राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सब जेल सिहोरा में हुआ व्यापक स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन।
71 बंदियों की हुई बीएमआई, बीपी, पल्स, सीबीनाट सहित समग्र जांच, यकृत देखभाल और टीबी से बचाव की जानकारी प्रदान की गई।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP:
सिविल अस्पताल सिहोरा की मेडिकल टीम द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत चल रहे स्वस्थ यकृत मिशन एवं 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान के तहत सिहोरा स्थित उप जेल परिसर में एक विशेष स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह आयोजन डॉ. राघवेन्द्र त्रिपाठी के मार्गदर्शन में किया गया, जिसका उद्देश्य जेल में निरुद्ध बंदियों की नियमित स्वास्थ्य निगरानी और गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान करना था।
इस विशेष शिविर के दौरान उप जेल सिहोरा में निरुद्ध सभी 71 बंदियों का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स), ब्लड प्रेशर (बीपी), नाड़ी गति (पल्स), कमर की माप, ऊंचाई, वजन, स्पुटम (बलगम) की जांच तथा सीबीनाट (CBNAAT) टेस्ट किया गया। इन परीक्षणों के माध्यम से टीबी जैसी गंभीर संक्रमणकारी बीमारी की पहचान की जा रही है, जोकि बंद और भीड़भाड़ वाले स्थानों में तेजी से फैल सकती है।
स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ सभी बंदियों को यकृत यानी लीवर की देखभाल के उपाय, संतुलित आहार, जीवनशैली सुधार और टीबी से बचाव के लिए जरूरी सावधानियों की जानकारी दी गई। उन्हें यह भी बताया गया कि कैसे प्रारंभिक लक्षणों की पहचान कर समय रहते चिकित्सा लेना जरूरी होता है ताकि किसी भी बड़ी बीमारी को पनपने से रोका जा सके।
इस महत्वपूर्ण सेवा कार्य में मेडिकल टीम के सदस्यों – विनोद कोरी, मनोज गुप्ता, पंचवटी वर्मा, उमा पटेल एवं देवेंद्र राजपूत ने सक्रिय भागीदारी निभाई और अपने समर्पण से इस शिविर को सफल बनाया। टीम के सभी सदस्यों द्वारा गहनता से परीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की गई एवं संदिग्ध मामलों की आगे की जांच के लिए संस्तुति भी की गई।
शिविर के समापन पर जेलर दिलीप नायक ने समस्त स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी गतिविधियाँ न केवल बंदियों के स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक हैं, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने की दिशा में सहायक सिद्ध होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस प्रकार के शिविरों की आवृत्ति बढ़ाई जाएगी जिससे जेल परिसर में निरंतर स्वास्थ्य जागरूकता बनी रहे।
यह शिविर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त पहल का उत्कृष्ट उदाहरण रहा, जिससे बंदियों को न केवल चिकित्सा सुविधा प्राप्त हुई बल्कि उन्हें जीवनशैली सुधारने की प्रेरणा भी मिली। यह शिविर समाज के उन वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने का उदाहरण है जो अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं।