ग्राम पंचायत की रिकवरी ने ली सचिव शंकर लाल पटेल की जान।
10 वर्षों तक वेतन न मिलने और मानसिक तनाव से सचिव की मौत।
ढीमरखेड़ा,कटनी:
तहसील ढीमरखेड़ा के ग्राम पिंडरई में पंचायत सचिव शंकर लाल लोधी का दुखद निधन हो गया। उनकी बेटी कुमारी देवेंदरी पटेल ने बताया कि उनके पिता पिछले कई वर्षों से मानसिक तनाव में थे। पंचायत में हुई कुछ गड़बड़ियों के चलते उन पर ₹5 लाख की रिकवरी का नोटिस था, जिससे वे लगातार चिंता में रहते थे। पहले भी उन्हें दो बार हार्ट अटैक आ चुका था, लेकिन 1 फरवरी 2025 की रात को लगातार तीन बार अटैक आने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली।
10 वर्षों से बिना वेतन, न्याय की मांग:
ग्रामीणों का कहना है कि शंकर लाल लोधी एक ईमानदार और निष्ठावान व्यक्ति थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश राज्य और समाज की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया। लेकिन पिछले 10 वर्षों से उन्हें वेतन नहीं मिला, न ही रिटायरमेंट के बाद उनकी कोई राशि दी गई। इसके बजाय, उन्हें बार-बार रिकवरी नोटिस भेजकर प्रताड़ित किया गया।
भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव का शिकार हुए सचिव:
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ भ्रष्ट नेताओं और सरपंचों द्वारा उन्हें लगातार परेशान किया गया। उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। शासन-प्रशासन ने पहले उनकी सेवा बहाल की, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें उनका हक नहीं मिला।
शासन-प्रशासन से न्याय की गुहार:
ग्रामीणों और परिवारजनों का कहना है कि शंकर लाल लोधी की मृत्यु के लिए वेतन रोकने वाले अधिकारी और पंचायत प्रशासन जिम्मेदार हैं। वे मांग कर रहे हैं कि उनकी पत्नी को तुरंत 10 वर्षों का बकाया वेतन दिया जाए, ताकि वह जीवनयापन कर सकें।
अब पूरा मानव समाज यह पूछ रहा है कि आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या समाजसेवा करने वालों को इसी तरह मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जाएगा? शासन-प्रशासन को इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और ईमानदार कर्मचारी को इस तरह की यातनाएं न सहनी पड़ें।