सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को लेकर फैल रही अफवाहों पर केंद्र सरकार ने किया विराम, लोकसभा में मंत्री ने दी स्पष्ट और तथ्यात्मक जानकारी।
कर्मचारियों के बीच फैली भ्रांति पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का संसद में जवाब, सरकार के पास नहीं है रिटायरमेंट उम्र बदलने का कोई प्रस्ताव।
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
पिछले कुछ महीनों से देशभर के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों के बीच यह चर्चा बनी हुई थी कि केंद्र सरकार कहीं सेवानिवृत्ति की आयु में परिवर्तन करने जा रही है। सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों, खासकर व्हाट्सऐप ग्रुपों, फेसबुक पोस्टों और यूट्यूब चैनलों के माध्यम से यह दावा तेजी से फैलाया गया कि सरकार रिटायरमेंट की वर्तमान आयु सीमा में बदलाव की योजना बना रही है। इस अफवाह ने विशेष रूप से 55 वर्ष से ऊपर के कर्मचारियों के मन में असुरक्षा और चिंता की भावना को जन्म दिया, जिससे अनेक कर्मचारी मानसिक दबाव और भ्रम की स्थिति में आ गए थे।
इस विषय पर देशभर से प्रतिक्रिया आने लगी और कई कर्मचारी संगठनों ने भी इस पर स्पष्टता की माँग उठाई। स्थिति को गंभीर होते देख, यह मामला आखिरकार संसद के पटल पर पहुँचा। लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय राज्य मंत्री (कार्मिक) डॉ. जितेंद्र सिंह ने अत्यंत स्पष्ट शब्दों में बताया कि सेवानिवृत्ति की आयु में किसी भी प्रकार के संशोधन अथवा बदलाव का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही खबरें पूरी तरह भ्रामक, निराधार और अफवाह पर आधारित हैं।
डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि न तो कार्मिक विभाग ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव तैयार किया है, न ही प्रधानमंत्री कार्यालय या कैबिनेट सचिवालय के समक्ष कोई विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों के हितों को सर्वोपरि मानती है और ऐसे किसी भी फैसले से पहले सभी पक्षों से विचार-विमर्श किया जाता है। इसलिए कर्मचारियों को इस प्रकार की अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
सरकार की इस आधिकारिक पुष्टि के बाद पीआईबी (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) की फैक्ट चेक टीम ने भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही उन खबरों का खंडन करते हुए उन्हें पूरी तरह से फर्जी बताया, जिनमें कहा जा रहा था कि सरकार सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर रही है। फैक्ट चेक में बताया गया कि ऐसा कोई भी आदेश या अधिसूचना भारत सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है।
वर्तमान में भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत अधिकतर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष निर्धारित है। कुछ विशेष सेवाओं जैसे चिकित्सा, अनुसंधान एवं तकनीकी संस्थानों में कार्यरत वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के लिए परिस्थितियों के अनुसार यह सीमा 62 से 65 वर्ष तक हो सकती है, लेकिन वह सामान्य प्रक्रिया से हटकर विशेष प्रावधानों के तहत होती है। इस व्यवस्था में कोई नया परिवर्तन नहीं किया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सेवानिवृत्ति जैसे संवेदनशील विषय पर अफवाहों का इस प्रकार फैलना कर्मचारियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जब कोई कर्मचारी अपने करियर के अंतिम चरण में होता है, तो ऐसे भ्रमपूर्ण संदेश उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं और सेवा के प्रदर्शन पर भी असर डाल सकते हैं। अतः ऐसी झूठी सूचनाओं को न रोका जाए, तो यह एक व्यापक प्रशासनिक अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल ही में यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लेकर कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं, जिसके अंतर्गत कर्मचारियों को पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ पुराने पेंशन योजना (OPS) के अनुरूप दिए जाने की व्यवस्था की जा रही है। इस स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले लाभ में वृद्धि की गई है, और UPS को चुनने की अंतिम तिथि भी 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी गई है। लेकिन यह व्यवस्था केवल पेंशन से संबंधित है, न कि रिटायरमेंट की आयु से।
इस प्रकार लोकसभा में केंद्रीय मंत्री द्वारा दी गई जानकारी और फैक्ट चेक विभाग द्वारा जारी खंडन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर फैलाई जा रही खबरें पूरी तरह से गलत हैं। सरकारी कर्मचारी वर्ग को अब यह समझ लेना चाहिए कि नीतिगत बदलाव की सूचनाएं केवल सरकारी पोर्टलों या अधिकृत माध्यमों से ही मानी जानी चाहिए, न कि सोशल मीडिया की अपुष्ट खबरों पर।
सरकार की इस पारदर्शिता और समय पर दी गई स्पष्टीकरण से लाखों कर्मचारियों को राहत की अनुभूति हुई है, जो पिछले कुछ समय से मानसिक दबाव में जी रहे थे। अब यह आवश्यक है कि अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए मीडिया और कर्मचारी संगठनों की संयुक्त जिम्मेदारी हो, ताकि देश में कार्यरत कर्मचारी वर्ग को सच्ची और तथ्यपरक जानकारी समय पर मिलती रहे।