भारत-पाकिस्तान तनाव,संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय ने जताई गहरी चिंता, भारत ने दिया कड़ा संदेश।

 भारत-पाकिस्तान तनाव,संयुक्त राष्ट्र और विश्व समुदाय ने जताई गहरी चिंता, भारत ने दिया कड़ा संदेश।

यूएन ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की, भारत ने पाकिस्तान को बताया 'आतंकवाद का गढ़', वैश्विक ताकतें मध्यस्थता को तैयार।

कटनी,ग्रामीण खबर mp:

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य टकराव ने दक्षिण एशिया की राजनीतिक स्थिरता को एक बार फिर संकट में डाल दिया है। दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे की सैन्य और आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमलों ने तनाव को उस स्तर तक पहुंचा दिया है जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं भी तेज हो गई हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से लेकर अमेरिका, चीन, ईरान और खाड़ी देशों तक, हर प्रमुख शक्ति दोनों देशों से संयम और संवाद की अपील कर रही है।

भारत द्वारा संचालित ऑपरेशन "सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के रावलपिंडी, शोरकोट और चकवाल स्थित एयरबेस पर मिसाइल हमले किए गए। इन हमलों में भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के वरिष्ठ नेता अब्दुल रऊफ असहर को मार गिराने का दावा किया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वांछित आतंकवादी था। पाकिस्तान ने इसके जवाब में "बुनयान-उल-मर्सूस" नामक ऑपरेशन चलाते हुए भारत के पठानकोट और उधमपुर एयरबेस पर मिसाइल हमले किए और भारतीय S-400 रक्षा प्रणाली को निशाना बनाने का दावा किया।

इन घटनाओं के बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने स्थिति को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि यह समय अधिकतम संयम का है। उन्होंने दो टूक कहा कि दुनिया भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण सैन्य संघर्ष का जोखिम नहीं उठा सकती। इसके साथ ही, पाकिस्तान की अपील पर हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में परिषद के सदस्यों ने द्विपक्षीय संवाद को प्राथमिकता देने की बात कही और किसी बाहरी हस्तक्षेप से परहेज किया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि परवथनेनी हरीश ने पाकिस्तान को आतंकवाद का वैश्विक केंद्र करार देते हुए कहा कि पाकिस्तान की धरती पर 20 से अधिक संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन सक्रिय हैं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर कोई विवाद नहीं है।

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने कड़े भाषण में पाकिस्तान को चेताया कि यदि वह सीमा पार आतंकवाद की नीति से बाज नहीं आया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र लंबित मुद्दा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत में मिलाना है।

इस बीच वैश्विक ताकतों की प्रतिक्रियाएं भी तेज़ हो गई हैं। अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, हालांकि वह सीधे हस्तक्षेप से बचता नजर आया है। चीन ने तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए संवाद का समर्थन किया है, जबकि ईरान और सऊदी अरब जैसे देश सक्रिय रूप से शांति प्रयासों की पहल कर रहे हैं। कतर और संयुक्त अरब अमीरात ने भी मध्यस्थता की पेशकश की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि खाड़ी देश इस टकराव को हल करने में भूमिका निभाना चाहते हैं।

पाकिस्तान ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपने वायु क्षेत्र को बंद कर दिया है और नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई है, जो परमाणु हथियार नीति से संबंधित फैसले लेती है। वहीं भारत ने भी एहतियातन जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात सहित कई सीमावर्ती क्षेत्रों के 32 एयरबेस पर 15 मई तक नागरिक उड़ानों पर रोक लगा दी है।

सीमा पर लगातार ड्रोन हमले, गोलीबारी और हताहतों की खबरें आ रही हैं। नागरिक क्षेत्रों में डर का माहौल है और हजारों लोगों को अस्थायी शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है और सेना, वायुसेना तथा नौसेना के संयुक्त कमान के तहत निगरानी बढ़ा दी गई है।

भारत द्वारा की गई कार्रवाई को उसकी आत्मरक्षा का अधिकार बताया जा रहा है, जबकि पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार दे रहा है। दोनों देशों के मीडिया में भी एक तरह का युद्धकालीन प्रचार देखा जा रहा है, जिससे आम जनता के बीच असमंजस और तनाव और अधिक गहरा गया है।

इस परिस्थिति में वैश्विक समुदाय की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है। जहां एक ओर यह संकट किसी भी समय बड़े पैमाने पर युद्ध का रूप ले सकता है, वहीं दूसरी ओर यदि उचित समय पर मध्यस्थता और कूटनीति अपनाई जाती है, तो एक विनाशकारी टकराव को टाला जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र और दुनिया की प्रमुख शक्तियों की यही कोशिश है कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के रास्ते पर लौटें और युद्ध की बजाय शांति को प्राथमिकता दें। यह न केवल दक्षिण एशिया बल्कि पूरे विश्व की सुरक्षा और स्थिरता के लिए अनिवार्य है।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी, ग्रामीण खबर mp
संपर्क सूत्र:9977110734

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