विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर, स्वावलंबी एवं स्वरोजगार की दिशा में सशक्त बनाने की पहल।

 विद्यार्थियों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर, स्वावलंबी एवं स्वरोजगार की दिशा में सशक्त बनाने की पहल।

मुरवारी के शासकीय आरके गौतम विद्यालय में कृषि विशेषज्ञों ने जीरो बजट फार्मिंग, जैविक खाद एवं कीटनाशक बनाने की तकनीक सिखाई।

कटनी,ग्रामीण खबर MP:

प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत कृषि विषय का अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण मुरवारी विकासखंड ढीमरखेड़ा स्थित शासकीय आरके गौतम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य संघ रत्न भेलावे के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ, जिसमें जैविक कृषि विशेषज्ञ रामसुख दुबे ने विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, स्वावलंबी एवं स्वरोजगार स्थापित करने हेतु जैविक खेती की उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण दिया।

कार्यक्रम में जैविक खेती की आवश्यकता और महत्व, रासायनिक खेती से मानव स्वास्थ्य, भूमि एवं पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर विस्तृत चर्चा की गई। विद्यार्थियों को बताया गया कि फसलों के लिए प्राथमिक, द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व किस प्रकार आवश्यक होते हैं और उन्हें जैविक तरीकों से कैसे उपलब्ध कराया जा सकता है।

विशेषज्ञ ने "जीरो बजट फार्मिंग" जैसी कम लागत वाली तकनीक के तहत ग्राम में आसानी से उपलब्ध संसाधनों — कचरा, गोबर, फसल अवशेष, खरपतवार — का उपयोग करके जैविक खाद और कीटनाशक तैयार करने की विधि सिखाई। गोमूत्र, विभिन्न पत्तियों से बने काढ़े, और स्थानीय स्तर पर मिलने वाली वनस्पतियों से तैयार जैविक कीटनाशकों के फायदे और उनकी निर्माण प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया, जिससे पैसों की बचत और बाजार पर निर्भरता में कमी आएगी।

प्रशिक्षण के दौरान विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की जैविक खाद बनाने की तकनीक — गोबर कंपोस्ट, नाडेप टांका खाद, केचुआ खाद, हरी खाद, खली, नीलहरित काई, जैव उर्वरक, बायोगैस स्लरी, सींग खाद — के साथ-साथ शीघ्र खाद बनाने के तरीके जैसे मटका खाद, जीवामृत, घन जीवामृत आदि की जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त, जैविक कीटनाशकों के अंतर्गत गोमूत्र और पांच पत्ती काढ़ा जैसे विकल्पों के निर्माण एवं फसलों में उनके उपयोग की विधियां भी बताई गईं।

विद्यार्थियों को विभिन्न फसलों में लगने वाले कीट एवं रोगों की पहचान करने और उनके नियंत्रण की जैविक विधियों का तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया गया। इस अवसर पर व्यावसायिक शिक्षक महेंद्र दोहरे ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।

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