प्रधानमंत्री नल-जल योजना में 1.36 करोड़ की भारी अनियमितता,ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से पिंडरई गांव में सूखे नल,त्रस्त ग्रामीण।

 प्रधानमंत्री नल-जल योजना में 1.36 करोड़ की भारी अनियमितता,ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से पिंडरई गांव में सूखे नल,त्रस्त ग्रामीण।

ढीमरखेड़ा क्षेत्र की ग्राम पंचायत पिंडरई में योजना के नाम पर लीपापोती, अधूरे निर्माण, जर्जर पाइपलाइन और नल कनेक्शन अधर में, तपती गर्मी में बूंद-बूंद को तरस रहे ग्रामीण।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:

कटनी जिले के ढीमरखेड़ा क्षेत्र में शासन द्वारा ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु चलाई जा रही महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री नल-जल योजना भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ग्राम पंचायत अंतर्वेद में आयोजित जनसुनवाई सह जनसंवाद कार्यक्रम में इस योजना की पोल तब खुली जब ग्राम पिंडरई के दर्जनों ग्रामीणों ने अधिकारियों के सामने गंभीर शिकायत दर्ज करवाई।

कलेक्टर दिलीप कुमार यादव की उपस्थिति में आयोजित इस जनसंवाद में ग्रामीणों ने बताया कि पिंडरई गांव में हर घर तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से लगभग 1 करोड़ 36 लाख रुपये की लागत से नल-जल योजना स्वीकृत की गई थी। इस राशि से एक नई पानी की टंकी का निर्माण, नई पाइपलाइन बिछाने तथा प्रत्येक घर में नल कनेक्शन देने की योजना थी। योजना प्रारंभ होने के बाद गांव में उम्मीद की एक नई किरण जगी थी कि अब उन्हें साफ पानी के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।

लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार और संबंधित विभागीय अधिकारियों ने इस योजना में भारी गड़बड़ी की। नई पाइपलाइन डालने के बजाय पहले से मौजूद पुरानी और जर्जर पाइपलाइन की मामूली मरम्मत कर उसे योजना का हिस्सा बताकर कार्य पूरा दिखा दिया गया। जबकि सच्चाई यह है कि ये पुरानी लाइनें पहले ही कई स्थानों पर टूटी और क्षतिग्रस्त थीं। कुछ ही महीनों में पूरी जल आपूर्ति व्यवस्था ठप हो गई और गांव फिर से जल संकट की चपेट में आ गया।

गांव के अधिकांश घरों में न तो नल कनेक्शन लगाए गए और न ही नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई। जिन घरों में नल लगे भी हैं, वहां पाइपलाइन से पानी नहीं आ रहा है। टंकी निर्माण का कार्य भी पूर्ण रूप से संदेहास्पद बताया गया है। स्थिति यह है कि भीषण गर्मी में गांव के लोग आज एक-एक बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गांव में लगे अधिकांश ट्यूबवेल या तो सूख चुके हैं या वर्षों से बंद पड़े हैं।

ग्रामीणों का आरोप है कि इस योजना में ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से भारी भ्रष्टाचार हुआ है। सरकार द्वारा स्वीकृत बड़ी धनराशि योजना के नाम पर कागजों में खर्च कर दी गई और धरातल पर कार्य अधूरा या बेकार साबित हुआ। जिन पाइपलाइनों को ठीक बताया गया, वे जगह-जगह फूटी हुई हैं। इसके चलते जल आपूर्ति बाधित है और जल स्रोत से जुड़ाव कहीं नहीं हो पाया है।

जनसुनवाई में उपस्थित जिला पंचायत सीईओ शिशिर गेमावत, एसडीएम निधि सिंह गोहल समेत अन्य विभागीय अधिकारियों को ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपते हुए दोषियों के विरुद्ध जांच और कार्रवाई की मांग की। कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने संपूर्ण मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के निर्देश दिए और आश्वासन दिया कि दोषियों पर शीघ्र सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और निगरानी न होने पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद आम जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाता। सरकार की मंशा ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की है, परंतु जब जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार ही इन योजनाओं को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करें, तो जनता को केवल हताशा ही हाथ लगती है।

पिंडरई गांव की यह त्रासद स्थिति यह भी दर्शाती है कि योजनाएं तभी सफल हो सकती हैं जब उन्हें पूरी ईमानदारी, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के साथ जमीन पर उतारा जाए। अन्यथा, करोड़ों की लागत और सालों की मेहनत के बावजूद ग्रामीण बुनियादी आवश्यकताओं जैसे पानी के लिए भी तरसते रहेंगे।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp
संपर्क सूत्र:9977110734

Post a Comment

Previous Post Next Post