नेगवां गांव के पास मजदूरों से भरा पिकअप अनियंत्रित होकर पलटा, उड़द की कटाई के लिए जा रहे 36 में से 13 मजदूर घायल।
सनकुई से पड़रिया कला जा रहे थे मजदूर, उमरियापान थाना क्षेत्र की घटना, सभी घायलों का अस्पताल में कराया गया प्राथमिक उपचार।
उमरिया पान,ग्रामीण खबर mp:
उमरियापान थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नेगवां गांव के पास शुक्रवार सुबह एक गंभीर सड़क हादसे में 13 मजदूर घायल हो गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब उड़द की कटाई के लिए मजदूरों को लेकर जा रहा पिकअप वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया। पिकअप वाहन में कुल 36 मजदूर सवार थे। यह वाहन सनकुई गांव से चलकर पड़रिया कला गांव (थाना सिहोरा) की ओर जा रहा था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जैसे ही पिकअप नेगवां गांव के मोड़ पर पहुंचा, अचानक चालक का वाहन पर नियंत्रण छूट गया। तेज रफ्तार में चल रही पिकअप सड़क से फिसलकर पलट गई। जोरदार झटका लगने के साथ ही चीख-पुकार मच गई और वाहन में सवार मजदूरों में अफरा-तफरी फैल गई। आसपास के ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी गई।
हादसे की जानकारी मिलते ही उमरियापान थाना प्रभारी दिनेश तिवारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। घायलों को तत्काल 108 एंबुलेंस और अन्य वाहनों की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उमरियापान पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद कुछ को छुट्टी दे दी गई और कुछ को निगरानी में रखा गया है। गनीमत यह रही कि किसी को जानलेवा चोट नहीं लगी, लेकिन घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया।
घायलों में जिन मजदूरों की पहचान हुई है, वे सभी सनकुई गांव के निवासी हैं। इनमें सुशीला कोल (45), सुखवंती कोल (50), नेहा कोल (17), मुन्ना कोल (18), विनीता कोल (20), केतकी बाई (28), संजो बाई (40), गौरा बाई (25), रविंद्र कोल (23), संजना कोल (16), मोहनी कोल (13), संतोष कोल (27) और मोनू कोल (22) शामिल हैं। इन सभी को हल्की से मध्यम श्रेणी की चोटें आई हैं, लेकिन स्थिति सामान्य बताई जा रही है।
पुलिस ने पिकअप वाहन को जब्त कर थाने में खड़ा कर दिया है और चालक के विरुद्ध लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने सहित संबंधित धाराओं में प्रकरण दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी गई है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए प्रशासन से मांग की है कि पिकअप और लोडिंग वाहनों में सवारी ढोने पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाए। प्रशासन द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाने के बावजूद इस प्रकार की लापरवाही थम
ती नहीं दिख रही है।
लोडर वाहनों को केवल सामग्री परिवहन के लिए अधिकृत किया गया है, लेकिन कम किराए और मजदूरों की विवशता का फायदा उठाकर वाहन मालिक मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। प्रशासन को ऐसे वाहनों पर नियमित निगरानी रखकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे भविष्य में इस प्रकार की दुर्घटनाएं रोकी जा सकें।
इस घटना ने न केवल मजदूरों की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति, परिवहन की अनुपलब्धता और श्रमिकों की विवशता जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर किया है। ज़रूरत इस बात की है कि शासन-प्रशासन ऐसे हादसों को केवल एक “मामूली दुर्घटना” न मानते हुए दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम उठाए।





