सिहोरा जिला आंदोलन ने पकड़ा निर्णायक मोड़,9 दिसंबर को चारों विकासखंडों के लोगों का महाकुंभ,सिहोरा बंद का ऐलान।

 सिहोरा जिला आंदोलन ने पकड़ा निर्णायक मोड़,9 दिसंबर को चारों विकासखंडों के लोगों का महाकुंभ,सिहोरा बंद का ऐलान।

पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू 6 दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठेंगे,“चलो सिहोरा” यात्रा के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर तक होगा जनजागरण अभियान।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

सिहोरा को जिला बनाने की माँग अब निर्णायक चरण में पहुँच गई है। वर्षों से चल रहे इस आंदोलन को नई दिशा और जनसमर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में सैकड़ों की संख्या में सिहोरा वासी शहर के विभिन्न स्थानों पर एकत्र हुए, जहाँ सिहोरा जिला आंदोलन समिति की बैठक में आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 9 दिसंबर को चारों विकासखंडों — सिहोरा, मझौली, बहोरीबंद और ढीमरखेड़ा — के लोग एक विशाल “सिहोरा महाकुंभ” में एकत्र होकर जिला निर्माण की माँग को सरकार तक पहुँचाएंगे। उसी दिन संपूर्ण सिहोरा बंद का भी ऐलान किया गया है।

बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने कहा कि अब यह संघर्ष केवल एक प्रशासनिक माँग नहीं बल्कि सिहोरा की अस्मिता और स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है। उन्होंने अपने संकल्प को दोहराते हुए घोषणा की कि 6 दिसंबर से वह अन्न का त्याग कर सद्बुद्धि यज्ञ प्रारंभ करेंगे और 9 दिसंबर से जल का भी त्याग कर आमरण अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा कि सिहोरा भारत का केंद्र बिंदु है, और यहाँ जिला मुख्यालय का गठन होना समय की माँग है। वर्षों की उपेक्षा और असमान विकास ने यहाँ के नागरिकों को संघर्ष के लिए मजबूर किया है। अब सिहोरा वासी अपनी मातृभूमि का ऋण चुकाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने घोषणा की कि आगामी दिनों में “चलो सिहोरा” अभियान के तहत चारों विकासखंडों के हर ग्राम पंचायत तक पहुँच कर जनसभाएँ की जाएँगी। समिति का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक तक आंदोलन का संदेश पहुँचाना है ताकि 9 दिसंबर के महाकुंभ में सिहोरा की जनता का अभूतपूर्व जनसमर्थन देखने को मिले। इस दौरान समिति के सदस्यों ने कहा कि आंदोलन के शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाए रखते हुए सरकार को जगाने का प्रयास किया जाएगा, किंतु यदि माँगों की अनदेखी जारी रही तो यह आंदोलन और तीव्र रूप लेगा।

बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, व्यापारी संगठनों और ग्रामीण प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि अब सिहोरा की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वक्ताओं ने कहा कि सिहोरा का भौगोलिक, ऐतिहासिक और जनसंख्या आधार जिला बनने के सभी मानदंडों पर खरा उतरता है, फिर भी अब तक केवल राजनीतिक कारणों से इस क्षेत्र को न्याय नहीं मिला। ग्रामीणों का कहना था कि सिहोरा से जुड़े सैकड़ों गांवों के लोग रोजमर्रा के प्रशासनिक कार्यों के लिए कटनी या जबलपुर जाने को विवश हैं, जिससे समय और आर्थिक संसाधनों दोनों का नुकसान होता है।

आंदोलनकारियों ने सरकार से स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि जल्द ही सिहोरा को जिला घोषित नहीं किया गया, तो यह आंदोलन आमरण अनशन और सिहोरा बंद के साथ-साथ जनआक्रोश के रूप में उभरेगा। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष किसी व्यक्ति या दल का नहीं बल्कि सिहोरा की जनता की सामूहिक आवाज है, जो अब दबी नहीं रहेगी।

सभा में वक्ताओं ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में प्रत्येक गांव से लोगों का जत्था सिहोरा पहुँचेगा, जो आंदोलन को जनआंदोलन का रूप देगा। महिलाओं और युवाओं ने भी आंदोलन में सक्रिय भागीदारी का संकल्प लिया। कई सामाजिक संगठनों और व्यापारिक संस्थाओं ने भी पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है।

जैसे-जैसे 9 दिसंबर का दिन नजदीक आ रहा है, सिहोरा और आसपास के गांवों में उत्साह और जोश का माहौल बन गया है। “चलो सिहोरा” यात्रा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। हर पंचायत में पोस्टर, बैनर और जनसभा के माध्यम से लोगों को जोड़ा जा रहा है। सड़कों पर जगह-जगह युवाओं की टोली जागरूकता अभियान चला रही है।

जनता का कहना है कि यदि सिहोरा को जिला घोषित कर दिया गया तो यह क्षेत्र विकास के नए युग में प्रवेश करेगा। लेकिन यदि एक बार फिर सरकार ने वादाखिलाफी की, तो यह आंदोलन राज्यभर में मिसाल बनेगा। फिलहाल सिहोरा में यह स्पष्ट संदेश गूंज रहा है — “अबकी बार जिला हमारा।”

सिहोरा का यह आंदोलन अब केवल एक प्रशासनिक माँग नहीं बल्कि जनता के स्वाभिमान, अस्मिता और अधिकार की लड़ाई बन चुका है। 9 दिसंबर का दिन सिहोरा की जनता के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है — जब चारों विकासखंडों का जनसैलाब एक स्वर में कहेगा, “हमारा हक, हमारा जिला — सिहोरा।”

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