ग्रामपंचायत मुरवारी के उपसरपंच ने कलेक्टर कटनी को सौंपा शिकायत पत्र,सरपंच पर लगाए लाखों की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप।

 ग्रामपंचायत मुरवारी के उपसरपंच ने कलेक्टर कटनी को सौंपा शिकायत पत्र,सरपंच पर लगाए लाखों की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप।

उपसरपंच सुखचैन लोधी ने सरपंच अजय लोधी पर निधियों के दुरुपयोग,फर्जी बिल,मजदूरी भुगतान घोटाले और जीएसटी विसंगतियों सहित कई गंभीर आरोप लगाए।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP।

कटनी जिले की जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्रामपंचायत मुरवारी में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मुद्दा तेजी से गहराता जा रहा है। ग्रामपंचायत मुरवारी के उपसरपंच सुखचैन लोधी ने कलेक्टर कटनी को संबोधित करते हुए जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के मुख्यकार्यपालन अधिकारी को एक विस्तृत लिखित शिकायत पत्र सौंपा है। इस पत्र में उपसरपंच ने ग्रामपंचायत मुरवारी के सरपंच अजय लोधी पर गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों, सार्वजनिक धन के गबन और मनमानी तरीके से किए गए भुगतान के आरोप लगाए हैं।

शिकायत पत्र में उपसरपंच ने विस्तार से उल्लेख किया है कि ग्रामपंचायत मुरवारी को विकास कार्यों के लिए लगभग 70 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से लगभग 37 लाख रुपये सीधे सरपंच अजय लोधी के पुत्र निशांत पटेल को भुगतान किए गए। यह कदम न केवल नियमों के विपरीत है बल्कि म.प्र. पंचायत अधिनियम की धारा 40-A का प्रत्यक्ष उल्लंघन भी है।

मुख्य आरोपों का ब्योरा:

उपसरपंच द्वारा प्रस्तुत शिकायत पत्र में सरपंच अजय लोधी पर लगाए आरोप कई स्तरों पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं।

1.निधियों का दुरुपयोग एवं स्वार्थ संघर्ष– ग्रामपंचायत के विकास कार्यों के लिए स्वीकृत राशि को निजी स्वार्थ में लगाना।

2.मजदूरी भुगतान में अनियमितताएं – श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज होने के बावजूद उनकी मजदूरी उनके खातों में जमा न कर तीसरे व्यक्ति राजेश कुमार लोधी के खाते में राशि ट्रांसफर करना।

3.फर्जी एवं डुप्लीकेट बिल– एक ही योजना और एक ही तिथि पर कई विक्रेताओं से सामान आपूर्ति के समान विवरण वाले बिल प्रस्तुत होना। किराये के भुगतान संबंधी बिलों में अवधि और स्पष्टता का अभाव होना। कई बिल कार्बन कॉपी या डुप्लीकेट होना, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका बढ़ना है।

4.जीएसटी में विसंगतियां– विक्रेताओं द्वारा लिए गए टैक्स का सही तरीके से सरकारी खाते में जमा हुआ या नहीं, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध न होना।

5.सरकारी कर्मचारी को अवैध भुगतान– पटवारी देवलाल को 7500 रुपये की राशि सीधे निजी खाते में ट्रांसफर होना, जबकि सरकारी कर्मचारियों को इस तरह का भुगतान नियमविरुद्ध है।

6.निलंबित सचिव की संलिप्तता– अन्य भ्रष्टाचार मामलों में पहले से निलंबित सचिव का इन वित्तीय लेन-देन में शामिल होना।

उपसरपंच की प्रमुख मांगें:

शिकायत पत्र में उपसरपंच सुखचैन लोधी ने प्रशासन से स्पष्ट मांग की है कि—

सरपंच अजय लोधी के वित्तीय अधिकारों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए।

जनपद अथवा जिला पंचायत की देखरेख में एक स्वतंत्र जांच समिति गठित कर सभी मामलों की जांच कराई जाए।

यदि आरोप सिद्ध होते हैं तो सरपंच को पद से बर्खास्त कर उनके द्वारा गबन की गई राशि की वसूली की जाए।

फर्जी विक्रेताओं पर कठोर कार्रवाई की जाए और जीएसटी से जुड़ी गड़बड़ियों को संबंधित विभाग को भेजकर जांच कराई जाए।

शिकायत से मचा हड़कंप:

ग्रामपंचायत मुरवारी के उपसरपंच द्वारा उठाए गए इस गंभीर मामले ने न केवल पंचायत क्षेत्र में बल्कि पूरे जनपद स्तर पर हलचल मचा दी है। ग्रामीणों में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिरकार सरकारी योजनाओं के लिए स्वीकृत धनराशि का उपयोग किस तरह हो रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस प्रकार की अनियमितताओं पर समय रहते रोक नहीं लगाई गई तो विकास कार्य प्रभावित होंगे और जनता का विश्वास पंचायत व्यवस्था से उठ जाएगा। वहीं प्रशासनिक स्तर पर यह देखना अहम होगा कि जांच किस गति से आगे बढ़ती है और क्या सरपंच के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है या नहीं।

ग्रामपंचायत स्तर पर उठे इस प्रकरण ने एक बार फिर भ्रष्टाचार और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें कलेक्टर कार्यालय और जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा के निर्णय पर टिकी हैं।

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