"काश ऐसा हो जाए": विदिशा में साहित्यिक चेतना का नया सूर्योदय।
प्रख्यात रचनाकार राजेंद्र जैन "रमण" के प्रथम काव्य संग्रह का गरिमामय विमोचन समारोह, नगर के वरिष्ठ साहित्यकारों, राजनेताओं व कला प्रेमियों की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न।
विदिशा, ग्रामीण खबर MP:
ऐतिहासिक नगरी विदिशा की समृद्ध काव्य परंपरा में एक और प्रेरणास्पद अध्याय जुड़ गया, जब नगर के प्रतिष्ठित रचनाकार राजेंद्र जैन "रमण" के प्रथम काव्य संकलन *"काश ऐसा हो जाए"* का विमोचन समारोह सुसंस्कृत वातावरण में संपन्न हुआ। यह गरिमामय आयोजन मानव सेवा न्यास के सभागार में सायंकाल 6:00 बजे सम्पन्न हुआ, जिसमें मध्य प्रदेश शासन के पूर्व वित्त मंत्री श्री राघव जी और सुप्रसिद्ध समाजसेवी एवं राजनेता श्री हृदय मोहन जैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह में नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, साहित्य प्रेमी एवं रचनाकारों की सक्रिय भागीदारी रही।
विमोचन समारोह की शुरुआत भगवान महावीर स्वामी के समक्ष णमोकार महामंत्र के उच्चारण एवं मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन और पूजन के साथ हुई। इसके उपरांत कार्यक्रम की भावभीनी शुरुआत प्रीति जैन द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती वंदना से हुई, जिसे रचनाकार रमन जी के चार वर्षीय पौत्र मास्टर कलश द्वारा गाए गए भजन "अच्युतम केशवम" ने संगीतमय गरिमा प्रदान की।
समारोह में स्वागत भाषण जैन महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. शोभा राजेंद्र जैन ने प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने अतिथियों का स्वागत करते हुए कवि रमन के रचनात्मक व्यक्तित्व और साहित्यिक यात्रा पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कालूराम पथिक ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री राघव जी, श्री हृदय मोहन जैन, श्री अतुल शाह, श्री महेंद्र जैन बंट, एवं श्री अशोक जैन (सेवानिवृत्त एस.ई.) उपस्थित रहे। इन सभी मंचासीन विद्वानों द्वारा *"काश ऐसा हो जाए"* काव्य संग्रह का औपचारिक विमोचन किया गया।
इसके पश्चात स्वयं कवि राजेंद्र जैन "रमण" ने मंच पर उपस्थित होकर अपने विचारों को साझा किया तथा संग्रह से चुनिंदा रचनाओं का प्रभावशाली पाठ कर श्रोताओं की तालियों से वातावरण को साहित्यिक ऊर्जा से भर दिया।
समारोह के दौरान विदिशा के वरिष्ठ कवियों - उदय ढोली, सुल्तान सिंह हाड़ा, एवं राजेंद्र श्रीवास्तव द्वारा काव्य संग्रह की समीक्षात्मक प्रस्तुति दी गई, जिसमें उन्होंने रचना की गहराई, भावानात्मकता और सामाजिक सरोकारों पर विस्तार से चर्चा की।
तत्पश्चात मंचासीन अतिथियों – श्री राघव जी भाई, श्री हृदय मोहन जैन, कालूराम पथिक और डॉ. शीलचंद पालीवाल ने अपने-अपने विचार रखते हुए कवि रमन की लेखनी को समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
कार्यक्रम का सुंदर संचालन प्रख्यात कवि, शायर एवं मंच संचालक पंडित संतोष शर्मा "सागर" द्वारा किया गया।
इस साहित्यिक आयोजन का समापन कवि रमन के सुपुत्र इंजीनियर रूपक जैन द्वारा प्रस्तुत आभार प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, आयोजकों एवं श्रोताओं का हार्दिक धन्यवाद व्यक्त किया।