दिल्ली में राहुल गांधी समेत कई विपक्षी सांसद हिरासत में, SIR और ‘वोट चोरी’ के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग तक मार्च।

 दिल्ली में राहुल गांधी समेत कई विपक्षी सांसद हिरासत में, SIR और ‘वोट चोरी’ के खिलाफ संसद से चुनाव आयोग तक मार्च।

दिल्ली पुलिस ने प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खरगे समेत INDIA ब्लॉक नेताओं को रोका, थोड़ी देर बाद सभी रिहा।

दिल्ली,ग्रामीण खबर MP:

राजधानी दिल्ली में आज का दिन विपक्षी राजनीति और लोकतांत्रिक संघर्ष के लिहाज से बेहद उथल-पुथल भरा रहा। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) और कथित ‘वोट चोरी’ के खिलाफ विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने संसद भवन से चुनाव आयोग तक विशाल विरोध मार्च निकाला। इस मार्च में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले, शिवसेना (उद्धव गुट) के वरिष्ठ नेता संजय राऊत समेत कई विपक्षी दलों के सांसद और नेता शामिल हुए।

सुबह संसद सत्र की कार्यवाही शुरू होने के बाद विपक्षी सांसदों ने संयुक्त रूप से मार्च का ऐलान किया। उनका कहना था कि बिहार में चल रही SIR प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया जा रहा है, जिससे लोकतंत्र की नींव कमजोर होगी। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लोकतंत्र बनाम सत्ता का संघर्ष बताते हुए कहा कि “यह लड़ाई राजनीतिक दलों की नहीं, बल्कि संविधान और आम जनता के अधिकारों की रक्षा की है।”

मार्च शुरू होते ही संसद मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई। दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया था कि इस मार्च के लिए अनुमति नहीं दी गई है। जैसे ही जुलूस संसद भवन से निकला, पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उसे रोकने की कोशिश की। इस दौरान कुछ सांसद बैरिकेड लांघने की कोशिश करते दिखाई दिए। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का बैरिकेड फांदते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इसी दौरान पुलिस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, खरगे और अन्य नेताओं को रोककर हिरासत में ले लिया और उन्हें पुलिस बसों में बिठाकर संसद मार्ग थाने ले जाया गया।

विरोध के दौरान धक्का-मुक्की और नारेबाजी का माहौल गर्माता गया। भारी उमस और भीड़ के बीच तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा बेहोश हो गईं, जिन्हें तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्रदान की गई। प्रदर्शन स्थल पर मौजूद विपक्षी नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक करार दिया और कहा कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मतदाता सूची में बदलाव लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। अखिलेश यादव ने इस अवसर पर कहा कि सरकार जनता से सच छुपाना चाहती है और लोकतांत्रिक विरोध को अपराध की तरह पेश कर रही है।

पुलिस अधिकारियों ने बाद में बयान जारी कर कहा कि यह कार्रवाई केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अनाधिकृत रैली रोकने के लिए की गई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिरासत केवल एहतियातन थी और सभी नेताओं को थोड़ी देर बाद बिना शर्त रिहा कर दिया गया।

इस पूरे घटनाक्रम का असर संसद की कार्यवाही पर भी पड़ा। विपक्षी सांसदों ने सदन में भी जमकर नारेबाजी की और वेल में आकर विरोध दर्ज कराया, जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा दोनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दलों ने ऐलान किया कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे को देशव्यापी आंदोलन का रूप दिया जाएगा और इसे हर राज्य में उठाया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि SIR और मतदाता सूची विवाद अब केवल बिहार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति में आने वाले महीनों का बड़ा मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इसे लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के नाम पर भुनाने की कोशिश करेगा, वहीं सत्ता पक्ष इसे राजनीतिक नौटंकी करार देकर अपने बचाव में उतरेगा।

दिल्ली का यह घटनाक्रम सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव को एक नए मोड़ पर ले आया है। आने वाले समय में इस विवाद के और गहराने की पूरी संभावना है, जिससे देश की राजनीतिक हलचल और तेज हो सकती है।

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