पढ़ने को जाते हैं बच्चे।
निर्मल मन को भाते सच्चे।।
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
पढ़ने को जाते हैं बच्चे।
निर्मल मन को भाते सच्चे।।
उछल कूद करते हैं मस्ती।
कितनी प्यारी उनकी हस्ती।।
माँ बाबा ने देखे सपने।
आँखों के तारे हैं अपने।।
बस्ता लेकर शाला जाते।
छुट्टी में घर वापस आते।।
पढ़ने में अव्वल है बच्चे।
लड़ते रहते पल में कच्चे।।
खेलकूद में आगे रहते।
डाँट मार शिक्षक की सहते।।
देखों कितने प्यारे बच्चें।
मात पिता को लगते अच्छे।।
भाग-दौड़ रहती है जारी।
खेल रहे हैं अपनी पारी।।
खूब पढ़ाई करते रहना।
देखो कहती प्यारी बहना।।
नाम जहाँ में रोशन करना।
नव प्रतिमान जगत में गढ़ना।।
शैलेन्द्र पयासी,युवा साहित्यकार विजयराघवगढ़, कटनी,एमपी।
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