ग्राम पंचायत पहरुआ में बना शौचालय सरपंच शारदा महोबिया की तानाशाही से वर्षों से बंद।

 ग्राम पंचायत पहरुआ में बना शौचालय सरपंच शारदा महोबिया की तानाशाही से वर्षों से बंद।

ग्रामवासियों को खुले में प्रसाधन के लिए मजबूर किया,सफाई और रंगरोगन के नाम पर उठाया पैसा।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:

कटनी जिले की जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्राम पंचायत पहरुआ में वर्ष 2020 में महिला एवं पुरुषों के लिए शौचालय का निर्माण शासन द्वारा कराया गया था। यह शौचालय ग्रामीणों की सुविधा और स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाई गई योजनाओं को सफल बनाने का एक अहम हिस्सा माना जा रहा था। लेकिन अफसोस, यह शौचालय बनने के बाद कभी भी जनता के उपयोग के लिए खोला ही नहीं गया। ग्रामीणों का आरोप है कि इस सुविधा पर ताला जड़कर सरपंच शारदा महोबिया ने अपनी तानाशाही और मनमानी का परिचय दिया है।

ग्रामीण बताते हैं कि पहरुआ ग्राम में बस स्टॉप पर रोजाना बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष यात्री रुकते हैं। उन्हें प्रसाधन के लिए बार-बार समस्या का सामना करना पड़ता है। महिलाएं खासतौर पर इस परेशानी से ज्यादा प्रभावित होती हैं क्योंकि खुले में शौच जाना उनके लिए असुरक्षा और शर्मिंदगी का कारण बन जाता है। ग्रामीण कहते हैं कि जब शासन ने आम जनता की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च करके यह शौचालय बनवाया, तो सरपंच शारदा महोबिया ने इसे खोलने से क्यों रोका? यही सवाल आज हर ग्रामीण के मन में गूंज रहा है।

ग्रामवासियों ने कई बार सरपंच शारदा महोबिया से ताला खोलने की मांग की। लेकिन उनकी तानाशाही भरी प्रवृत्ति और मनमानी के कारण लोगों की हर बार आवाज दबा दी गई। ग्रामीण कहते हैं कि सरपंच को लगता है मानो शौचालय उनकी निजी संपत्ति हो, जबकि यह जनता के कर के पैसों से बना है। यही नहीं, सरपंच शारदा महोबिया पर आरोप है कि उन्होंने सफाई और रंगरोगन के नाम पर शासन से राशि भी निकाल ली, लेकिन न तो कभी शौचालय की सफाई कराई गई और न ही रंगरोगन हुआ।

ग्रामवासियों ने स्पष्ट कहा है कि यह मामला सिर्फ शौचालय बंद होने का नहीं है, बल्कि यह सरपंच की तानाशाही और प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण है। जब शासन की योजनाओं का लाभ जनता तक न पहुंचे और जिम्मेदार लोग अपनी मनमानी से काम करें तो ग्रामीण मजबूर होकर खुले में प्रसाधन करने पर विवश हो जाते हैं। इससे न केवल स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ रही हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं और यात्रियों की गरिमा भी तार-तार हो रही है।

लोगों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में ग्राम पंचायत पहरुआ की पहचान ही भ्रष्टाचार और तानाशाही के प्रतीक के रूप में होगी। सरपंच शारदा महोबिया द्वारा शौचालय पर ताला जड़कर रखा जाना न केवल शासन की योजनाओं की अवहेलना है, बल्कि ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों का भी हनन है।

ग्रामीणों ने कटनी कलेक्टर से गुहार लगाई है कि तत्काल प्रभाव से सरपंच शारदा महोबिया की जांच कराई जाए, शौचालय का ताला खुलवाकर जनता को इसका उपयोग करने दिया जाए तथा अब तक सफाई और रंगरोगन के नाम पर जो राशि निकाली गई है उसकी वसूली की जाए। साथ ही सरपंच शारदा महोबिया पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि तानाशाही कर जनता के अधिकारों को कुचलने की हिम्मत न कर सके।

ग्रामवासियों का कहना है कि अगर जल्द ही प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो वे आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उनका साफ कहना है कि यह लड़ाई अब सिर्फ एक शौचालय की नहीं, बल्कि तानाशाही के खिलाफ जनता की आवाज की लड़ाई बन चुकी है।

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