मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव दददा धाम पहुंचे,प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में की पूजा-अर्चना, प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना।
श्रीकृष्ण वृद्धाश्रम प्रांगण में हुआ भव्य आयोजन,मुख्यमंत्री ने कहा,दददा धाम बनेगा देवस्थान,ऋषि परंपरा का प्रतीक है यह पावन स्थल।
कटनी,ग्रामीण खबर MP।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बुधवार को कटनी शहर स्थित श्रीकृष्ण वृद्धाश्रम प्रांगण, दददा धाम झिंझरी में नवनिर्मित मंदिर में परम पूज्य गुरुदेव पंडित देवप्रभाकर शास्त्री ‘दददा जी’ के विग्रह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने गुरुदेव दददा जी के समाधि स्थल पर पहुंचकर पुष्पांजलि अर्पित की, माल्यार्पण किया और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और जनकल्याण की कामना की।
दददा धाम परिसर में हुए इस महोत्सव में भक्ति, अध्यात्म और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। मुख्यमंत्री के आगमन के साथ ही पूरे परिसर में “दददा जी अमर रहें” और “हर हर महादेव” के उद्घोष गूंज उठे। हज़ारों श्रद्धालु इस पावन क्षण के साक्षी बने जब मुख्यमंत्री ने दददा जी के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में विधिवत सहभागिता की।
इस अवसर पर प्रदेश के परिवहन एवं स्कूल शिक्षा मंत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री उदय प्रताप सिंह, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, खजुराहो सांसद विष्णुदत्त शर्मा, विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक, फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, सुप्रसिद्ध कथा वाचक पंडित मोहित मराल गोस्वामी, पंडित इन्द्रेश उपाध्याय, पंडित अनिरुद्धाचार्य महाराज, डीआईजी अतुल सिंह, कलेक्टर आशीष तिवारी, पुलिस अधीक्षक अभिनव विश्वकर्मा सहित प्रशासनिक अधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. श्री यादव ने अपने संबोधन में कहा कि जैसे शिरडी और अन्य प्रसिद्ध तीर्थस्थल देशभर में आस्था के केंद्र हैं, वैसे ही कटनी का दददा धाम भी आने वाले समय में एक दिव्य देवस्थान के रूप में स्थापित होगा। उन्होंने कहा कि दददा जी ने अपने जीवन में पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण और सत्संग के माध्यम से जनमानस को संस्कारों से जोड़ा। यह परंपरा भारतीय ऋषि संस्कृति की जीवंत मिसाल है। मुख्यमंत्री ने बताया कि दददा जी ने विश्वकल्याण की भावना से प्रेरित होकर धरती पर जितने मनुष्य हैं, उतने पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण कराया, जो मानवता के आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान महाकाल और पूज्य दददा जी के आशीर्वाद से उज्जैन में होने वाला सिंहस्थ महापर्व भी भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज देशभर में सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण हो रहा है। मध्यप्रदेश सरकार भी उसी भावना के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि जहां-जहां भगवान राम और भगवान कृष्ण के चरण पड़े हैं, वहां तीर्थस्थल विकसित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने संत समाज से इस पवित्र कार्य में मार्गदर्शन देने का आग्रह किया ताकि राज्य को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में भी प्रतिष्ठा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने युवाओं को सनातन संस्कृति से जोड़ने के लिए राज्य शासन की एक महत्वपूर्ण पहल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गीता जयंती के अवसर पर प्रदेश के 11 लाख विद्यार्थियों के लिए सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, ताकि नई पीढ़ी धर्म, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति से परिचित हो सके। उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता न केवल ज्ञान का माध्यम होगी, बल्कि युवाओं में संस्कार और श्रद्धा का बीजारोपण भी करेगी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मंचासीन धर्माचार्यों, साधु-संतों और पंडितों का शाल और माल्यार्पण कर सम्मान किया। उन्होंने पंडित मोहित मराल गोस्वामी, पंडित इन्द्रेश उपाध्याय और पंडित अनिरुद्धाचार्य महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत समाज के आशीर्वाद से ही राज्य में धर्म, संस्कृति और सामाजिक सद्भाव का वातावरण सुदृढ़ हो रहा है।
विजयराघवगढ़ विधायक संजय सत्येन्द्र पाठक ने अपने संबोधन में कहा कि यह महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि अध्यात्म, भक्ति और मानवता का अद्भुत समागम है। उन्होंने कहा कि दददा जी के मार्गदर्शन में चल रहे इस महोत्सव में विश्वकल्याण हेतु असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण, महारुद्राभिषेक और अमृतमयी कथा का आयोजन किया जा रहा है। प्रातःकालीन शिव आराधना और संध्याकालीन हरिकथा एवं भजन संध्या के माध्यम से सम्पूर्ण वातावरण में दिव्यता और भक्ति का प्रकाश फैल रहा है।
कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं ने मंत्रोच्चार, भजन, आरती और सामूहिक प्रार्थना के माध्यम से धर्ममय वातावरण का सृजन किया। दददा धाम के प्रांगण में चारों ओर फूलों की सजावट, दीपों की ज्योति और शंखनाद से वातावरण पवित्र हो उठा। सभी ने एक स्वर में प्रदेश की शांति, समृद्धि और विश्वकल्याण की प्रार्थना की।
इस प्रकार दददा धाम झिंझरी में आयोजित यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और ऋषि परंपरा के जीवंत स्वरूप का प्रतीक बन गया, जहाँ श्रद्धा, सेवा और अध्यात्म का अनुपम संगम देखने को मिला।
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