16 अगस्त को वीरांगना अवंती बाई लोधी जयंती पर निकलेगी विशाल बाइक रैली।
लोधी क्रांति सेना एवं ग्रामीणों की बैठक में तय हुआ रैली का मार्ग, युवाओं और जनप्रतिनिधियों से की गई सहभागिता की अपील।
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
ढीमरखेड़ा जनपद की ऐतिहासिक भूमि एक बार फिर वीरता और स्वाभिमान की प्रतीक बनकर उभरने जा रही है। ग्राम पिंडरई में लोधी क्रांति सेना संगठन एवं ग्रामवासियों द्वारा वीरांगना अवंती बाई लोधी की जयंती के उपलक्ष्य में एक महत्त्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें 16 अगस्त को भव्य बाइक रैली निकालने का निर्णय लिया गया। यह रैली सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाली रानी अवंती बाई लोधी को नमन करने का जनआंदोलन बनने जा रहा है।
बैठक का शुभारंभ वीरांगना के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर वक्ताओं ने रानी की वीरता, बलिदान एवं 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया और आने वाली पीढ़ियों तक उनके विचारों को पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
रैली का शुभारंभ 16 अगस्त की सुबह ग्राम पिंडरई से होगा, जो क्रमशः ढीमरखेड़ा, देवरी, सनकुई, मुरवारी, गनियारी, दशरमन होते हुए विभिन्न पड़ावों पर वीरांगना की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करते हुए आगे बढ़ेगी। अंतिम पड़ाव सुनारखेड़ा, कछारगाँव होगा, जहां रानी अवंती बाई लोधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर रैली का समापन किया जाएगा।
यह बाइक रैली न केवल सामाजिक जागरूकता का माध्यम बनेगी बल्कि युवाओं में इतिहास और आत्मगौरव की भावना को जागृत करेगी। आयोजन समिति द्वारा क्षेत्र के समस्त सामाजिक संगठनों, ग्राम पंचायतों, स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थियों, युवाओं एवं महिलाओं से रैली में सम्मिलित होने की अपील की गई है।
संगठन ने बताया कि रैली के मार्ग में पड़ने वाले सभी गांवों में स्वागत द्वार बनाए जाएंगे, ग्रामीणों द्वारा जलपान की व्यवस्था की जाएगी तथा हर पड़ाव पर वीरांगना को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। यह रैली पूर्णतः गैर-राजनैतिक होगी और इसका उद्देश्य सामाजिक एकता, महिला सशक्तिकरण और इतिहास के गौरवशाली अध्याय को जनमानस तक पहुंचाना है।
वीरांगना अवंती बाई लोधी का जीवन परिचय:
वीरांगना रानी अवंती बाई लोधी भारत के 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वह महान वीरांगना थीं जिन्होंने अपने शौर्य, साहस और स्वाभिमान से अंग्रेजों की नींव हिला दी थी। उनका जन्म 16 अगस्त 1831 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के मनकेड़ी गांव में हुआ था। वे डिंडोरी (तत्कालीन रामगढ़) रियासत की महारानी थीं।
1851 में पति विक्रमादित्य सिंह के निधन के पश्चात उन्होंने शासनभार संभाला और 1857 में जब अंग्रेजों ने उनके राज्य में हस्तक्षेप करना चाहा, तब रानी ने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध का बिगुल फूंक दिया। उनके नेतृत्व में हज़ारों ग्रामीणों ने हथियार उठाए। 20 मार्च 1858 को जब अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया, तब रानी ने आत्मबलिदान देना उचित समझा, लेकिन दुश्मनों के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं किया। उनकी यह वीरगाथा आज भी लोधी समाज सहित सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
मीटिंग में उपस्थित प्रमुख कार्यकर्ता एवं समाजसेवी:
इंद्र कुमार लोधी, प्रहलाद सिंह लोधी, भारत सिंह लोधी, महेंद्र सिंह लोधी, जय करण लोधी, प्रदीप लोधी, राजेश लोधी, बलेश लोधी, छदामी लाल लोधी, पुसउ राम लोधी, संदीप लोधी, मुकदम लोधी, राम भाई लोधी, भैया लोधी, सुखनन्दी लोधी, बृजेश लोधी, दुर्जन लोधी, छकोड़ी लाल बर्मन एवं दयानंद चक्रवर्ती सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के उद्देश्य:
वीरांगना के बलिदान की स्मृति को जन-जन तक पहुंचाना
समाज में महिला सशक्तिकरण का संदेश देना
युवाओं को इतिहास से जोड़कर राष्ट्रीय चेतना को जागृत करना
सामाजिक एकता व समरसता को बढ़ावा देना
प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp
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