आरएसएस के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू का बड़ा निर्णय,9 दिसंबर से करेंगे अन्न-जल त्याग।

 आरएसएस के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू का बड़ा निर्णय,9 दिसंबर से करेंगे अन्न-जल त्याग।

सिहोरा जिला की मांग को लेकर शुरू होगा आमरण सत्याग्रह, युवा की आत्मदाह की बात से विचलित होकर लिया निर्णय।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

सिहोरा जिला की मांग को लेकर चल रहा जन आंदोलन लगातार नए आयाम छूता जा रहा है। खून के दिए, भूमि समाधि सत्याग्रह और अनगिनत शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के बाद अब यह आंदोलन एक नए चरण में प्रवेश कर गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक और सिहोरा निवासी प्रमोद साहू ने घोषणा की है कि वे 9 दिसंबर से अन्न और जल दोनों का त्याग करेंगे। उनका यह निर्णय सिहोरा जिला की स्थापना के लिए चल रहे संघर्ष को एक नई गंभीरता प्रदान करेगा।

लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में प्रमोद साहू ने भावुक शब्दों में कहा कि “यह संघर्ष अब केवल प्रशासनिक मांग नहीं रह गया है, यह सिहोरा की आत्मा की पुकार बन चुका है।” उन्होंने कहा कि वे 6 दिसंबर, जो कि शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, उसी दिन दोपहर 3 बजे अपने निवास पर आमरण सत्याग्रह और सद्बुद्धि यज्ञ का आरंभ करेंगे। इस यज्ञ के दौरान वे केवल जल ग्रहण करेंगे। तीन दिनों तक यह तप चलने के बाद 9 दिसंबर दोपहर 3 बजे से वे जल का भी पूर्ण त्याग कर देंगे।

उन्होंने सिहोरा के नागरिकों से आग्रह किया कि 9 दिसंबर को दोपहर 11 बजे से 12 बजे के बीच बस स्टैंड सिहोरा में एकत्र होकर इस आंदोलन को नई ऊर्जा दें। उन्होंने कहा कि यह केवल सिहोरा की नहीं, बल्कि पूरे महाकौशल क्षेत्र की प्रतिष्ठा का प्रश्न है। सिहोरा को जिला बनाना यहां के लोगों का अधिकार है, और यह आंदोलन उस अधिकार की रक्षा का प्रतीक है।

प्रमोद साहू ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका यह निर्णय किसी संगठन या राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं है। उन्होंने कहा,“मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पूर्व प्रचारक जरूर हूं, परंतु यह निर्णय मैंने एक नागरिक के रूप में लिया है। मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने नगर और क्षेत्र के प्रति उत्तरदायित्व निभाऊं। सिहोरा भारत का नाभि केंद्र है, यहाँ से जो भी चेतना उठती है, वह पूरे देश में प्रभाव छोड़ती है।”

पत्रकार वार्ता के दौरान प्रमोद साहू ने एक दर्दनाक प्रसंग साझा किया। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व सिहोरा के एक युवा ने उनसे मुलाकात कर कहा कि “अब और आंदोलन नहीं, अब तो मैं कुछ बड़ा धमाका करना चाहता हूं।” जब उन्होंने पूछा कि उसका अभिप्राय क्या है, तो युवक ने आत्मदाह करने की बात कही। यह सुनकर प्रमोद साहू गहराई से विचलित हो गए। उन्होंने उसे समझाया कि आत्महत्या कोई समाधान नहीं है, बल्कि संघर्ष का रास्ता ही परिवर्तन की कुंजी है।

प्रमोद साहू ने कहा कि उस युवा की भावनाओं ने उनके भीतर गहरी पीड़ा और जिम्मेदारी का भाव जगाया। उसी क्षण उन्होंने निश्चय किया कि वे स्वयं इस आंदोलन को अपने जीवन से जोड़ेंगे और अहिंसा के माध्यम से इसे नई दिशा देंगे। उनका अन्न-जल त्याग केवल विरोध का नहीं, बल्कि आत्मबल और नैतिक जागरण का प्रतीक होगा।

उन्होंने कहा कि यह आंदोलन अब केवल मांगपत्रों या धरनों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह जनचेतना का स्वरूप धारण कर चुका है। सिहोरा के हर नागरिक को यह समझना होगा कि जिला बनना केवल विकास का प्रश्न नहीं, बल्कि अस्तित्व और सम्मान का प्रश्न है।

प्रमोद साहू ने कहा, “मैंने अनेक आंदोलनों को जन्म लेते और समाप्त होते देखा है, लेकिन सिहोरा जिला आंदोलन में जो जनसमर्थन और आत्मीयता है, वह अद्वितीय है। इस आंदोलन में अब राजनीति नहीं, बल्कि लोकनीति की भावना है।” उन्होंने कहा कि यदि जनता दृढ़ निश्चय कर ले, तो कोई भी शक्ति सिहोरा को जिला बनने से रोक नहीं सकती।

पत्रकार वार्ता में मौजूद लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के सदस्यों ने भी प्रमोद साहू के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर है। सिहोरा की जनता एकजुट होकर अपने अधिकार की मांग को और अधिक मजबूती से आगे बढ़ाएगी।

सिहोरा में इस घोषणा के बाद जनमानस में गहरी हलचल देखी जा रही है। सोशल मीडिया से लेकर चौपालों तक, हर जगह प्रमोद साहू के इस निर्णय की चर्चा है। लोगों का कहना है कि यह त्याग और तपस्या का मार्ग आंदोलन को नई ऊँचाई पर ले जाएगा।

अब सभी की निगाहें 9 दिसंबर पर टिकी हैं, जब प्रमोद साहू अन्न-जल त्याग कर इस आंदोलन को एक नया अध्याय देंगे। सिहोरा जिला की मांग अब केवल एक प्रशासनिक प्रस्ताव नहीं रही, बल्कि यह सिहोरा के स्वाभिमान की पहचान बन चुकी है।

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