भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्ध जैसे हालात: हमलों, जवाबी कार्रवाई और परमाणु चेतावनियों से बढ़ा तनाव।

 भारत-पाकिस्तान सीमा पर युद्ध जैसे हालात: हमलों, जवाबी कार्रवाई और परमाणु चेतावनियों से बढ़ा तनाव।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत मिसाइल कार्रवाई, पाकिस्तान की परमाणु चेतावनी से स्थिति गंभीर।

कटनी,ग्रामीण खबर mp:

भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव ने एक बार फिर खतरनाक मोड़ ले लिया है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष भारतीय पर्यटक मारे गए, ने देशभर में रोष की लहर दौड़ा दी। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ नामक संगठन ने ली, जिसे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसके तुरंत बाद भारत सरकार ने जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए थे, और सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से एक सैन्य अभियान की शुरुआत की गई।

इस सैन्य कार्रवाई के अंतर्गत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के पंजाब और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में स्थित 14 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के लगभग 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं। भारतीय वायुसेना और थलसेना की संयुक्त कार्रवाई में अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली और ड्रोन तकनीक का प्रयोग किया गया।

इन हमलों के बाद पाकिस्तान की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय हमले का सख्त जवाब दिया गया है। पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसके वायुसेना ने कई भारतीय ड्रोन और लड़ाकू विमान मार गिराए हैं। इसके अलावा, भारत के सीमावर्ती सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने एक तीखा बयान देते हुए कहा कि यदि भारत ने किसी भी प्रकार की और आक्रामकता दिखाई तो पाकिस्तान परमाणु विकल्प को भी खारिज नहीं करेगा। इस बयान ने क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गंभीर चिंता उत्पन्न कर दी है।

वर्तमान में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तनाव चरम पर है। पुंछ, उरी, रजौरी और कठुआ जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में लगातार गोलाबारी हो रही है। इन इलाकों में नागरिकों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन ने स्कूल और कॉलेज बंद करवा दिए हैं। अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं चालू हैं लेकिन बमबारी और गोलीबारी के चलते पहुंच में कठिनाई आ रही है। कई नागरिक बंकरों और सुरक्षित स्थलों की ओर पलायन कर चुके हैं।

भारत सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इसका सीधा असर पाकिस्तान में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति पर पड़ सकता है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्री ने इसे 'युद्ध की घोषणा' के समान करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग की है। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से इस मुद्दे पर त्वरित हस्तक्षेप की अपील की है।

इस पूरी स्थिति ने वैश्विक समुदाय को भी सतर्क कर दिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, रूस और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की है। हालांकि, फिलहाल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक वार्ता के कोई संकेत नहीं हैं। सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को पूरी तरह अलर्ट पर रखा गया है और कई क्षेत्रों में अतिरिक्त सैन्य टुकड़ियां भेजी गई हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष यदि नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह पूर्ण युद्ध में बदल सकता है। चूंकि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, इसलिए कोई भी चूक वैश्विक शांति और मानवता के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है। भारत और पाकिस्तान के बीच यह स्थिति केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता पर पड़ेगा।

इस संकट की घड़ी में दोनों देशों के आम नागरिक सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। सीमावर्ती इलाकों में जनजीवन ठप हो गया है। हजारों परिवार विस्थापन का सामना कर रहे हैं। अस्पतालों में दवाइयों की कमी, राशन वितरण की बाधाएं और सुरक्षा को लेकर भय लोगों की दैनिक जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं।

इस समय आवश्यकता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तत्काल हस्तक्षेप करे और दोनों देशों को युद्ध की राह से हटाकर संवाद की मेज पर लाए। इतिहास गवाह है कि युद्ध से किसी का भला नहीं हुआ, और मौजूदा परिस्थितियों में शांति ही सबसे बड़ी जरूरत है।

उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों की सरकारें समझदारी दिखाते हुए कूटनीतिक विकल्पों को प्राथमिकता देंगी और दक्षिण एशिया को एक और विनाशकारी युद्ध से बचाएंगी


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp
संपर्क सूत्र:9977110734

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