सिंदूर को मिटाया, वो मौत आज चुनते।
दिगपाल छंद विषय - सिंदूर
कटनी,ग्रामीण खबर mp:
सिंदूर को मिटाया, वो मौत आज चुनते।
आंतक खेल खेलें , जग में शरीफ बनते ।।
बचतें कहाॅं फिरोगे, करके गुनाह सारे।
सेना लड़े हमारी, दुश्मन हजार मारे।।
सिंदूर कर्ज हमने, है आज जो उतारा।
हमने सबक सिखाया, घुस के प्रचंड मारा।।
सेना भिड़े हमारी, सब कैंप को ढहाया।
करके तबाह दुश्मन, रण में कहर मचाया।।
सिंदूर जो मिटाया, धड़ भी नहीं मिलेगा।
आंतक खत्म होगा, साया नहीं बचेगा।।
पानी नहीं मिलेगा, होगा नहीं गुजारा।
रोता रहे जहाॅं में, दुश्मन सदा हमारा।।