झुके बिजली के खम्भे ने बढ़ाई विकलांग किसान की मुश्किलें, दो बार लग चुकी है आग।
ग्राम महगवां के श्रवण कुमार राजपाल की फरियाद, लाइनमेन की लापरवाही से जान-माल का खतरा।
महगवां,ग्रामीण खबर mp:
जिला कटनी के ग्राम महगवां, पोस्ट पड़रभटा से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें गांव के एक विकलांग और अत्यंत गरीब किसान श्रवण कुमार राजपाल बिजली विभाग की उपेक्षा और लापरवाही के कारण बीते कई वर्षों से बेहद परेशान हैं। उन्होंने बताया कि उनके खेत से एक एग्रीकल्चर लाइट निकाली गई है और पिछले लगभग दस वर्षों से उनके खेत के भीतर ही एक बिजली का खम्भा लगा हुआ है, जो अब अत्यधिक झुक चुका है। यह खम्भा इतना झुक गया है कि उसमें लगी बिजली की तारें खेत में काफी नीचे आ चुकी हैं, जिससे खेत की सामान्य जुताई, बुआई और कटाई जैसे कार्यों में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
खासकर जब खेत में ट्रैक्टर या हार्वेस्टर चलता है, तब उन तारों को बांस की सहायता से ऊपर उठाना पड़ता है ताकि दुर्घटना से बचा जा सके। किसान ने बताया कि इसी खतरे के चलते अब तक दो बार खेत में आग लग चुकी है। एक बार तो स्थिति इतनी भयावह हो गई थी कि हार्वेस्टर जलते-जलते बचा, जिससे एक बड़ी जन-धन हानि टल गई।
श्रवण कुमार का कहना है कि यह समस्या केवल उनकी नहीं है, बल्कि गांव के अन्य कई किसान भी इसी स्थिति से पीड़ित हैं। उन्होंने कई बार क्षेत्रीय लाइनमेन दुर्गा कोल और उसके सहायक संजू दुबे से इस विषय में मौखिक रूप से शिकायत की, साथ ही उन्हें खेत ले जाकर स्थिति का जायजा भी दिलाया, लेकिन इसके बावजूद आज तक कोई भी ठोस सुधारात्मक कार्य नहीं किया गया है। विभागीय कर्मचारियों की इस बेरुखी ने किसानों की परेशानी को और भी बढ़ा दिया है।
श्रवण कुमार ने अंततः 2 जून 2025 को बिजली विभाग के कार्यालय पहुंचकर एक लिखित शिकायत प्रस्तुत की है, जिसमें उन्होंने आग्रह किया है कि उनके खेत में झुका हुआ बिजली का खम्भा तुरंत सीधा किया जाए और बिजली की ढीली तारों को सही तरीके से खींचकर टाइट किया जाए। उनका कहना है कि यदि समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है और जान-माल की अपूरणीय क्षति भी हो सकती है।
उन्होंने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि गांव के अन्य किसान भी इस तरह की समस्याओं से परेशान हैं, लेकिन बिजली विभाग के कर्मचारियों द्वारा लगातार अनदेखी किए जाने से सभी किसान खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। यह मामला केवल तकनीकी समस्या का नहीं, बल्कि प्रशासनिक उपेक्षा और संवेदनहीनता का भी है।
गौरतलब है कि बिजली विभाग की लापरवाही के चलते पहले भी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गंभीर घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में यदि अधिकारियों द्वारा इस प्रकार की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह भविष्य में एक बड़े जन आंदोलन का रूप भी ले सकता है। श्रवण कुमार जैसे किसान, जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं और जिनकी आजीविका पूरी तरह खेती पर निर्भर है, उन्हें इस प्रकार की प्रशासनिक असंवेदनशीलता का सामना करना पड़ना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
यह खबर न केवल विभागीय तंत्र की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज के डिजिटल और विकासशील भारत में ग्रामीण क्षेत्र के गरीब किसान किस प्रकार बुनियादी समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं। अब देखना यह होगा कि बिजली विभाग इस गंभीर शिकायत पर कितनी तत्परता से कार्रवाई करता है और क्या भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए कोई स्थायी समाधान निकाला जाता है या नहीं।