सिलौंडी सेंट्रल बैंक में लापरवाही का अड्डा बना कैश काउंटर, रोजाना तय समय से घंटों देरी से खुलने से परेशान हैं ग्रामीण ग्राहक।
न समय पर खुलता है कैश काउंटर, न मिलता है कैश, न पानी की सुविधा — बैंक प्रबंधन की उदासीनता से ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही है भारी परेशानी।
सिलौंडी,ग्रामीण खबर mp:
ग्रामीण क्षेत्र सिलौंडी स्थित सेंट्रल बैंक में इन दिनों व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही और मनमानी का आलम यह है कि जहां बैंक का तय समय सुबह 10 बजे से 3.30 बजे तक निर्धारित है, वहीं कैश काउंटर प्रतिदिन लगभग एक घंटे की देरी से, यानी करीब 10.50 से 11 बजे के बीच ही खुलता है। यह समस्या एक-दो दिन की नहीं, बल्कि प्रतिदिन की बन चुकी है, जिससे ग्राहकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बैंक में अक्सर कैश की किल्लत रहती है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के खाताधारकों को अपने ही पैसों की निकासी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है और फिर भी कभी-कभी खाली हाथ लौटना पड़ता है। बीते तीन-चार दिनों से निकासी पर्चियां भी नहीं मिल रही हैं, जिससे बैंकिंग प्रक्रिया और भी बाधित हो रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि केवल दो कर्मचारी ही समय पर बैंक में उपस्थित होते हैं, बाकी कर्मचारी अप-डाउन की सुविधा का हवाला देते हुए लगभग 10.30 बजे के बाद बैंक पहुंचते हैं। यही हाल बैंक प्रबंधक का भी है, जो नियमित रूप से करीब 10.30 बजे पहुंचते हैं, जबकि बैंक का कार्यदिवस सुबह 10 बजे से शुरू हो जाना चाहिए।
गर्मी के मौसम में बैंक के बाहर लंबी कतारों में खड़े ग्रामीणों को न छांव की व्यवस्था है, न बैठने की और न ही पानी पीने की कोई सुविधा। महिला ग्राहकों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
प्रशांत राय एडवोकेट, सुग्रवीन वंशकार और गोलू जैन सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि सेंट्रल बैंक की स्थिति लंबे समय से बदतर बनी हुई है, लेकिन अब हालात काबू से बाहर होते नजर आ रहे हैं। यह बैंक सिलौंडी सहित लगभग 30 गांवों के खाताधारकों की सेवा का केंद्र है, ऐसे में यदि सुविधाएं समय पर उपलब्ध नहीं होंगी, तो ग्रामीणों के आर्थिक कार्य बुरी तरह प्रभावित होंगे।
स्थानीय लोगों ने संबंधित उच्च अधिकारियों से मांग की है कि जल्द से जल्द बैंक व्यवस्था को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित की जाए, कैश की नियमित उपलब्धता बनाए रखी जाए और बैंक परिसर में मूलभूत सुविधाओं — जैसे पेयजल, बैठने और छांव की व्यवस्था — की तत्काल आवश्यकता है।
ग्रामीणों की पीड़ा अब प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग कर रही है। यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह मामला बड़ा जन आंदोलन का रूप ले सकता है, क्योंकि सैकड़ों की संख्या में खाताधारक प्रतिदिन बैंक की अव्यवस्थाओं के कारण पीड़ित हो रहे हैं।