक हिताची क्रेन, और बड़ी संख्या में ट्रक तथा अन्य उपकरण लगाए गए। अभियान की संवेदनशीलता को देखते हुए करीब 3,000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। इसमें रिजर्व पुलिस, राज्य सुरक्षा बल और महिला पुलिसकर्मियों की विशेष टुकड़ियां भी शामिल थीं, जिससे किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

चंदोला झील के निकट वर्षों से बसती इस बस्ती को ‘मिनी बांग्लादेश’ इसीलिए कहा जाता था क्योंकि यहां बड़ी संख्या में कथित रूप से बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत आए लोग रह रहे थे। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन बस्तियों में रहने वाले अधिकांश लोग वैध दस्तावेजों के बिना रह रहे थे और उन्होंने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करके पक्के मकान, दुकानें, और यहां तक कि निजी संस्थान भी खड़े कर लिए थे। कई जगहों पर बिजली, पानी और सीवर की कनेक्शन भी गैरकानूनी रूप से लिए गए थे।

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान की योजना लंबे समय से बन रही थी, लेकिन मानवीय और कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे बार-बार टाला गया। अंततः, राज्य सरकार से अनुमति मिलने और आवश्यक सुरक्षा बलों की व्यवस्था होने के बाद अभियान की शुरुआत की गई।

इस कार्रवाई के खिलाफ कुछ लोगों ने गुजरात उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की, जिसमें दावा किया गया कि बिना पूर्व नोटिस और पुनर्वास के प्रशासन ने जबरन लोगों को हटाया। याचिका में यह भी कहा गया कि गरीब परिवारों को सर्दी-गर्मी-बारिश में खुले में छोड़ देना अमानवीय है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि निर्माण अवैध है और सरकारी भूमि पर है, तो प्रशासन को कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए प्रशासनिक निर्णय को सही ठहराया।

इस बीच, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई किसी विशेष धर्म या समुदाय को निशाना बनाने के लिए नहीं की गई है, बल्कि अवैध अतिक्रमण को हटाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि आने वाले समय में इसी तरह की और भी कार्रवाई की जाएगी, ताकि शहरी विकास योजनाओं में अवरोध न आए।

हालांकि, मानवाधिकार संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि गरीब और वंचित तबके के लोगों को बेघर करना बिना पुनर्वास की योजना के एकतरफा कार्रवाई है। कई संगठनों ने सरकार से यह मांग की है कि विस्थापित परिवारों के लिए अस्थायी शिविर, खाद्य सामग्री और पुनर्वास योजना तत्काल शुरू की जाए।

इस कार्रवाई ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की दिशा में साहसिक कदम बता रहे हैं, तो कुछ इसे मानवीय संकट करार दे रहे हैं।

फिलहाल चंदोला क्षेत्र को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है और पुलिस निगरानी में रखा गया है। नगर निगम ने क्षेत्र को 'संवेदनशील क्षेत्र' घोषित करते हुए आगे किसी भी अतिक्रमण की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।

राज्य सरकार का कहना है कि विकास योजनाओं को सुचारु रूप से लागू करने के लिए अवैध अतिक्रमण को समाप्त करना आवश्यक है। वहीं विपक्ष ने यह मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी निर्दोष व्यक्ति को अन्याय न सहना पड़े।

इस कार्रवाई के सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी प्रभाव आने वाले दिनों में और गहराएंगे। गुजरात का यह बुलडोजर अभियान न केवल राज्य में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अतिक्रमण और अवैध नागरिकता के मुद्दों पर एक नई बहस की शुरुआत कर चुका है।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp
संपर्क सूत्र:9977110735

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