गुरुदेव धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के तपस्वी जीवन पर लिखेंगे ग्रंथ,डॉ.सुरेंद्र राजपूत को मिला दिव्य आशीर्वाद।
गुरुदेव के सान्निध्य में हुआ भावपूर्ण क्षण,धाम के तपस्वी जीवन और आध्यात्मिक साधना पर लिखे जाएंगे प्रेरणादायी प्रसंग।
कटनी,ग्रामीण खबर MP:
जब कभी सनातन संस्कृति, अध्यात्म और संत परंपरा की चर्चा होती है, तो उसमें बागेश्वर धाम सरकार का नाम श्रद्धा और विश्वास के साथ लिया जाता है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए एक ऐतिहासिक क्षण तब बना जब पीएचडी गुरु डॉ. सुरेंद्र राजपूत ने परम पूज्य गुरुदेव श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज के श्रीचरणों में सपरिवार उपस्थित होकर अपनी स्वलिखित पुस्तक (दद्दा दर्शन) अर्पित की। इस पावन क्षण में वातावरण भक्ति, विनम्रता और आध्यात्मिकता से सराबोर हो उठा। गुरुदेव ने पुस्तक को स्नेहपूर्वक स्वीकार किया और डॉ. श्री राजपूत को भविष्य के लिए आशीर्वाद प्रदान किया।
डॉ. सुरेंद्र राजपूत ने इस अवसर पर गुरुदेव से निवेदन किया कि वे उनके तपस्वी जीवन, आध्यात्मिक साधना और जनकल्याणकारी कार्यों पर आधारित एक विस्तृत ग्रंथ का लेखन करना चाहते हैं। उनके इस संकल्प को सुनकर गुरुदेव ने सहर्ष अनुमति दी और अपने दिव्य आशीर्वाद के साथ मार्गदर्शन का वचन भी दिया। यह क्षण उपस्थित सभी श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बन गया। हर किसी ने अनुभव किया कि जैसे स्वयं धर्म और अध्यात्म ने इस पावन घड़ी को आलोकित कर दिया हो।
इस अवसर पर बागेश्वर धाम सरकार कटनी मंडल के अध्यक्ष पंडित राकेश मिश्रा का विशेष योगदान और मार्गदर्शन रहा। उनकी प्रेरणा और सतत सहयोग से ही यह भावनात्मक भेंट संभव हो सकी। आयोजन स्थल पर गहन आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार था, मानो गुरुदेव के आशीर्वाद से वातावरण स्वयं ही धर्ममय हो उठा हो।
गुरुदेव के श्रीदर्शन के इस शुभ अवसर पर डॉ. ज्योति राजपूत, लक्ष्मी राजपूत, लक्ष्य राजपूत, जुनी राजपूत, रश्मि राय और शत्रुघ्न लोधी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने श्रद्धापूर्वक गुरुदेव के चरणों में नमन किया और उनके सान्निध्य में अनूठी आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त की।
डॉ. सुरेंद्र राजपूत ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शीघ्र ही इस ग्रंथ का लेखन कार्य प्रारंभ किया जाएगा। इसमें बागेश्वर धाम सरकार के दिव्य व्यक्तित्व, उनके समाज एवं सनातन धर्म के प्रति किए गए अतुलनीय योगदान और उनकी आध्यात्मिक यात्रा का विस्तृत वर्णन किया जाएगा। उनका उद्देश्य है कि यह ग्रंथ न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बने, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक अमूल्य धरोहर सिद्ध हो।
यह ग्रंथ केवल एक पुस्तक भर नहीं होगी, बल्कि गुरुदेव के त्याग, तप और धर्म सेवा का सजीव दस्तावेज बनेगी। इसमें वर्णित प्रसंग भावी पीढ़ियों को यह संदेश देंगे कि कैसे एक संत अपने जीवन से न केवल समाज बल्कि संपूर्ण मानवता को दिशा दे सकता है। यह ग्रंथ सनातन धर्म की गौरवशाली परंपरा को और भी सुदृढ़ करेगा तथा श्रद्धालुओं के लिए मार्गदर्शन का शाश्वत प्रकाशपुंज सिद्ध होगा।
इस प्रकार डॉ. सुरेंद्र राजपूत का यह संकल्प केवल लेखन की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक युगीन कार्य है जो आने वाली पीढ़ियों को धर्म, भक्ति और सेवा के मार्ग पर अग्रसर करेगा। गुरुदेव के तप, त्याग और आध्यात्मिक आलोक से प्रेरित यह ग्रंथ कालजयी सिद्ध होगा और सनातन संस्कृति के इतिहास में एक अमिट अध्याय जोड़ जाएगा।
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