सिहोरा जिला आंदोलन उफान पर,पूर्व संघ प्रचारक ने शुरू किया अन्न सत्याग्रह,9 दिसंबर से अन्न-जल त्याग का ऐलान।
सद्बुद्धि यज्ञ में उमड़ा जनसमूह,चौथे दिन भी क्रमिक भूख हड़ताल जारी,सभी समाजों की भागीदारी से प्रशासन पर बढ़ा दबाव।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।
सिहोरा जिला आंदोलन अब उस निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां जनता का धैर्य और संघर्ष दोनों ही चरम पर दिखाई दे रहे हैं। वर्षों से लंबित पड़ी जिला मांग को लेकर चल रहा जनआंदोलन शनिवार को एक नए चरण में प्रवेश कर गया, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रचारक प्रमोद साहू ने अन्न त्याग कर अन्न सत्याग्रह की औपचारिक शुरुआत की। उनके इस कदम ने पूरे आंदोलन में नई ऊर्जा, नया जोश और नया संकल्प भर दिया है।
अन्न सत्याग्रह शुरू करने से पहले काल भैरव चौक स्थित मंदिर परिसर में भव्य सद्बुद्धि यज्ञ आयोजित किया गया, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में स्थानीय नागरिकों, महिलाओं, युवाओं, किसानों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। लोगों ने हवन कुण्ड में आहुति डालकर यह कामना की कि सरकार और प्रशासन को सिहोरा की उपेक्षित मांग पर सही समय पर उचित निर्णय लेने की सद्बुद्धि प्राप्त हो। यज्ञ के दौरान चौक में उपस्थित जनसैलाब ने यह साफ संदेश दिया कि सिहोरा अब और इंतजार करने को तैयार नहीं है।
उधर पुराने बस स्टैंड स्थित धरना स्थल पर आंदोलन के चौथे दिन भी क्रमिक भूख हड़ताल पूरे उत्साह के साथ जारी रही। खास बात यह रही कि मुस्लिम समाज के बड़ी संख्या में लोगों ने इस दिन भूख हड़ताल पर बैठकर आंदोलन को सार्वजनिक समर्थन दिया। उनके बैठते ही पूरे स्थल पर एकता, भाईचारे और सामूहिक संघर्ष का वातावरण बन गया। इससे यह संदेश और मजबूत हुआ कि सिहोरा जिला आंदोलन किसी व्यक्ति, समूह, विचारधारा या समाज का नहीं, बल्कि पूरे सिहोरा क्षेत्र का जनांदोलन है।
दिनभर शहरभर में जिला मांग को लेकर चर्चाएं, बैठकों और जनसमर्थन की गतिविधियाँ जारी रहीं। बाजारों में दुकानदारों ने आंदोलनकारियों के समर्थन में अपने प्रतिष्ठानों पर जिला बनाने के पोस्टर लगाए। युवाओं ने सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण कर पूरे जिले और प्रदेश में आंदोलन की गूंज पहुंचाई। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर समर्थन का ऐलान करते हुए कहा कि अब सिहोरा की आवाज दबाकर नहीं रखी जा सकती।
जनता का आरोप है कि सरकार ने वर्षों से सिहोरा की उपेक्षा की है, जबकि जनसंख्या, भौगोलिक क्षेत्र, ऐतिहासिक महत्व, यातायात सुविधा, प्रशासनिक ढाँचा और विधानसभा सीटों के आधार पर सिहोरा जिला बनने की पूरी पात्रता रखता है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब कई छोटे क्षेत्रों को जिला दर्जा देकर विकसित किया जा रहा है, तब सिहोरा की अनदेखी समझ से परे है।
आंदोलनकारियों ने दावा किया कि सरकार अब भी यदि सोई रही, तो आंदोलन और अधिक उग्र होगा। उनका कहना था कि 9 दिसंबर से अन्न के साथ जल का त्याग कर आमरण सत्याग्रह शुरू किया जाएगा। यह घोषणा जैसे ही धरना स्थल पर की गई, उपस्थित हजारों लोगों ने हाथ उठाकर इस फैसले का समर्थन किया और कहा कि यह संघर्ष अब पीछे मुड़ने वाला नहीं है। जनता का स्पष्ट संदेश है कि जब तक सिहोरा को जिला घोषित नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन एक-एक कदम आगे बढ़ता रहेगा।
धरना स्थल पर लगातार बढ़ती भीड़ ने प्रशासन को भी चिंतित कर दिया है। स्थिति यह है कि रोजाना बढ़ते जनसमूह, सभी समाजों की एकजुटता, युवाओं की सक्रियता और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने आंदोलन को एक व्यापक रूप दे दिया है। यह सिर्फ जिला दर्जे की मांग का आंदोलन नहीं रहा, बल्कि अब यह जनता के सम्मान, स्वाभिमान और अधिकारों से जुड़ा संघर्ष बन चुका है।
धार्मिक, सामाजिक, व्यावसायिक और सामुदायिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सिहोरा की जनता अब जाग चुकी है और किसी भी कीमत पर अपनी मांग से पीछे नहीं हटेगी। लोगों ने यह भी कहा कि प्रशासन को संवाद के रास्ते खोलने चाहिए, अन्यथा स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
इस बीच, क्षेत्र के अनेक गांवों से भी प्रतिनिधिमंडल धरना स्थल पहुँचे और जिला आंदोलन के समर्थन में संकल्प लिया। आसपास के कस्बों, ग्रामीण क्षेत्रों और दूरस्थ गांवों से भी लगातार लोग धरना स्थल पर पहुँचकर जनसमर्थन जता रहे हैं।
ये बैठे क्रमिक भूख हड़ताल पर — मुस्लिम समाज के नासिर खान, गुड्डू कुरैशी, यार मुहम्मद, नजीम मंसूरी, साजिद अंसारी, मंसूर मंसूरी, मो. हसन, मौलाना मुहम्मद यूसुफ, बकरीदी अंसारी, जानी मंसूरी, मोहम्मद शाह, नवाब कुरैशी, महमूद खान, गुड्डा पठान, हाफिज अजहर, असपाक खान, मो. उवैस, अनीस भाई, सकील भाई, नसीम उल्हक, शेख मुबारक।
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