सिहोरा पहुंचे शिवराज से पूछा 16 नवंबर का वादा कौन निभाएगा?बोले,मुख्यमंत्री से करूंगा बात।

 सिहोरा पहुंचे शिवराज से पूछा 16 नवंबर का वादा कौन निभाएगा?बोले,मुख्यमंत्री से करूंगा बात।

जिला आंदोलन पर फिर उठा सवाल,शिवराज के जवाब से असंतुष्ट सिहोरा वासी,9 दिसंबर से आमरण अनशन की तैयारी।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कटनी आगमन के दौरान सिहोरा में उस समय एक रोचक दृश्य देखने को मिला जब स्थानीय नागरिकों ने उन्हें रोक लिया और पुराने वादे की याद दिलाई। सिहोरा वासियों ने कहा कि 16 नवंबर 2023 को जब सिहोरा जिला आंदोलन चरम पर था, तब उन्होंने स्वयं फोन पर आंदोलनकारियों से बात कर कहा था कि “सरकार बनते ही सिहोरा को जिला बनाया जाएगा।” अब एक वर्ष से अधिक बीत चुका है, सरकार भी बदल गई है, लेकिन वह वादा अब तक अधूरा है।

शिवराज सिंह चौहान जब यह सवाल सुन रहे थे, तो कुछ क्षणों के लिए मौन रहे, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोले — “मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात करूंगा।” उनकी इस प्रतिक्रिया से मौजूद लोगों के चेहरे पर असंतोष झलकने लगा। लोगों का कहना था कि यह वही वादा है जिसने सिहोरा में भाजपा के लिए बड़ा जनसमर्थन जुटाया था, परंतु आज तक उसका कोई परिणाम नहीं निकला।

दरअसल, 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले सिहोरा में जिला बनाए जाने को लेकर व्यापक आंदोलन हुआ था। इस दौरान शहर और ग्रामीण अंचलों से हजारों लोग सड़कों पर उतरे थे। आंदोलन का असर इतना गहरा था कि तत्कालीन विधायक नंदनी मरावी का टिकट तक बदल दिया गया था। लोगों को विश्वास था कि भाजपा सरकार बनने पर सिहोरा को जिला बनाने की घोषणा होगी।

लेकिन सरकार बनने के बाद मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ गया। ना तो नए विधायक ने इस दिशा में कोई पहल की और ना ही प्रदेश नेतृत्व से कोई ठोस जवाब मिला। स्थानीय कार्यकर्ताओं और आंदोलन से जुड़े नेताओं का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री न रहने के बाद यह मुद्दा पूरी तरह उपेक्षित हो गया।

इसी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने एक बार फिर मोर्चा संभाल लिया है। समिति के सदस्यों ने पिछले कुछ महीनों में कई चरणों में आंदोलन चलाया — कभी खून के दीए जलाकर विरोध दर्ज कराया, तो कभी भूमि समाधि सत्याग्रह कर प्रशासन को झकझोरने की कोशिश की। परंतु जब कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, तब समिति ने आंदोलन के तीसरे चरण की घोषणा कर दी है।

समिति के पदाधिकारियों के अनुसार, 9 दिसंबर से आमरण अनशन की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं। समिति का कहना है कि अब यह आंदोलन केवल एक प्रशासनिक मांग नहीं बल्कि सिहोरा की अस्मिता और सम्मान का प्रश्न बन चुका है। नागरिकों का कहना है कि जब तक सिहोरा को जिला नहीं बनाया जाता, तब तक आंदोलन रुकेगा नहीं।

वहीं, सिहोरा के कई वरिष्ठ नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने भी आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है। शहर में चर्चा है कि अगर सरकार ने इस बार भी मांग की अनदेखी की तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।

स्थानीय व्यापारी संगठनों, सामाजिक संस्थाओं और युवाओं ने भी एकजुट होकर इस आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि सिहोरा का भूगोल, जनसंख्या और प्रशासनिक दृष्टि से सभी योग्यताएं जिला बनने की हैं, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह सपना अधूरा रह गया है।

फिलहाल, शिवराज सिंह चौहान के इस बयान ने आंदोलन को एक नई ऊर्जा दे दी है। लोग यह मान रहे हैं कि यदि पूर्व मुख्यमंत्री ने वास्तव में इस मुद्दे को वर्तमान मुख्यमंत्री के सामने उठाया तो एक बार फिर उम्मीद की किरण जगेगी।

परंतु सवाल अब भी वही है — क्या सिहोरा को उसका जिला बनने का अधिकार मिलेगा, या यह वादा भी राजनीति की धूल में गुम हो जाएगा?

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