आठ माह बाद लगी हिरन नदी हाईवे पुल की रेलिंग,अब बहाल हुई सुरक्षा,NHAI की सुस्ती पर उठे सवाल।

 आठ माह बाद लगी हिरन नदी हाईवे पुल की रेलिंग,अब बहाल हुई सुरक्षा,NHAI की सुस्ती पर उठे सवाल।

राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर आठ महीनों से टलता रहा सुधार कार्य,अब वाहन चालकों को मिली राहत,बुद्धिजीवियों ने कहा ‘देर आए दुरुस्त आए।

सिहोरा,ग्रामीण खबर MP।

राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 (जबलपुर–सिहोरा फोरलेन सड़क मार्ग) पर स्थित हिरन नदी पुल की रेलिंग आखिरकार आठ महीने बाद बदल दी गई है। घाट सिमरिया के पास बने इस पुल के आरंभ में लगी मजबूत लोहे की रेलिंग अप्रैल 2025 में एक वाहन की टक्कर से क्षतिग्रस्त हो गई थी। लगभग 25 फुट तक टूटी रेलिंग के कारण पुल के किनारे की सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित हो गई थी, जिससे वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों, पैदल यात्रियों और मवेशियों को निरंतर खतरा बना हुआ था।

पुल के पास यह रेलिंग सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत आवश्यक थी, क्योंकि पुल के नीचे गहरी खाई है और थोड़ी सी चूक होने पर बड़ा हादसा हो सकता था। रेलिंग टूटने के बाद स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी मरम्मत की मांग की, लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने लंबे समय तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। केवल अस्थायी रूप से सीमेंट के पत्थर रखकर और उन पर रेडियम लगाकर विभाग ने काम चलाया। बीच-बीच में रस्सियाँ बाँध दी गईं, जो खतरे को और बढ़ाती रहीं। यह स्थिति आठ महीने तक बनी रही और लोगों में विभागीय लापरवाही को लेकर नाराजगी बढ़ती गई।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अप्रैल से नवंबर तक इस पुल के किनारे बने अस्थायी इंतज़ामों से कई बार हादसे टले। अंधेरे में या तेज गति से गुजरते समय कई वाहन चालकों को अचानक मोड़ पर रखे गए पत्थरों और रस्सियों की वजह से गाड़ी संभालनी पड़ी। लोग बार-बार शिकायतें करते रहे, लेकिन कार्रवाई में देर होती रही। यह सुस्ती न केवल विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सड़क सुरक्षा को किस तरह अनदेखा किया जा रहा था।

आखिरकार नवंबर 2025 में NHAI की टीम ने मौके पर पहुंचकर रेलिंग को बदलने का कार्य शुरू किया। नई मजबूत लोहे की रेलिंग लगने के बाद अब पुल की सुरक्षा व्यवस्था पहले की तुलना में कहीं अधिक सुदृढ़ हो गई है। अब वाहन चालक, दोपहिया सवार, विद्यार्थी और अन्य राहगीर इस मार्ग से निश्चिंत होकर गुजर सकते हैं।

स्थानीय बुद्धिजीवियों और नागरिकों ने इस कार्य पर संतोष जताते हुए कहा कि यह कदम भले ही देर से उठाया गया हो, लेकिन ‘देर आए दुरुस्त आए’ की कहावत को सच साबित करता है। उन्होंने कहा कि सड़क और पुल की सुरक्षा से जुड़े कार्यों में देरी का मतलब सीधे तौर पर जनसुरक्षा से समझौता है, जिसे आगे रोकना जरूरी है।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी कहा कि जबलपुर–सिहोरा हाईवे पर ट्रैफिक लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में पुलों और किनारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। हर दिन हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं, जिनमें स्कूली बच्चे, यात्री बसें, ट्रक और निजी वाहन शामिल हैं। यदि रेलिंग जैसी मूलभूत सुरक्षा ढांचा समय पर दुरुस्त न हो, तो मामूली लापरवाही भी बड़े हादसे में बदल सकती है।

रेलिंग लगने के बाद अब यह पुल पहले से कहीं अधिक सुरक्षित दिखता है। नई रेलिंग को सड़क की ऊँचाई और ढाल के अनुसार डिजाइन किया गया है, जिससे वाहनों की दिशा नियंत्रित रहती है। स्थानीय दुकानदारों और ग्रामीणों ने कहा कि यह कार्य समय रहते किया जाना चाहिए था, क्योंकि गर्मी, बरसात और त्योहारी सीजन के दौरान यहाँ लगातार ट्रैफिक दबाव बना रहा।

नागरिकों ने साथ ही यह भी सुझाव दिया है कि पुलों और राजमार्गों की समय-समय पर तकनीकी जांच अनिवार्य की जानी चाहिए। रेलिंग, संकेतक बोर्ड, लाइट और रिफ्लेक्टर जैसी व्यवस्थाओं को नियमित रखरखाव के तहत अद्यतन रखा जाए, ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके।

इस पूरी प्रक्रिया से यह साफ है कि बुनियादी ढांचे की उपेक्षा से जनता की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। हिरन नदी पुल की रेलिंग का बदलना केवल एक सुधार नहीं, बल्कि यह एक संदेश है कि सड़क सुरक्षा की अनदेखी कितनी बड़ी जोखिम बन सकती है। NHAI से उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी स्थितियाँ दोबारा न बनें और किसी भी क्षति की तत्काल मरम्मत सुनिश्चित की जाए।

स्थानीय लोगों ने अंत में कहा कि अब जब पुल पर नई रेलिंग लग चुकी है, तो आवागमन पहले से अधिक सहज और सुरक्षित महसूस हो रहा है। लेकिन इस सुधार के साथ यह जिम्मेदारी भी तय होती है कि आगे किसी भी निर्माण या रखरखाव में ऐसी लापरवाही दोहराई न जाए। यह उदाहरण न केवल हिरन नदी पुल के लिए बल्कि पूरे जबलपुर–कटनी राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र के लिए एक सबक बनना चाहिए।

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