भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बाद अब शांति की पहल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद संघर्षविराम पर बनी सहमति।
आतंकी हमले के जवाब में भारत का बड़ा एक्शन, 100 से अधिक आतंकियों के खात्मे का दावा, अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच वार्ता बहाल।
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर हालात तनावपूर्ण मोड़ पर पहुंचने के बाद अब उसमें शांति की एक नई किरण दिखाई देने लगी है। पिछले तीन सप्ताह में सीमा पर हुई हिंसक झड़पों और तीखी बयानबाज़ी के बीच, अब दोनों देशों के सैन्य स्तर पर बातचीत बहाल हुई है और नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम लागू करने पर सहमति बनी है।
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के पहलगाम क्षेत्र में हुए एक भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। इस हमले की जिम्मेदारी किसी भी संगठन ने सार्वजनिक रूप से नहीं ली, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकी गुटों की साजिश बताया। इसके बाद देश में जनाक्रोश उभरा और सरकार पर कड़ा जवाब देने का दबाव बढ़ गया।
सरकार ने तत्काल कड़ा निर्णय लेते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' नामक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और उससे सटे सीमावर्ती इलाकों में स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों के विरुद्ध किया गया। वायुसेना और विशेष बलों ने इस मिशन में भाग लिया और भारतीय पक्ष के अनुसार, कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया।
पाकिस्तान ने इस सैन्य कार्रवाई का विरोध करते हुए इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया, लेकिन भारत ने इसे आत्मरक्षा में उठाया गया वैध कदम कहा। भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा रुख जारी रहेगा।
इसके बाद तनाव इतना बढ़ गया कि दोनों देशों की सेनाओं ने कई बार एक-दूसरे के ठिकानों को निशाना बनाया। नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारी गोलाबारी हुई, जिसमें दोनों ओर सैन्यकर्मियों और नागरिकों की जानें गईं।
इस स्थिति को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से अमेरिका सक्रिय हुआ। 10 मई को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की पहल पर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच परोक्ष वार्ता शुरू हुई। अमेरिका ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के माध्यम से भी तनाव कम करने की अपील की गई।
12 मई को भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्षविराम का पूर्ण पालन किया जाएगा। इसके बाद 11 मई की रात पहली बार ऐसी रात रही, जब सीमा पर किसी भी प्रकार की गोलीबारी की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस सकारात्मक घटनाक्रम का स्वागत किया गया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने भारत और पाकिस्तान से आग्रह किया कि वे इस संघर्षविराम को स्थायी शांति में बदलें और कूटनीतिक संवाद को प्राथमिकता दें।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोनों देशों के नेतृत्व को इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए सराहते हुए यह संकेत दिया कि अमेरिका व्यापार, सुरक्षा और जलवायु जैसे मुद्दों पर दोनों देशों को सहयोग देने को तैयार है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद से कोई समझौता नहीं किया जाएगा, लेकिन यदि पाकिस्तान ईमानदारी से शांति चाहता है तो भारत हमेशा बातचीत को प्राथमिकता देगा।
सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि भारत की इस बार की रणनीति कहीं अधिक सटीक और निर्णायक रही। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि भारत की कूटनीतिक और सामरिक दृढ़ता का संकेत था। भारत ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी हमले का जवाब पुरानी नीति के तहत नहीं बल्कि सख्त प्रतिकार के साथ दिया जाएगा।
हालांकि यह संघर्षविराम पहली झलक है, लेकिन इसकी स्थायित्व पर कई सवाल अभी भी बाकी हैं। क्या पाकिस्तान वाकई अपनी नीति में बदलाव करेगा? क्या दोनों देश कश्मीर जैसे विवादित मुद्दों पर सार्थक बातचीत शुरू कर पाएंगे? क्या यह युद्ध के मुहाने से लौटकर आए संबंध स्थायित्व की ओर बढ़ पाएंगे?
इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएंगे। परंतु फिलहाल यह राहत की बात है कि दक्षिण एशिया के दो परमाणु शक्तिशाली पड़ोसी देशों ने युद्ध के बजाय वार्ता का मार्ग चुना है। यह कदम न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्रीय शांति के लिए भी अहम साबित हो सकता है।
अभी भी भारत की नीति स्पष्ट है सुरक्षा सर्वोपरि, लेकिन संवाद का रास्ता खुला। यही संयम और संकल्प आज भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मजबूत बना रहा है।