प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने किया सब जेल सिहोरा का निरीक्षण,लीगल एड क्लिनिक का शुभारंभ।
बंदियों से ली व्यवस्थाओं की जानकारी,विधिक साक्षरता शिविर में अपराध से दूर रहने और सकारात्मक सोच अपनाने का दिया संदेश।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश जबलपुर कृष्णमूर्ति मिश्रा ने सोमवार को सब जेल सिहोरा का विस्तृत निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जेल परिसर का भ्रमण कर बंदियों से सीधे संवाद किया और भोजन, स्वास्थ्य उपचार, साफ-सफाई एवं अन्य दैनिक व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। न्यायाधीश ने बंदियों को समझाइश दी कि जीवन में अपराध से दूर रहकर, अच्छे साहित्य का अध्ययन कर तथा आत्मचिंतन द्वारा वे अपने भविष्य को बेहतर दिशा दे सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जेल जीवन के सुधार और आत्ममंथन का अवसर है, जिसका लाभ हर बंदी को लेना चाहिए।
निरीक्षण के उपरांत जेल परिसर में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बंदियों को उनके मौलिक अधिकारों, विधिक सहायता प्राप्त करने की प्रक्रिया और न्याय तक पहुंच के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया कि प्रत्येक व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है और विधिक सेवा प्राधिकरण इसके लिए हर संभव सहायता प्रदान करता है। इस अवसर पर सब जेल सिहोरा में नवनिर्मित लीगल एड क्लिनिक का शुभारंभ भी किया गया, जिसका उद्देश्य है कि बंदियों को आसानी से कानूनी मार्गदर्शन उपलब्ध हो सके।
कार्यक्रम में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश सुधांशु सिन्हा, जिला रजिस्ट्रार ऋषि मिश्रा, एसडीएम पुष्पेंद्र अहके, एसडीओपी आदित्य सिंहारिया, तहसीलदार जगभान उइके, थाना प्रभारी सिहोरा विपिन सिंह, थाना प्रभारी खितौला अर्चना जाट, लीगल एड पैनल अधिवक्ता दिलावर सिद्दीकी सहित विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी, जेलर दिलीप नायक एवं समस्त जेल स्टॉफ मौजूद रहे। सभी अधिकारियों ने मिलकर जेल परिसर का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं की समीक्षा की।
विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि लीगल एड क्लिनिक के लिए अधिवक्ता दिलावर सिद्दीकी ने अपनी दिवंगत मां की स्मृति में टेबल, कुर्सियां एवं वाल फैन दानस्वरूप भेंट किए। उन्होंने बताया कि जेलर दिलीप नायक की प्रेरणा से यह पहल की गई, ताकि बंदियों को कानूनी परामर्श के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सके। इस पहल को सभी ने सराहा और इसे समाजसेवा की एक मिसाल बताया।
जेल निरीक्षण के दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल की व्यवस्थाओं की खुले शब्दों में प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भोजन की गुणवत्ता संतोषजनक है, स्वच्छता व्यवस्था बेहतर ढंग से संचालित हो रही है और बंदियों को अनुशासित एवं सुरक्षित माहौल प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने जेल प्रशासन को यह निर्देश भी दिया कि बंदियों के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए समय-समय पर सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
न्यायाधीश ने अपने संदेश में बंदियों से कहा कि जेल जीवन को एक नई शुरुआत का अवसर समझें। उन्होंने कहा कि गलतियों से सीख लेकर यदि कोई व्यक्ति सही दिशा में आगे बढ़े तो समाज में उसे सम्मान और पहचान दोनों प्राप्त हो सकती हैं। न्यायाधीश के प्रेरणादायक उद्बोधन से बंदियों में उत्साह और आत्मविश्वास का संचार हुआ।
इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने भी बंदियों को आश्वस्त किया कि विधिक सहायता के माध्यम से उन्हें हर संभव मदद प्रदान की जाएगी। साथ ही समाज में पुनः स्थापित होने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन उपलब्ध कराया जाएगा। जेल परिसर में आयोजित यह कार्यक्रम बंदियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना और सकारात्मक सोच की ओर अग्रसर करने वाला साबित हुआ।
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