श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की भक्ति में डूबे श्रद्धालु, अतरसुमा में भागवत कथा के दौरान भजन-कीर्तन व नृत्य से गूंज उठा वातावरण।
ग्राम अतरसुमा में चल रही भागवत कथा में श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास से मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, कथावाचक आचार्य अनिल कुमार का हुआ सम्मान।
सिलौंडी, ग्रामीण खबर mp:
सिलौंडी क्षेत्र के समीपवर्ती ग्राम अतरसुमा में धर्म और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है, जहां चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस पर आज श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। कथा वाचक पंडित आचार्य श्री अनिल कुमार ने जब भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की पावन कथा का वर्णन किया, तो पूरा पंडाल भक्तिरस में डूब गया। श्रीकृष्ण जन्म के दृश्य को सुनते ही श्रद्धालुओं ने घंटियों, शंखनाद और जयघोष के साथ भजन-कीर्तन करते हुए नृत्य करना प्रारंभ कर दिया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं द्वापर युग धरती पर उतर आया हो।
कार्यक्रम की गरिमा उस समय और बढ़ गई जब सिलौंडी मंडल के उपाध्यक्ष अमित राय, कार्यालय मंत्री विनोद राय और नरेंद्र दहिया ने कथावाचक आचार्य अनिल कुमार का माल्यार्पण कर विधिवत सम्मान किया और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों से समाज में संस्कार, एकता और सद्भाव का संचार होता है तथा यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाते हैं।
इस आयोजन के प्रमुख यजमान कमलेश परौहा और गीता परौहा ने कथा के सफल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त पूर्व जनपद सदस्य राधा राय, जगनाथ गौतम, श्री लाल काछी, नैतिक दाहिया, आरती, प्रीति, संध्या गौतम, राम सुषमा तिवारी तथा मीडिया प्रभारी धीरज जैन की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमामय बना दिया। महिला श्रद्धालुओं द्वारा प्रस्तुत भजनों और बच्चों की रासलीला नाट्य प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कथा स्थल को भव्य रूप से सजाया गया था, जहां चारों ओर रौशनी, फूलों की मालाएं और धार्मिक ध्वजों से वातावरण अलौकिक प्रतीत हो रहा था। श्रद्धालु सुबह से ही कथा स्थल पर पहुँचने लगे थे और रात्रि तक भजन-कीर्तन व प्रसाद वितरण का क्रम अनवरत चलता रहा। क्षेत्र के लोगों ने इस आयोजन को धर्म, आस्था और संस्कृति का उत्सव बताते हुए इसे हर वर्ष आयोजित करने की इच्छा भी जताई।
इस आयोजन ने न केवल धार्मिक चेतना को जागृत किया बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी एक सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। आयोजकों और ग्रामवासियों की सक्रिय सहभागिता के चलते यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और भव्यता का प्रतीक बन गया है।