भक्ति कोई प्रदर्शन नहीं,यह तो अंतर का भाव है,जब मन निर्मल होता है,तभी भगवान कृपा करते हैं-इंद्रेश महाराज।
इंद्रेश जी महाराज की कथा सुनने उमड़ा आस्था का सैलाब,कथा व्यास का संजय पाठक व फिल्म अभिनेता आशुतोष राना ने किया स्वागत पूजन।
कटनी,ग्रामीण खबर MP।
झिंझरी स्थित श्रीकृष्ण वृद्ध आश्रम प्रांगण, दद्दा धाम में गृहस्थ संत परम पूज्य गुरुदेव अनंत विभूषित पं. देव प्रभाकर शास्त्री “दद्दा जी” की असीम कृपा से जारी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव, असंख्य पार्थिव शिवलिंग निर्माण, महारुद्राभिषेक एवं अमृतमयी कथा में श्रद्धा, भक्ति और आस्था का अनुपम संगम देखने को मिल रहा है। दद्दा धाम का संपूर्ण वातावरण इन दिनों भक्ति के रंग में रंगा हुआ है, जहां सुबह से लेकर रात्रि तक हर क्षण हर हृदय में दिव्यता की अनुभूति हो रही है।
आज के प्रथम दिवस की कथा में भारतवर्ष के प्रसिद्ध संत इंद्रेश उपाध्याय महाराज (श्रीधाम वृंदावन) ने अपने मधुर भजनों और दिव्य प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं के हृदयों को भक्ति से सराबोर कर दिया। जैसे-जैसे उनके मुखारविंद से भक्ति, प्रेम और गुरु-भक्ति के सूत्र प्रवाहित हुए, वैसे-वैसे वातावरण में अध्यात्म का माधुर्य व्याप्त होता गया। श्रद्धालु जनमानस कभी भजन पर झूमता, तो कभी आँखों में आँसू लिए भक्तिभाव में डूब जाता।
कथा आरंभ से पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं 8 वी. डी. शर्मा, पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, विधायक रीति पाठक, प्रणय पांडे, विजेंद्र प्रताप सिंह, लखन घनघोरिया, अर्चना चिटनिस, दीपक सोनी टंडन, पूर्व विधायक नीरज दीक्षित सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिकों ने मंदिर पहुँचकर पूजा-अर्चना की एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आशीर्वाद प्राप्त किया। सभी ने दद्दा जी के चरणों में नमन करते हुए इस आयोजन को आत्मिक अनुभव बताया।
इंद्रेश महाराज ने अपने ब्रजभाषा में ओजस्वी प्रवचन के दौरान कहा कि मनुष्य तभी सच्चे अर्थों में जीवन का आनंद अनुभव कर सकता है, जब वह अहंकार का त्याग कर ईश्वर की शरण में आता है। उन्होंने कहा, “भक्ति कोई प्रदर्शन नहीं, यह तो अंतर का भाव है। जब मन निर्मल होता है, तभी भगवान कृपा करते हैं।”
महाराज ने आगे कहा कि संसार का सुख क्षणिक है, परंतु भक्ति और सेवा का आनंद शाश्वत है। उन्होंने समझाया कि प्रेम ही परमात्मा का साक्षात स्वरूप है, और जो प्रेम में लीन है, वही सच्चा भक्त कहलाता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब तक प्रेम और भक्ति के मार्ग पर नहीं चलता, तब तक उसका जीवन अधूरा है, क्योंकि भक्ति ही जीवन का आधार है।
इंद्रेश महाराज ने गुरु महिमा पर विस्तार से कहा कि माता-पिता ही प्रथम गुरु होते हैं, और उनकी प्रसन्नता ही सबसे बड़ी तपस्या है। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा रहता है, क्योंकि गुरु के शब्द और भाव दोनों ही शिष्य के जीवन का दीपक बनते हैं। उन्होंने कहा कि दद्दा जी की कृपा से इस धरा पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण जैसे पुण्य कार्यों में सहभागिता करना इस लोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी है। गुरु की शरण में जाने वाला व्यक्ति जन्म-मृत्यु के दुख से पार हो जाता है, क्योंकि गुरु ही वह सेतु हैं जो जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ते हैं।
अपने प्रवचन में उन्होंने बताया कि भक्ति का सच्चा अर्थ बाहरी आडंबरों में नहीं, बल्कि भीतर के भाव में निहित है। जब मन निर्मल और हृदय पवित्र हो जाता है, तभी भगवान की कृपा स्वतः प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि आज का मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं में उलझकर अपने मूल स्वरूप से दूर हो गया है। लेकिन जब वह स्वयं को ईश्वर की शरण में समर्पित करता है, तभी सच्चे सुख का अनुभव करता है।
महाराज ने भक्तों से कहा कि प्रेम, करुणा, सेवा और विनम्रता — यही सच्चे धर्म के स्तंभ हैं। उन्होंने समाज में प्रेम और सद्भाव फैलाने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी भी धर्म या मार्ग की सार्थकता तभी है जब उसमें मानवता और दया का भाव विद्यमान हो। उन्होंने कहा कि मंदिर केवल पत्थर की संरचना नहीं, बल्कि यह हमारे भावों का केंद्र और ईश्वर के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति का स्थान है।
इंद्रेश महाराज ने अपने प्रवचन में दद्दा जी की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल अध्यात्म का प्रकाश फैलाया है, बल्कि लोककल्याण और सेवा की प्रेरणा दी है। उनके आशीर्वाद से यह धरा पवित्र और ऊर्जा से परिपूर्ण है। उन्होंने श्रद्धालुओं से कहा कि वे इस पुण्य अवसर पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें, जिससे समस्त परिवार और वंश को शिवकृपा प्राप्त हो सके।
प्रवचन के अंत में महाराज ने कटनी की पावन धरा को विंध्य-बघेलखण्ड, महाकौशल और बुंदेलखण्ड के मध्य का विशेष क्षेत्र बताते हुए कहा कि यह भूमि अध्यात्म, सेवा और संत परंपरा की अखंड धारा से अनुप्राणित है। यहां के लोगों में आस्था, सेवा और सद्भाव का अनोखा संगम देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि दद्दा जी के मार्गदर्शन में यह धरा भविष्य में भी भक्ति और संस्कृति का आलोक फैलाती रहेगी।
कथा के समापन पर श्रद्धालुओं ने महाराज के चरणों में प्रणाम कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरा दद्दा धाम हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा। कार्यक्रम के दौरान संतों, कलाकारों और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर धर्मध्वजा की आराधना की और भारत की सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
ग्रामीण खबर MP-
जनमानस की निष्पक्ष आवाज
प्रधान संपादक:अज्जू सोनी |संपर्क:9977110734







