ईमानदार शिक्षक गणेश यादव की पुकार: न्याय की आस में लिखा मुख्यमंत्री को पत्र।

 ईमानदार शिक्षक गणेश यादव की पुकार: न्याय की आस में लिखा मुख्यमंत्री को पत्र।

बिना सूचना निलंबन, फर्जी आरोपों और प्रशासनिक प्रताड़ना के खिलाफ उठाई आवाज, क्षेत्रीय नेताओं पर प्रताड़ित करने का आरोप।

ढीमरखेड़ा,ग्रामीण खबर mp:

जनपद शिक्षा केंद्र ढीमरखेड़ा के अंतर्गत संचालित शासकीय हाईस्कूल गोपालपुर में पदस्थ रहे शिक्षक गणेश यादव बीते सात महीनों से लगातार मानसिक, प्रशासनिक और सामाजिक तौर पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं। एक समर्पित शिक्षक होते हुए भी उन्हें न केवल आपसी रंजिश और भ्रष्ट तंत्र का शिकार बनाया गया, बल्कि फर्जी मामलों में उलझाकर स्थानांतरण एवं निलंबन जैसी सजा भी दे दी गई।

गणेश यादव वर्ष 2019 से शासकीय हाईस्कूल गोपालपुर में गणित विषय के शिक्षक के पद पर पदस्थ थे। उन्होंने गणित जैसे कठिन विषय को सरल और रुचिकर बनाकर छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार लाया। प्राचार्य का अतिरिक्त दायित्व भी उन्होंने निष्ठा से निभाया। उनके कार्यकाल में विद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासनिक स्थिति में प्रभावशाली सुधार देखा गया।

अचानक उत्पन्न हुआ संकट षड्यंत्र की शुरुआत:

दिनांक 10 जनवरी 2025 को पहली बार विद्यालय के कुछ छात्रों के माध्यम से उनके विरुद्ध अनुशासनहीनता की शिकायत दर्ज करवाई गई, जो बाद में छात्रों द्वारा दबाव में की गई स्वीकार की गई और वापस ले ली गई। लेकिन यही आरोप एक बड़े षड्यंत्र की भूमिका बन गया। इसके पश्चात विद्यालय में कार्यरत अतिथि शिक्षिका दुर्गेश राय के माध्यम से एक फर्जी महिला प्रकरण भी दर्ज कराया गया। जांच का जिम्मा उस समय बीईओ प्रभार में अवैध रूप से कार्य कर रहे लखन बागरी के पास था, जिनकी भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध रही। बीईओ संयुक्ता उइके द्वारा बिना विस्तृत जांच के गलत प्रतिवेदन भेजा गया। जब गणेश यादव ने उच्च कार्यालय में निष्पक्ष जांच की मांग की, तब वे दोषमुक्त घोषित किए गए। बावजूद इसके, उन्हें विवाद से दूर रखने के नाम पर प्रशासन ने उन्हें गौरा स्कूल में अटैच कर दिया, जो पूरी तरह असंवैधानिक माना जा रहा है।

मानसिक प्रताड़ना और स्थानांतरण का अत्याचार:

लगभग दो माह तक मानसिक उत्पीड़न के पश्चात, दिनांक 07 जून 2025 को गणेश यादव का स्थानांतरण उनके निवास से 140 किमी दूर कटंगी स्कूल में कर दिया गया। उनकी पारिवारिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। न्याय की आस में उन्होंने जबलपुर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्हें राहत मिली और पुनः शासकीय हाईस्कूल गोपालपुर में कार्य करने का आदेश मिला। उन्होंने 24 जून से 15 जुलाई 2025 तक सेवा भी दी। लेकिन फिर 16 जुलाई को बिना कोई स्पष्टीकरण या नोटिस दिए उन्हें निलंबित कर दिया गया।

झूठे वित्तीय अनियमितता के आरोप एक और षड्यंत्र:

04 मार्च 2025 को उन पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाकर जांच बैठाई गई। इस जांच की पृष्ठभूमि भी राजनीतिक और व्यक्तिगत द्वेष से प्रेरित थी। दस्तावेज उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें “अनुपलब्ध” बताया गया और लगभग 4.50 लाख रुपये की गबन का झूठा आरोप लगाया गया। भवन निर्माण कार्य से संबंधित दस्तावेज़ वे प्रस्तुत करना चाहते थे, परंतु SDM ढीमरखेड़ा विंकी उइके और बीईओ संयुक्ता उइके द्वारा उन्हें दस्तावेज देने से रोक दिया गया। जिन कार्यों पर आरोप लगाया गया उनका मूल्यांकन और भुगतान पहले ही हो चुका था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह आरोप पूरी तरह मनगढ़ंत हैं।

ब्यूरोक्रेसी और राजनीतिक साठगांठ का घातक गठजोड़:

गणेश यादव ने आरोप लगाए हैं कि पूरे घटनाक्रम में लखन बागरी की भूमिका निर्णायक रही है। चाहे वह महिला प्रकरण हो या वित्तीय आरोप, सभी जगह उनके इशारों पर प्रशासनिक कार्रवाई होती दिख रही है। प्रशासन ने निष्पक्षता की भावना खो दी है और राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है। इन घटनाओं ने गणेश यादव के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, और अब उन्हें चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता पड़ रही है।

मुख्यमंत्री से उम्मीद न्याय की अंतिम आस:

शिक्षक गणेश यादव ने मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाई है। उनका मानना है कि यदि ऐसे ईमानदार शिक्षकों को सुरक्षा और न्याय नहीं मिला तो यह पूरे शिक्षा तंत्र के लिए खतरनाक संकेत होगा। डर का माहौल बन जाएगा जिससे शिक्षक स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर पाएंगे। उन्होंने अपने पत्र में निलंबन प्रक्रिया की न्यायिक जांच, महिला प्रकरण और वित्तीय मामले की सीबीआई या ईओडब्ल्यू जैसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच, एवं जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।


प्रधान संपादक:अज्जू सोनी,ग्रामीण खबर mp

संपर्क सूत्र:9977110734

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