श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर खितौला में दसलक्षण पर्व का पाँचवाँ दिन उत्तम सत्य धर्म को समर्पित,धार्मिक उत्साह और भक्ति में डूबा नगर।
भैयाजी राजेश गढ़ा वाले ने प्रवचन में कहा – सत्य बोलना, सत्य सोचना और सत्य आचरण करना ही मोक्ष का मार्ग।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP:
श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, खितौला में चल रहे दसलक्षण महापर्व का पाँचवाँ दिन “उत्तम सत्य धर्म” के रूप में बड़े ही श्रद्धा भाव और भक्ति के वातावरण में मनाया गया। पर्व के अंतर्गत सुबह से देर रात तक धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की अविरल श्रृंखला चलती रही, जिसमें नगरवासियों सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए।
प्रातःकाल भगवान पारसनाथ का मंगल अभिषेक, शांतिधारा और पूजा-अर्चना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पूरे मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ भगवान का अभिषेक कर वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया।
इस अवसर पर जबलपुर से पधारे भैयाजी राजेश गढ़ा वाले का सानिध्य नगर के लिए अत्यंत सौभाग्यशाली रहा। उन्होंने अपने प्रेरक प्रवचन में कहा कि सत्य ही धर्म का वास्तविक आधार है। सत्य बोलने, सत्य सोचने और सत्य आचरण करने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। असत्य वचन व्यक्ति को मोह और बंधन में उलझा देता है, जबकि सत्य का पालन आत्मा को परम शांति प्रदान करता है।
भैयाजी ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल मंदिर जाकर पूजन-अर्चना करना ही धर्म नहीं है, बल्कि मंदिर जाने का विचार मात्र भी अनगिनत उपवासों का फल प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि धर्म का सार मन, वचन और कर्म से सत्य का पालन करना है। इस संदेश ने श्रद्धालुओं को गहराई से आत्ममंथन और आत्मसुधार के लिए प्रेरित किया।
सायंकालीन सत्र में जिनवाणी प्रवचन का आयोजन हुआ, जिसमें सत्य धर्म के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रवचन के बाद प्रश्न मंच का आयोजन हुआ, जिसमें पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग-अलग प्रश्न रखे गए। बच्चों ने बड़ी उत्सुकता से प्रश्नों के उत्तर दिए, वहीं महिलाओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। सही उत्तर देने वालों को स्मृति-चिह्न और उपहार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इससे उपस्थित सभी लोगों में उत्साह और आनंद की लहर दौड़ गई।
नवयुवक मंडल खितौला द्वारा प्रस्तुत संगीतमय आरती ने पूरे वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। भक्ति गीतों की गूंज से मंदिर प्रांगण में विशेष ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार हुआ। दीपों की रौशनी और रंग-बिरंगी सजावट ने पूरे प्रांगण को अलौकिक बना दिया।
श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से लेकर देर रात तक मंदिर में बनी रही। महिलाएँ, पुरुष, युवा और बच्चे सभी ने अपने-अपने ढंग से धर्मलाभ प्राप्त किया। अनेक श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से उपवास और विशेष पूजन भी किए। मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं की सेवा हेतु भोजन और जलपान की व्यवस्था भी की गई, जिसमें भक्तगणों ने तन-मन-धन से सहयोग दिया।
मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि दसलक्षण महापर्व के अंतर्गत कल छठा दिन “उत्तम संयम धर्म” के रूप में मनाया जाएगा। इसके लिए विशेष प्रवचन, धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है। समिति ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि अधिक से अधिक संख्या में पहुँचकर इस पर्व का पुण्यलाभ प्राप्त करें।
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