गुरु वंदना के अमृत क्षण: डॉ. कैलाश शर्मा के सम्मान में कटनी में ऐतिहासिक समारोह का आयोजन।
एक गुरु, जिनका जीवन बना हजारों विद्यार्थियों के सपनों की उड़ान; कटनी की धरती पर आयोजित होगा समर्पण और श्रद्धा का विराट आयोजन।
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
गुरु केवल वह नहीं जो शास्त्र पढ़ाए, बल्कि वह होता है जो शिष्य के जीवन को आलोकित कर उसे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए। ऐसे ही युगद्रष्टा, शिक्षाविद् और समाज-शिल्पी डॉ. कैलाश शर्मा के सम्मान में अमृत महोत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन दिनांक 1 जून 2025, दिन रविवार, समय सायं 4:00 बजे से, श्री राम दरबार सत्संग भवन, श्री बाल रामायण समाज सेवा समिति, सुक्खन अखाड़ा के पास, कटनी में किया जा रहा है।
डॉ. कैलाश शर्मा ने शिक्षा को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि तपस्या माना है। उन्होंने कक्षा की सीमाओं से परे जाकर विद्यार्थियों के जीवन को दिशा दी है। वे उन दुर्लभ शिक्षकों में से हैं, जिनकी दृष्टि केवल परीक्षा परिणामों पर नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के चरित्र, आत्मबल और जीवन मूल्यों के निर्माण पर रही है। उन्होंने शिक्षा को केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि समाजोत्थान का एक सशक्त उपकरण माना और उसी के अनुरूप कार्य किया।
उनकी जीवन यात्रा प्रेरणादायक ही नहीं, बल्कि अनुकरणीय भी रही है। जब कोई विद्यार्थी आर्थिक संकटों से जूझता, तब वे उसके लिए सहारा बनते। जब कोई छात्र आत्मविश्वास खो बैठता, वे उसकी आत्मा में भरोसे की लौ जलाते। वे न केवल विद्यार्थियों के शिक्षक रहे, बल्कि उनके अभिभावक, पथप्रदर्शक और संकटमोचक भी बनकर उभरे।
आज जब वे सक्रिय समाज के आशीर्वाद स्वरूप खड़े हैं, तो यह हम सभी शिष्यों का नैतिक और आत्मिक कर्तव्य बनता है कि हम उनके योगदान को समाज के सामने एक प्रेरणा स्वरूप प्रस्तुत करें। यही उद्देश्य लेकर यह अमृत महोत्सव एवं सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है, जिसमें न केवल उनके जीवन की साधना को रेखांकित किया जाएगा, बल्कि उनके शिष्यों द्वारा उन्हें समर्पित अनेक सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रस्तुतियां भी होंगी।
इस आयोजन में डॉ. शर्मा के अनेक पूर्व छात्र भी सम्मिलित होकर अपने गुरु के प्रति अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करेंगे। यह अवसर केवल एक शिक्षक के सम्मान का नहीं, बल्कि उस गुरु-शिष्य परंपरा की पुनर्स्थापना का होगा, जिसमें श्रद्धा, समर्पण और अपनत्व की गूंज होगी।
समारोह के संयोजक डॉ. सुरेन्द्र राजपूत ने बताया कि यह कार्यक्रम हर उस विद्यार्थी के दिल के बहुत करीब है, जिसने गुरुजी से सिर्फ पाठ्य ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन का सार पाया है। उन्होंने बताया कि समारोह में गुरुजी की शिक्षण यात्रा पर आधारित चित्र प्रदर्शनी, उनके शिष्यों द्वारा साझा किए गए संस्मरण, एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की विशेष श्रृंखला भी शामिल होगी।
कटनी की यह ऐतिहासिक शाम केवल एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और संबंधों की त्रिवेणी होगी। इस आयोजन में हर शिष्य को यह अवसर मिलेगा कि वह अपने गुरु को वह मान-सम्मान दे, जिसके वे सच्चे अधिकारी हैं। यह आयोजन हमारे उस सांस्कृतिक मूल की पुनर्पुष्टि भी है, जिसमें ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः’ केवल श्लोक नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है।
सभी शिष्यों और समाज के जागरूक नागरिकों से करबद्ध आग्रह है कि वे इस आयोजन में तन-मन-धन से सहभागी बनकर गुरु-भक्ति की इस अमूल्य परंपरा को जीवित रखें और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लें।