हर्रई में आदिवासी युवक के साथ अमानवीयता, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा।
ढाबा संचालक और उसके साथियों पर मारपीट, मुंह पर गुटखा थूकने और पेशाब पिलाने की कोशिश का आरोप; तीन गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने किया चक्काजाम।
छिंदवाड़ा,ग्रामीण खबर mp:
हर्रई तहसील के अंतर्गत तुइयापानी गांव में एक आदिवासी युवक के साथ घटित अमानवीयता की घटना ने समूचे क्षेत्र को आक्रोशित कर दिया है। पीड़ित युवक ने आरोप लगाया है कि ढाबा संचालक और उसके दो साथियों ने पहले उसे बुरी तरह पीटा, फिर उसके मुंह में गुटखा थूका और उसे पेशाब पिलाने की कोशिश की। यह घटना न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाली है, बल्कि क्षेत्र में कानून-व्यवस्था और सामाजिक समरसता पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते शनिवार की शाम आदिवासी युवक का स्थानीय ढाबा संचालक से किसी विवाद को लेकर झगड़ा हो गया था। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि युवक के साथ मारपीट की गई। पीड़ित युवक किसी तरह जान बचाकर भागा और थाने पहुंचकर घटना की शिकायत दर्ज करवाई। उसकी शिकायत में आरोप है कि मारपीट के बाद आरोपियों ने उसे अपमानित करने के उद्देश्य से उसके मुंह में गुटखा थूका और जबरन पेशाब पिलाने की कोशिश की।
इस शर्मनाक घटना की खबर जब गांव में फैली तो तुइयापानी सहित आसपास के दो अन्य गांवों के लोग भारी संख्या में एकत्रित हो गए। लोगों ने आक्रोश प्रकट करते हुए हर्रई-नरसिंहपुर मुख्य मार्ग पर चक्का जाम कर दिया। सैकड़ों की संख्या में मौजूद ग्रामीणों ने नारेबाजी करते हुए प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की।
घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और आक्रोशित ग्रामीणों को समझाइश दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ढाबा संचालक राजा चौकसे को गिरफ्तार कर लिया, जबकि अन्य दो आरोपितों की तलाश की जा रही है। प्रशासन द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम समाप्त किया, लेकिन उनके चेहरे पर अभी भी गुस्सा और पीड़ा साफ झलक रही थी।
पुलिस ने शुरू में दर्ज की गई प्राथमिकी में केवल मारपीट का उल्लेख किया था, लेकिन जब पीड़ित और ग्रामीणों ने अमानवीयता के अन्य आरोप सामने रखे, तो जांच का दायरा विस्तृत किया गया। पुलिस अधीक्षक द्वारा विशेष टीम गठित कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया है। पुलिस के अनुसार, मामले में एससी/एसटी एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं को भी जोड़ा जा रहा है।
इस घटना को लेकर राजनीतिक माहौल भी गर्म हो गया है। कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेताओं ने जिला प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि आदिवासी समाज के साथ निरंतर अन्याय हो रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। वहीं भाजपा की ओर से कहा गया कि घटना निंदनीय है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को शीघ्र सजा देने की मांग की है।
पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आदिवासी समाज आज भी सामाजिक अपमान और हिंसा का शिकार हो रहा है। पीड़ित परिवार अब भी भय और सदमे की स्थिति में है। उन्होंने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है, हालांकि पुलिस ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है।
यह घटना केवल एक व्यक्ति के साथ घटित अन्याय नहीं है, बल्कि यह पूरे आदिवासी समाज की गरिमा और आत्मसम्मान पर हमला है। ऐसी घटनाएं बताती हैं कि समाज में बराबरी और सम्मान की जो बातें की जाती हैं, वे आज भी वास्तविकता से कोसों दूर हैं।
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह केवल सजा देने का नहीं, बल्कि चेतना और चेतावनी देने का समय है—कि अब आदिवासी समाज के साथ किसी भी प्रकार का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वे चाहते हैं कि इस मामले में जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल कर न्यायिक प्रक्रिया आरंभ की जाए, ताकि पीड़ित को न्याय मिले और दोषियों को कड़ी सजा।
स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि यह मामला आने वाले समय में जनआंदोलन का रूप भी ले सकता है यदि शासन-प्रशासन द्वारा उचित कार्यवाही में कोई कोताही बरती गई। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शासन किस गति और गंभीरता से इस मामले को आगे बढ़ाता है।
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