सागर सांसद लता वानखेड़े ने पचमढ़ी में भगवान जटाशंकर महादेव के दिव्य धाम में किए दर्शन, देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए की प्रार्थना।

 सागर सांसद लता वानखेड़े ने पचमढ़ी में भगवान जटाशंकर महादेव के दिव्य धाम में किए दर्शन, देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए की प्रार्थना।

सांसद लता वानखेड़े के साथ आध्यात्मिक यात्रा में भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, विधायक ललिता यादव और सांसद भारती पारधी भी हुए शामिल।

पचमढ़ी,ग्रामीण खबर mp:

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की सुरम्य वादियों में बसे पर्यटन नगरी पचमढ़ी स्थित प्राचीन और पौराणिक तीर्थस्थल भगवान श्री जटाशंकर महादेव मंदिर में सागर लोकसभा सांसद लता वानखेड़े ने श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना कर दर्शन किए। इस आध्यात्मिक यात्रा के दौरान उन्होंने भगवान भोलेनाथ से देशवासियों और प्रदेशवासियों के कल्याण, सुख, समृद्धि, शांति तथा सद्भाव की कामना की।

जटाशंकर महादेव मंदिर पचमढ़ी की प्रमुख धार्मिक धरोहरों में से एक है, जो प्राकृतिक गुफा के भीतर बहती शीतल जलधारा और स्वयंभू शिवलिंग के कारण विशेष आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस पावन स्थल की महिमा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर वर्ष हजारों श्रद्धालु यहां आकर जलाभिषेक करते हैं।

सांसद लता वानखेड़े की इस धार्मिक यात्रा में भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र की विधायक ललिता यादव एवं खरगोन संसदीय क्षेत्र की सांसद भारती पारधी भी सम्मिलित हुए। इन सभी जनप्रतिनिधियों ने भी श्रद्धाभाव से बाबा जटाशंकर के चरणों में नमन करते हुए देश के उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना की।

इस अवसर पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने मंदिर प्रांगण में पूजा कर धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया तथा पचमढ़ी की धार्मिक विरासत को संरक्षित रखने के संकल्प को दोहराया। पवित्र वातावरण में संपन्न इस आध्यात्मिक यात्रा ने जनप्रतिनिधियों के जनसेवा के साथ-साथ आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति भी उनके जुड़ाव को उजागर किया।

पुजारीजनों और स्थानीय श्रद्धालुओं ने भी सांसदगणों का गर्मजोशी से स्वागत किया और मंदिर के इतिहास एवं महत्व की जानकारी दी। बताया गया कि यह स्थल भगवान शंकर की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध है, जहां त्रेतायुग में ऋषियों-मुनियों ने भी तपस्या की थी। प्राकृतिक गुफा के भीतर बहने वाली जलधारा को भगवान शंकर की जटाओं से निकली हुई धारा माना जाता है, इसलिए इस स्थान को 'जटाशंकर' नाम प्राप्त हुआ है।

मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी सांसदों के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इस तरह की यात्राओं को सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक जागरूकता के लिए प्रेरणादायक बताया। कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों ने परिसर की स्वच्छता बनाए रखने का भी आह्वान किया।

यह धार्मिक यात्रा केवल एक दर्शन यात्रा न होकर जनसेवकों के आध्यात्मिक चिंतन और जनता से गहरे भावनात्मक जुड़ाव का प्रमाण बन गई। इससे जनता को यह संदेश भी मिला कि विकास कार्यों के साथ-साथ धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का संरक्षण भी जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता है।


ग्रामीण खबर एमपी विशेष संवाददाता हाकम सिंह रघुवंशी

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