सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की अनुपस्थिति से ग्रामीण परेशान,56 गांवों की सेहत भगवान भरोसे।

 सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की अनुपस्थिति से ग्रामीण परेशान,56 गांवों की सेहत भगवान भरोसे।

नियुक्ति के बावजूद डॉक्टर प्रदीप कुमार ओपीडी समय में नहीं रहते उपस्थित,गंभीर मरीजों को इलाज के लिए 90 किलोमीटर दूर कटनी मुख्यालय तक करना पड़ता है सफर।

सिलौंडी,ग्रामीण खबर MP।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा एक बार फिर ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की नियुक्ति तो की गई है, परंतु डॉक्टर प्रदीप कुमार अधिकांश समय अपने पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पान उमरिया में ही व्यस्त रहते हैं। परिणामस्वरूप सिलौंडी और आसपास के दर्जनों गांवों के मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।

सिलौंडी क्षेत्र का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लगभग 56 गांवों की आबादी के स्वास्थ्य का एकमात्र सहारा है। यहां डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण सामान्य से लेकर गंभीर बीमारी के मरीजों को भी कटनी मुख्यालय तक लगभग 90 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। यह स्थिति विशेष रूप से गरीब, वृद्ध और असहाय मरीजों के लिए बेहद कष्टदायक बन जाती है।

ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टर प्रदीप कुमार की नियुक्ति सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए की गई है, लेकिन वे यहां नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते। ओपीडी समय में डॉक्टर साहब के न मिलने से मरीजों को या तो compounder के भरोसे रहना पड़ता है या फिर महंगे निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ता है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ता है और कई बार समय पर इलाज न मिलने के कारण स्थिति गंभीर भी हो जाती है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि डॉक्टर प्रतिदिन निर्धारित समय पर सिलौंडी केंद्र में उपस्थित रहें, तो मरीजों को न केवल प्राथमिक उपचार समय पर मिल सकेगा, बल्कि गंभीर स्थिति में राहत भी मिल सकती है। प्राथमिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना का उद्देश्य ही यही था कि ग्रामीणों को उनके नजदीक ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें, परंतु डॉक्टर की अनुपस्थिति इस उद्देश्य को ध्वस्त कर रही है।

ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मांग की है कि डॉक्टर प्रदीप कुमार को उनके नियुक्त पदस्थ स्थान सिलौंडी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन ओपीडी समय पर उपस्थित रहने के लिए निर्देशित किया जाए।

यदि ऐसा नहीं हुआ, तो ग्रामीण जन आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं।

स्थानीय नागरिकों ने कहा — “सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावे तो करती है, पर जमीनी हकीकत इससे बिलकुल अलग है। सिलौंडी जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करना अब समय की मांग है।”

स्वास्थ्य केंद्र की इस अव्यवस्था ने ग्रामीणों को निराश और चिंतित कर दिया है। उम्मीद है कि जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान करेंगे ताकि क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा का वास्तविक लाभ मिल सके।

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