ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना होगा जिसे देश,संस्‍कृति पर गर्व हो,शुक्‍ल।

 ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना होगा जिसे देश,संस्‍कृति पर गर्व हो,शुक्‍ल।

भारतीय शिक्षण मंडल के स्‍थापना दिवस पर ‘शिक्षा में राष्‍ट्रबोध’ विचार गोष्‍ठी आयोजित

विदिशा:

हमें एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना होगा, जिसे अपनी चरित्र, समाज, संस्कृति पर गर्व हो। स्‍वदेश, स्‍व‍ाभिमान, स्‍वभाषा, ज्ञान और संस्‍कृत‍ि के प्रति जिनके मन में स्वाभिमान हो। इसके लिए शिक्षा में राष्‍ट्रबोध के भाव का जागरण आवश्‍यक है। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के 56वें स्‍थापना दिवस पर ‘शिक्षा में राष्‍ट्रबोध’ विषय पर आयोजित विचार गोष्‍ठी में मुख्‍य वक्‍ता के रूप में संपादक एवं लेखक डॉ. सुदीप शुक्‍ल ने कही। कार्यक्रम का आयोजन रविवार को सम्राट अशोक अभियांत्रिकीय संस्‍थान के स्‍मार्ट हॉल में हुआ। कार्यक्रम में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में पीएम एक्‍सीलेंस कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वनिता वाजपेयी, विशिष्‍ट अतिथ‍ि आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ब्रह्मदीप अलूने उपस्थित थे जबकि कार्यक्रम की अध्‍यक्षता एसएटीआई के निदेशक डॉ. वाय. के. जैन ने की।

डॉ शुक्‍ल ने अपने वक्‍तव्‍य में आगे कहा कि प्रत्‍येक नागरिक में राष्ट्र बोध का होना आवश्यक है। आप किसी भी संस्थान या भाषा में शिक्षा लीजिए परंतु उसमें राष्ट्रबोध का तत्‍व होना चाहिए। भविष्‍य के भारत के लिए हमें इसमें अपनी भूमिका का निर्वाह करना है। हमें भारत को सुदृढ़ बनाना है, स्वयं को भी सुदृढ़ बनाना है। 

मुख्‍य अतिथ डॉ. वनिता वाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा कि हमने शिक्षा में भाव और सोच आयातित कर ली है। समय के अनुसार अब शिक्षा और रोजगार में अंतर करना होगा और यह स्कूल से ही होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने पहलगाम का उदाहरण देते हुए कहा कि हम में राष्ट्रबोध का अभाव है। हमें अनुशासन और लचीलेपन में अंतर करना होगा। बच्चों पर देश की विरासत की जिम्मेदारी है, हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा।

कार्यक्रम के विशिष्‍ट अतिथि डॉ. ब्रह्मदीप अलूने ने कहा कि चिंतन-मनन भारतीय मेधा की पहचान है। अफगानिस्तान से लैटिन अमेरिका तक भारतीय सभ्यता के चिन्ह मिलते हैं। हमें अपनी संकुचित विचार से निकला सभ्यता को व्यापकता की ओर ले जाना होगा क्‍योकि हमारी शिक्षा वसुधैव कुटुंबकम् की है। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए बताया कि व्यक्ति से ऊपर राष्ट्र होता है। पिता का वचन पूर्ण करने के लिए वनवास स्वीकारना हमारी शिक्षा होती थी। पंच परमेश्वर का निर्णय समाज सहर्ष स्वीकारता था। तुलसीदास जी द्वारा पुनः जन जन में राम को स्थापित करना भी राष्ट्रबोध था। 

कार्यक्रम की प्रस्‍तावना रखते हुए डॉ. अमित श्रीवास्‍तव ने भारतीय शिक्षण मंडल का परिचय दिया एवं आयोजन की भूमिका रखी। अतिथियों का स्‍वागत समाजसेवी विकास पचौरी ने किया। ध्‍येय श्‍लोक का वाचन निपुण वाजपेयी एवं ध्‍येय वाक्‍य का वाचन अक्षय शर्मा ने किया। एकल गीत की प्रस्‍तुति दीपक व‍िश्‍वकर्मा ने दी। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार  अरविंद शर्मा ने किया।


ग्रामीण खबर एमपी विदिशा जिला ब्यूरो चीफ यशवंत सिंह रघुवंशी।

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