पाँच लाख की लागत से होगा बड़ी माई मंदिर परिसर में छत, गिरिल और गेट लगाने का भव्य निर्माण।
जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक ने किया भूमि पूजन, ग्रामवासियों व पंच-सरपंच की उपस्थिति में धार्मिक भावनाओं से परिपूर्ण आयोजन।
उमरिया पान,ग्रामीण खबर mp:
बड़ी माई मंदिर, जो बस्ती के आस्था और श्रद्धा का केंद्र बिंदु है, वहां अब भक्तों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। वर्षों से बड़ी माई के जवारे इसी मंदिर परिसर में बोये जाते हैं और हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आकर मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। इस धार्मिक स्थल की गरिमा को और अधिक सुसज्जित व संरक्षित बनाने की दिशा में अब एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
जनपद पंचायत की पंद्रहवें वित्त फंड योजना के अंतर्गत कुल पाँच लाख रुपये की लागत से मंदिर परिसर में छत निर्माण, गिरिल लगवाने तथा मुख्य द्वार पर गेट की स्थापना का कार्य स्वीकृत किया गया है। इस निर्माण कार्य का शुभारंभ विधिवत भूमि पूजन के साथ किया गया, जिसमें जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक ने पूजा-अर्चना कर कार्य का श्रीगणेश किया।
भूमिपूजन कार्यक्रम के दौरान समस्त ग्रामवासी व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। विशेष रूप से सरपंच अटल ब्योहार, उपसरपंच जागेश्वर प्रसाद (धन्नू) सोनी, पंच गोरे लाल चौरसिया (पंडा बड़ी माई), विनोद चौरसिया, आदित्य ब्योहार, सचिव सतीश गौतम, सह सचिव अतुल चौरसिया, पंच जगमोहन चौरसिया, पंच बड्डा गुप्ता, पंच मुकेश बर्मन, पंच सूरज आदिवासी, शिवशंकर बर्मन, शिवकुमार चौरसिया, अनिल सोनी सहित अन्य अनेक जनप्रतिनिधि व नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
जनपद सदस्य शैलेन्द्र पौराणिक ने इस अवसर पर कहा कि उमरिया पान में स्थित धार्मिक स्थलों के विकास के लिए वे पूर्ण रूप से संकल्पित हैं। बड़ी माई मंदिर जैसे आस्था स्थल को सुविधायुक्त बनाना उनकी प्राथमिकता है, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल सुरक्षा मिल सके, बल्कि मौसम की विपरीत परिस्थितियों में भी वे सहजता से पूजा-पाठ कर सकें।
स्थानीय नागरिकों ने इस विकास कार्य को लेकर प्रसन्नता व्यक्त की और जनपद सदस्य के प्रति आभार जताया। उनका कहना था कि वर्षों से मंदिर परिसर में छत और गेट की आवश्यकता महसूस की जा रही थी, जो अब जाकर पूरी हो रही है। गेट और गिरिल से जहां सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं छत निर्माण से श्रद्धालुओं को गर्मी, बारिश और धूप से भी राहत मिलेगी।
ग्रामवासियों ने यह भी कहा कि धार्मिक आयोजन अब और व्यवस्थित ढंग से होंगे और क्षेत्र की पहचान को एक नई मजबूती मिलेगी। इस कार्य से न केवल मंदिर का स्वरूप निखरेगा, बल्कि आसपास की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी एक दिशा मिलेगी।