प्रशासन मूक क्यों है: वार्ड 3 में शासकीय कुएं पर समिति संचालक ने बना लिया मकान।
नगर में धर्म की आड़ में कब्जाधारी सक्रिय, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल।
गंजबासौदा,ग्रामीण खबर mp:
शहर में धीरे-धीरे एक नया चलन बनता जा रहा है, जिसमें धार्मिक भावनाओं और जनसेवा की आड़ में लोग निजी स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। मंदिरों के पास भूमि पर कब्जा करना, समिति के नाम पर चंदा जुटाना, और फिर इन पैसों का प्रयोग निजी निर्माण कार्यों में करना अब आम होता जा रहा है।
ऐसा ही एक मामला गंजबासौदा के वार्ड क्रमांक 3 में सामने आया है, जहां एक समिति संचालक ने मंदिर के पास स्थित शासकीय कुएं के ऊपर पक्का निर्माण कर लिया है। जानकारी के अनुसार, उक्त व्यक्ति ने कुएं को पूरी तरह ढंककर उस पर कमरा बना लिया है और इस निर्माण को वर्षों से वैध रूप में चलाया जा रहा है, जबकि यह सीधे तौर पर शासकीय संपत्ति पर अतिक्रमण है।
हैरानी की बात यह है कि यह पूरा प्रकरण नगर पालिका, वार्ड पार्षद, राजस्व विभाग, एसडीएम, और स्थानीय प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यहां तक कि पक्ष और विपक्ष के नेताओं की चुप्पी इस बात को बल देती है कि या तो उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, या फिर जानकारी होते हुए भी राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के कारण इस पर आंख मूंद ली गई है।
कुएं जैसी पारंपरिक धरोहर, जिसे भारतवर्ष में सदियों से पूजनीय माना गया है, उसके ऊपर पक्का मकान बना देना न सिर्फ सामाजिक दृष्टि से गलत है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का भी हनन है। नगर के वरिष्ठ नागरिकों और धार्मिक संगठनों का कहना है कि कुआं केवल जल का स्रोत नहीं होता, बल्कि वह हमारी संस्कृति और लोक परंपरा का प्रतीक भी होता है। ऐसे में किसी भी धार्मिक या सामाजिक व्यक्ति द्वारा उस पर कब्जा करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह दर्शाता है कि उसका उद्देश्य सेवा नहीं, बल्कि संपत्ति और पैसे का लाभ उठाना है।
नगरवासियों का कहना है कि इस तरह की समितियां अब सेवा के बजाय धन संग्रह और संपत्ति कब्जाने का जरिया बनती जा रही हैं। जिस समिति की स्थापना कभी धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए की गई थी, उसी समिति के बैनर तले अब लाखों रुपये का संग्रह किया जा रहा है और उसका कोई पारदर्शी लेखा-जोखा सार्वजनिक नहीं है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस समिति द्वारा अब तक लाखों रुपये की राशि विभिन्न माध्यमों से एकत्रित की जा चुकी है, और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। नागरिकों ने सवाल उठाया है कि समिति के आय-व्यय का लेखा-जोखा कहां है, इसका ऑडिट कब हुआ, और इसका लाभ किसे मिल रहा है?
इस गंभीर प्रकरण पर नगरवासियों ने गहरी नाराजगी जताई है और कलेक्टर महोदय से मांग की है कि वार्ड क्रमांक 3 में स्थित शासकीय कुएं को तत्काल प्रभाव से कब्जा मुक्त कराया जाए और उक्त समिति की वित्तीय गतिविधियों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस प्रकार की कोई भी समिति शासकीय या सार्वजनिक स्थल पर कब्जा न कर सके।
यह मुद्दा न केवल एक कुएं पर कब्जे का है, बल्कि यह एक संकेत है कि किस प्रकार धर्म, सेवा और जनकल्याण की आड़ में निजी स्वार्थ, सत्ता संरक्षण और प्रशासनिक चुप्पी के सहारे सार्वजनिक संसाधनों का शोषण हो रहा है। यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो ऐसे अतिक्रमण और भ्रष्टाचार की घटनाएं शहर के हर कोने में देखने को मिलेंगी।
ग्रामीण खबर एमपी
विदिशा जिला सह ब्यूरो चीफ–मायावती अहिरवार