रतलाम में मुख्यमंत्री काफिले की 19 गाड़ियां अचानक बंद, डीज़ल में पानी की मिलावट का मामला उजागर।
डोसीगांव पेट्रोल पंप से डीज़ल भरने के बाद बंद हुईं वाहनें, प्रशासन ने पंप सील कर सैंपल जांच के लिए भेजे।
रतलाम,ग्रामीण खबर mp:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जब शुक्रवार की सुबह लगभग 9:45 बजे रतलाम में आयोजित इंडस्ट्रियल कांक्लेव में भाग लेने जा रहे थे, तब अचानक एक अप्रत्याशित घटना सामने आई। मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल लगभग 19 सरकारी वाहन एक-एक कर रास्ते में बंद हो गए, जिससे पूरे सुरक्षा अमले में अफरा-तफरी मच गई। काफिला जब डोसीगांव क्षेत्र स्थित एक पेट्रोल पंप पर रुका था, तब सभी गाड़ियों में डीज़ल भरवाया गया था। वहीं से कुछ किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह घटनाक्रम शुरू हुआ।
शुरुआत में जब एक या दो वाहन बंद हुए, तो इसे सामान्य तकनीकी खराबी माना गया, लेकिन जैसे-जैसे सभी गाड़ियां रुकती गईं, मामला गंभीर होता गया। तत्काल तकनीकी विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंची और जांच की गई। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि डीज़ल में भारी मात्रा में पानी की मिलावट है। वाहन चालकों एवं तकनीकी स्टाफ द्वारा टैंक से निकाले गए डीज़ल की जांच में स्पष्ट रूप से पानी दिखाई दिया। कई वाहनों के डीज़ल टैंक से लगभग 40 से 50 प्रतिशत पानी निकला।
घटना के बाद जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया। मुख्यमंत्री को दूसरी गाड़ियों की व्यवस्था कर कार्यक्रम स्थल तक पहुँचाया गया। वहीं प्रशासन की टीम ने तत्परता दिखाते हुए उक्त पेट्रोल पंप को तुरंत प्रभाव से सील कर दिया। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा मौके से डीज़ल के नमूने लेकर उन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। साथ ही पेट्रोल पंप संचालक से विस्तृत जानकारी मांगी गई है।
यह घटना केवल एक तकनीकी या ईंधन की खराबी नहीं मानी जा रही, बल्कि एक संवेदनशील सुरक्षा चूक के रूप में भी देखी जा रही है। एक तरफ मुख्यमंत्री की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर रहती है, वहीं इस प्रकार की लापरवाही कई सवाल खड़े कर रही है। विपक्ष ने इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री की यात्रा से पूर्व ईंधन की गुणवत्ता की जांच नहीं की गई, जो एक घातक लापरवाही है।
प्रशासन ने मामले की उच्चस्तरीय जांच प्रारंभ कर दी है। दोषी पाए जाने पर पेट्रोल पंप के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही करने के संकेत दिए गए हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु पेट्रोल पंपों पर निगरानी प्रणाली और सख्त जांच व्यवस्था लागू की जाएगी।
बताया जा रहा है कि यही डीज़ल एक अन्य निजी ट्रक में भी भरा गया था, जो पंप से निकलते ही कुछ किलोमीटर चलकर अचानक बंद हो गया। इस वाहन के टैंक से भी लगभग आधा डीज़ल पानी निकला। इस आधार पर प्रशासन को मिलावट की पुष्टि हुई। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि यह मिलावट जानबूझकर की गई या लापरवाही का परिणाम है।
घटना के पश्चात मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की और स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसी घटनाएं राज्य की छवि को नुकसान पहुँचाती हैं तथा आम नागरिकों में भी असुरक्षा का भाव उत्पन्न करती हैं। मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि दोषी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा।
यह घटना मध्यप्रदेश प्रशासन एवं ईंधन आपूर्ति तंत्र के लिए एक चेतावनी स्वरूप है। डीज़ल-पेट्रोल जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों में मिलावट से न केवल जान-माल का खतरा उत्पन्न होता है, बल्कि महत्वपूर्ण सरकारी कार्यों और जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और तत्परता से कार्य करता है तथा दोषियों को क्या सजा मिलती है।