बंधा गांव में अग्निकांड से प्रभावित किसानों की स्मृति में रोपे गये फलदार वृक्ष, जलवायु संरक्षण व सामाजिक सहानुभूति का दिया संदेश।
भारत कृषक समाज की पहल पर कटहल, जामुन, अमरूद जैसे वृक्षों का वृक्षारोपण; पर्यावरण बचाने के साथ पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त करने की अनूठी पहल।
सिहोरा,ग्रामीण खबर mp:
सिहोरा तहसील अंतर्गत ग्राम बंधा में एक अत्यंत सराहनीय एवं संवेदनशील पहल के अंतर्गत हाल ही में अग्निकांड की पीड़ा झेल चुके किसानों की स्मृति में फलदार वृक्षों का वृहद स्तर पर रोपण किया गया। भारत कृषक समाज द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कटहल, जामुन, अमरूद सहित कई फलदार पौधे रोपे गये। यह केवल पर्यावरण संरक्षण का एक प्रयास नहीं था, बल्कि पीड़ितों के प्रति सामाजिक सहानुभूति की अभिव्यक्ति भी थी, जो ग्रामीण समाज को भावनात्मक रूप से जोड़ने वाली मिसाल बन गई।
इस कार्यक्रम का नेतृत्व भारत कृषक समाज के वरिष्ठ जिला कार्यकारिणी सदस्य, सेवा निवृत्त मुख्य प्रबंधक स्टेट बैंक एवं प्रगतिशील कृषक ग्राम भर्रा (झगरा) निवासी रामकिसन पटेल ने किया। उन्होंने वृक्ष प्रदान करते हुए उपस्थित ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान कृषि व्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि यदि औसत तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है, तो कृषि उत्पादन में 10 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। इस स्थिति को संतुलित करने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक है। साथ ही उन्होंने ग्रामीणों को अपने खेतों व बस्तियों के आसपास अधिकाधिक वृक्ष लगाने का आग्रह भी किया।
कार्यक्रम में ग्राम के वरिष्ठ कृषक मुकेश सिंह गौर का सक्रिय मार्गदर्शन रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत कृषक समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजी. के. के. अग्रवाल ने वृक्षारोपण को बच्चों के पालन-पोषण के समान बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल वृक्ष लगाना पर्याप्त नहीं, बल्कि उसकी नियमित देखभाल और सुरक्षा भी उतनी ही आवश्यक है। उन्होंने स्वयं की ओर से ट्री गार्ड की व्यवस्था कराई और एक वर्ष तक देखरेख हेतु आर्थिक सहायता भी प्रदान की। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीणों से इन वृक्षों की रक्षा व संवर्धन का संकल्प भी लिया, जिसे ग्रामीणों ने सहर्ष स्वीकार किया।
इस मौके पर सुभाष चंद्रा एवं रूपेंद्र पटेल ने जानकारी दी कि विगत अप्रैल माह में बंधा गांव भीषण अग्निकांड का शिकार हुआ था, जिसमें सैकड़ों किसानों की वर्षों की मेहनत—गेहूं की खड़ी फसल—कुछ ही घंटों में जलकर राख हो गई थी। इस प्राकृतिक विपदा के बाद भारत कृषक समाज द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इस गांव में पर्यावरणीय चेतना एवं सामाजिक पुनर्निर्माण के प्रतीक स्वरूप फलदार वृक्षों का रोपण किया जाए। यह पहल केवल एक गांव तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसे जिले के अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा।
कार्यक्रम में विशेष रूप से समाजसेवी प्रमोद मरवाहा, रामगोपाल पटेल, अनिल चिले, रामेश्वर अवस्थी, किसान सेवा सेना के जितेंद्र देसी, सुरेश कुर्मी, महेन्द्र कुर्मी, अंकित पटेल, राजेश पटेल, महेन्द्र पटेल सहित अन्य स्थानीय कृषक, सामाजिक कार्यकर्ता, युवा किसान एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित रहे। इस सामूहिक सहभागिता ने न केवल पर्यावरणीय सुधार की दिशा में ठोस कदम रखा, बल्कि ग्रामीण समाज में सहअस्तित्व, सहानुभूति और सहभागिता की भावना को भी दृढ़ किया।
वृक्षारोपण के इस अनूठे कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी योजनाओं या नीतियों का विषय नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। साथ ही, यह आयोजन भविष्य की पीढ़ियों को यह सिखाने का माध्यम बना कि हर विपत्ति को सेवा, सहानुभूति और सृजन की भावना से सकारात्मक दिशा में बदला जा सकता है।
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