ग़ज़ल साहित्य को नई ऊँचाइयाँ देने वाले अशोक पटसारिया को मिला अखिल भारतीय साहित्य चेतना सम्मान।

 ग़ज़ल साहित्य को नई ऊँचाइयाँ देने वाले अशोक पटसारिया को मिला अखिल भारतीय साहित्य चेतना सम्मान।

‘दिल ए नादाँ’ ग़ज़ल संग्रह के लिए सम्मानित हुए 12 सृजनकारों में चयन, पावन स्मृति में दिया गया प्रतिष्ठित सम्मान।

गाडरवारा,ग्रामीण खबर mp।

देशभर के रचनाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने अखिल भारतीय साहित्य चेतना सम्मान समारोह का आयोजन विविध साहित्यिक विधाओं में योगदान देने वाले रचनाकारों को मान्यता देने हेतु संपन्न हुआ। इस समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से चयनित 12 रचनाकारों को उनकी उत्कृष्ट कृतियों के लिए सम्मानित किया गया।

जूरी द्वारा इन कृतियों का विस्तृत अध्ययन और मूल्यांकन कर चयन प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। इस वर्ष इस प्रतिष्ठित सम्मान से गाडरवारा के वरिष्ठ साहित्यकार अशोक पटसारिया को भी नवाजा गया। उन्हें यह सम्मान उनकी चर्चित ग़ज़ल संग्रह ‘दिल ए नादाँ’ के लिए प्रदान किया गया। यह सम्मान स्वर्गीय रूप राम सोनी की पावन स्मृति में दिया गया, जिनकी साहित्य सेवा की स्मृतियाँ आज भी रचनाकारों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं।

सम्मान स्वरूप श्री पटसारिया को पारंपरिक साल, श्रीफल, मोमेंटो, सम्मान पत्र के साथ-साथ 3100 रुपये की सहयोग राशि भी भेंट की गई। समारोह में विभिन्न साहित्यप्रेमियों, साहित्यकारों एवं समीक्षकों ने उनके रचनात्मक योगदान की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।

‘दिल ए नादाँ’ एक ऐसी ग़ज़ल संग्रह है जो न केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि नए पाठकों और नवोदित शायरों के लिए एक मार्गदर्शिका भी है। इस पुस्तक में ग़ज़ल लेखन की मूलभूत शैलियाँ, बहर और काफिया के व्यावहारिक उदाहरणों सहित अनेक तकनीकी पहलुओं को सरल भाषा में समझाया गया है। यह संग्रह लगभग 200 ग़ज़लों को समाहित करता है, जो विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, मानवीय और आत्मिक विषयों पर केंद्रित हैं।

यह पुस्तक साहित्य प्रेमियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है, जो केवल पठनीय ही नहीं बल्कि संग्रहणीय भी है। ग़ज़ल की परंपरा को आगे बढ़ाने में यह कृति एक सशक्त कड़ी के रूप में देखी जा रही है।

श्री पटसारिया ने इस अवसर पर अपने वक्तव्य में कहा कि यह सम्मान न केवल उनके लिए गर्व का विषय है बल्कि गाडरवारा जैसी छोटी जगह से राष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक पहचान बनाना उनके लिए भावनात्मक उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि ग़ज़ल केवल शायरी नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है, जिसे शब्दों में ढालना एक साधना है।

समारोह में देशभर से आए वरिष्ठ साहित्यकारों, आलोचकों, रचनाकारों और पाठकों ने सहभागिता की और सम्मानित सृजनकारों को अपनी शुभकामनाएं व बधाइयाँ दीं। आयोजन ने यह संदेश दिया कि साहित्यिक प्रतिभा को मंच और मान्यता दोनों मिलने चाहिए ताकि समाज में संवेदना और सृजन की चेतना बनी रहे।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp
संपर्क सूत्र:9977110734

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