ढीमरखेड़ा की नर्सरी में पसरा सन्नाटा:हफ्तों नदारद रहते हैं ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी राममिलन प्रजापति।

 ढीमरखेड़ा की नर्सरी में पसरा सन्नाटा:हफ्तों नदारद रहते हैं ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी राममिलन प्रजापति।

कभी चार दिन तो कभी एक हफ्ते बाद पहुंचते हैं अधिकारी, एक माली के भरोसे चल रही पूरी नर्सरी, पौधों की खरीदी से लेकर देखरेख तक सब ठप, कलेक्टर से जांच और कार्रवाई की मांग तेज।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर MP:

कटनी जिले के ढीमरखेड़ा विकासखंड स्थित ग्रामीण उद्यान विभाग (नर्सरी) में लापरवाही और अनियमितता की स्थिति अब चरम पर पहुंच गई है। विभाग के जिम्मेदार ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी राममिलन प्रजापति लंबे समय से नियमित रूप से अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। स्थानीय किसानों और नागरिकों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं कि सप्ताह में एक दिन या चार दिन में एक बार कार्यालय आना अधिकारी की आदत बन चुकी है।

नर्सरी में पौधों की खरीदी करने आने वाले लोग जब वहां पहुंचते हैं, तो केवल एक माली से जवाब मिलता है कि "साहब बाहर हैं।" इससे न केवल ग्रामीणों को परेशानी होती है, बल्कि विभाग की छवि पर भी गहरा असर पड़ रहा है।

गौरतलब है कि पहले ढीमरखेड़ा की इस नर्सरी में 12 कर्मचारी नियुक्त थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर केवल दो पर आ गई है। एक तो स्वयं विस्तार अधिकारी राममिलन प्रजापति और दूसरे माली शिवदास प्रजापति। इनके अलावा एक श्रमिक दिन में और एक रात में कार्यरत है। इतने कम कर्मचारियों में पूरे नर्सरी परिसर की देखरेख, पौधों की सिंचाई, जुताई, गुड़ाई, कीटनाशक छिड़काव, और पौधों की बिक्री जैसे कार्य लगभग ठप पड़ चुके हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की यह स्थिति काफ़ी समय से चली आ रही है, लेकिन अब हालात बद से बदतर हो चुके हैं। एक माली के भरोसे चल रही पूरी नर्सरी में यदि कोई समस्या आती है, तो उसका कोई हल नहीं निकलता। अधिकारी की अनुपस्थिति में न तो कोई दिशा-निर्देश मिलते हैं और न ही समाधान।

ग्रामीण किसान जो अपनी छोटी ज़मीनों पर बागवानी को बढ़ावा देना चाहते हैं, उन्हें पौधों के लिए भटकना पड़ता है। नर्सरी पहुंचने पर जानकारी देने वाला कोई नहीं होता। कई बार पौधों की गुणवत्ता और उपलब्धता की जानकारी के अभाव में उन्हें मजबूरीवश निजी दुकानों से महंगे दामों में पौधे खरीदने पड़ते हैं।

स्थानीय नागरिकों ने यह भी बताया कि नर्सरी में साफ-सफाई, जल प्रबंधन, कीट नियंत्रण जैसे मूलभूत कार्य भी प्रभावशाली ढंग से नहीं हो पा रहे हैं। कई बार पौधे सूख जाते हैं या कीटों से नष्ट हो जाते हैं, लेकिन देखरेख करने वाला कोई नहीं होता। विभाग के प्रति ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी है।

ग्रामीणों की मांग है कि कलेक्टर कटनी और उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लें और तत्काल प्रभाव से ढीमरखेड़ा नर्सरी में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए। साथ ही, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी राममिलन प्रजापति की जांच कर उनकी अनुपस्थिति पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही का है, बल्कि ग्रामीण विकास की उस सोच पर भी सवाल खड़े करता है जो सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। जब एक विभाग का प्रमुख अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारियों से बचता नजर आए, तो जनता का भरोसा कैसे बना रहेगा?

ग्रामीण खबर MP–

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