पेंगोलीन शिकार मामले में ढीमरखेड़ा न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला:15 आरोपी दोषी,सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा।

 पेंगोलीन शिकार मामले में ढीमरखेड़ा न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला:15 आरोपी दोषी,सश्रम कारावास और जुर्माने की सजा।

कटनी वनमंडल के बहुचर्चित वन्य प्राणी तस्करी प्रकरण में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹3.80 लाख का जुर्माना, अंतर्राज्यीय शिकार गिरोह पर कसा शिकंजा।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:

एक लंबे समय से न्यायिक प्रक्रिया से गुजर रहे बहुचर्चित वन्य प्राणी शिकार प्रकरण में आज न्याय की विजय हुई। दिनांक 25 जुलाई 2025 को न्यायालय प्रथम श्रेणी ढीमरखेड़ा ने वर्ष 2016 में दर्ज एक गंभीर वन्य प्राणी अपराध में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 15 आरोपियों को दोषी करार दिया है। न्यायालय द्वारा सभी आरोपियों को तीन-तीन वर्षों के सश्रम कारावास तथा ₹10,000 से लेकर ₹40,000 तक के अर्थदंड सहित कुल ₹3,80,000 के आर्थिक दंड से दंडित किया गया। यह फैसला वन्य जीव संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।

यह मामला वर्ष 2016 में कटनी वनमंडल के अंतर्गत आने वाले वन परिक्षेत्र ढीमरखेड़ा की सैलारपुर बीट का है, जहां भितरीगढ़ तालाब नहर के समीप सैलारपुर निवासी इंदल सिंह गौड़ के पास से लगभग 3 किलो पेंगोलीन स्केल (शालू के कवच) बरामद किए गए थे। पूछताछ में इंदल सिंह ने कबूल किया कि उसने पेंगोलीन का शिकार कर उसके शरीर को उबालकर स्केल अलग किए थे। यह कृत्य वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 की धाराओं के तहत संगीन अपराध की श्रेणी में आता है।

इंदल सिंह की निशानदेही पर वन विभाग द्वारा गहन जांच की गई, जिसके पश्चात इस अंतर्राज्यीय शिकार गिरोह में संलिप्त अन्य 14 आरोपियों की भी गिरफ्तारी हुई। ये गिरफ्तारियां मध्यप्रदेश के कटनी, टीकमगढ़, पन्ना जिलों तथा उत्तरप्रदेश के झांसी जिले से की गईं। समूचे प्रकरण को लेकर वन विभाग ने कठोरता से कार्रवाई करते हुए, सभी आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय प्रथम श्रेणी ढीमरखेड़ा में परिवाद प्रस्तुत किया।

इस बहुस्तरीय प्रकरण की विधिक पैरवी शासन द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक मंजुला श्रीवास्तव एवं एडीपीओ विनोद पटेल द्वारा की गई। अभियोजन पक्ष ने अदालत में मजबूत सबूत और गवाह प्रस्तुत कर यह साबित किया कि आरोपी न केवल वन्य प्राणी संरक्षण कानून का उल्लंघन कर रहे थे, बल्कि अंतर्राज्यीय स्तर पर संगठित तस्करी गतिविधियों में भी लिप्त थे।

दोषी पाए गए 15 आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:

1 इंदल पिता रामप्रसाद गौड़

2.रामसिंह पिता सूरजबली सिंह

3.संतान पिता तुलसी गौड़

4.सुरेंद्र उर्फ मुंडा पिता रामसिंह गौड़

5.अजीत पिता रेवा सिंह

6.दरियाल सिंह पिता मंगी सिंह

7 राजू पिता जुगराज सिंह

8 जयसिंह पिता मुंशी सिंह

9.प्रताप पिता शीतल गौड़

10.मन्तु पिता अच्छे लाल गौड़

11.राजेंद्र पिता गुलजार सिंह

12.गुमान पिता धूपसिंह

13 मलखान पिता मिलाप सिंह

14 राजेंद्र कुछबंधिया पिता गयादीन कुछबंधिया

15.सौभरन उर्फ बल्लू पिता शीतल कुछबंधिया

न्यायालय ने सभी आरोपियों को दोषी करार देते हुए तत्काल प्रभाव से न्यायिक हिरासत में भेजने के निर्देश दिए।

यह फैसला ना केवल क्षेत्रीय अपराध नियंत्रण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन तमाम शिकारियों और तस्करों के लिए स्पष्ट संदेश है जो प्राकृतिक विरासत को क्षति पहुँचाकर अवैध लाभ कमाना चाहते हैं। पेंगोलीन, जो विश्व के सबसे अधिक तस्करी किए जाने वाले स्तनधारी प्राणियों में से एक है, उसकी सुरक्षा हेतु यह फैसला देशव्यापी चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

वन विभाग और अभियोजन पक्ष की सतत मेहनत, समर्पण और वैधानिक प्रतिबद्धता से यह प्रकरण न्याय की कसौटी पर खरा उतरा। यह निर्णय भविष्य में वन्य प्राणी तस्करों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की आधारशिला के रूप में याद किया जाएगा।

वर्तमान समय में जब जैवविविधता संकट के दौर से गुजर रही है, यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक निर्णायक और प्रेरणास्पद कदम माना जा रहा है।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp

संपर्क सूत्र:9977110734

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