श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण-रुकमणी विवाह प्रसंग पर उमड़ा जनसैलाब,श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगा अतरसुमा गांव।
सिलौंडी के अतरसुमा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथावाचक पंडित अनिल कुमार की वाणी से गूंजा धर्म का संदेश, भक्तों ने भगवान की बारात में किया भजन-नृत्य।
सिलौंडी,ग्रामीण खबर mp:
सिलौंडी क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम अतरसुमा में बीते कुछ दिनों से श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन चल रहा है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन कथा श्रवण कर रहे हैं। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक भावना को जागृत करना है, बल्कि ग्रामीण समाज को एक सूत्र में बांधकर सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देना है। इस शुभ अवसर पर सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित श्री अनिल कुमार जी के श्रीमुख से श्रीकृष्ण लीला के विभिन्न प्रसंगों का श्रवण कराने का सौभाग्य उपस्थित श्रद्धालुओं को प्राप्त हो रहा है।
आज की कथा में आचार्य जी ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंस वध की कथा सुनाई, जिसमें भगवान ने अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना की। इसके पश्चात रुकमणी विवाह का प्रसंग अत्यंत श्रद्धा एवं उल्लास से सुनाया गया। जैसे ही आचार्य जी ने श्रीकृष्ण द्वारा रुकमणी के हरण और विवाह का वर्णन आरंभ किया, पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा के इस प्रसंग को सुनते ही श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए और अनेक लोगों ने भगवान की बारात की अनुभूति करते हुए भजन व नृत्य में भाग लिया। समस्त वातावरण भक्ति रस में डूब गया।
कथा में प्रमुख यजमान के रूप में कमलेश परौहा एवं गीता परौहा की उपस्थिति रही, जिन्होंने विधिवत पूजन-अर्चन कर आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया। इस पावन आयोजन में सिलौंडी मंडल अध्यक्ष मनीष सिंह बागरी एवं पूर्व मंडल अध्यक्ष प्रशांत राय ने विशेष रूप से भाग लिया एवं कथावाचक पंडित अनिल कुमार जी का शाल व श्रीफल भेंटकर सम्मान किया। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने हेतु आचार्य जी के योगदान की सराहना की और ग्रामीण संस्कृति को जीवंत बनाए रखने की अपील की।
इस आयोजन में मंडल उपाध्यक्ष अमित राय, संतोष विश्वकर्मा, जगनाथ गौतम, प्रकाश राय, रंजीत साहू, रामनाथ काछी, राजेंद्र गौतम, परदेशी काछी, भात सिंह बागरी, आरती, प्रीति, संध्या गौतम, राम सुषमा तिवारी, सोशल मीडिया प्रभारी धीरज जैन सहित अनेक गणमान्य ग्रामीणजन की सक्रिय सहभागिता रही। आयोजन स्थल पर शांति, अनुशासन और भक्ति का वातावरण बना रहा, जिससे सभी आगंतुकों को अध्यात्मिक आनंद की अनुभूति हुई।
कथा के अंतिम चरणों में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा धर्म स्थापना हेतु किए गए विविध प्रयासों का भावपूर्ण वर्णन हुआ, जिसने ग्रामीणों के अंतःकरण को स्पर्श किया। श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को धर्म व समाज सेवा का अनूठा संगम बताते हुए आयोजकों का आभार प्रकट किया।
गांव अतरसुमा की पावन भूमि श्रीमद्भागवत कथा के इस आयोजन से पुनः धर्म, संस्कृति और एकता की मिसाल बन गई है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को आध्यात्मिक मूल्यों से जोड़ने की प्रेरणा बनेगा।