सरकारी अस्पताल उमरिया पान में प्रभारी बीएमओ डॉ.बी.के.प्रसाद का अमानवीय रवैया उजागर।
घायल बच्ची का इलाज कराने पहुंचे गरीब दंपति के साथ की अभद्रता, गर्भवती महिला को दी गालियां — महिला ने पुलिस अधीक्षक से लगाई न्याय की गुहार।
उमरिया पान,ग्रामीण खबर MP:
सरकारी अस्पतालों में आमजन को राहत और इलाज की उम्मीद होती है, लेकिन जब वहीं अस्पताल एक गरीब परिवार के लिए अपमान, असंवेदनशीलता और पीड़ा का कारण बन जाए, तो यह न केवल चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है बल्कि मानवता को भी शर्मसार करता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्यप्रदेश के उमरिया पान स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से, जहां के प्रभारी बीएमओ डॉ. बी. के. प्रसाद पर एक गर्भवती महिला और उसके पति के साथ अभद्रता करने, गाली-गलौज करने और इलाज से इनकार करने का गंभीर आरोप लगा है।
ग्राम गढ़वास के निवासी पुष्पराज लोनी की दो वर्षीय बच्ची को 26 मई 2025 को एक गाय के बछड़े ने मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। घायल बच्ची की नाजुक हालत को देखते हुए पुष्पराज अपनी गर्भवती पत्नी पूनम लोनी के साथ तत्काल उमरिया पान के सरकारी अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने नियमानुसार ओपीडी पर्ची बनवाकर इलाज के लिए डॉक्टरों का इंतजार किया। लेकिन यह इंतजार एक घंटे से भी ज्यादा लंबा हो गया।
पुष्पराज लोनी का कहना है कि इस दौरान अस्पताल के डॉक्टर मरीजों की चिंता करने के बजाय आपस में बातें कर रहे थे। बच्ची की हालत बिगड़ रही थी लेकिन किसी ने इलाज शुरू नहीं किया। आखिरकार, मजबूरी में उन्होंने प्रभारी बीएमओ डॉ. बी. के. प्रसाद से निवेदन किया कि उनकी बच्ची का इलाज कर दिया जाए। लेकिन यह निवेदन उस गरीब पिता को भारी पड़ गया।
पुष्पराज के अनुसार, डॉ. बी. के. प्रसाद ने उनके साथ न केवल अशिष्ट व्यवहार किया, बल्कि उन्हें अपमानजनक शब्द कहते हुए अस्पताल से भगा दिया। डॉक्टर ने कथित रूप से कहा, "साले गरीब चले आते हैं मुँह उठाकर अस्पताल, चल भाग जा, अस्पताल तेरे बाप का नहीं है।" इससे भी अधिक दुःखद स्थिति तब उत्पन्न हुई जब इस व्यवहार का विरोध करने पर डॉ. प्रसाद ने गर्भवती पूनम लोनी को भी अश्लील और आपत्तिजनक गालियां दीं।
दंपति इस अपमानजनक व्यवहार से भयभीत और व्यथित होकर बच्ची को पास के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉ. आशीष शुक्ला ने उसका इलाज किया। लेकिन इस घटना से आहत पूनम लोनी ने स्थानीय थाने में डॉ. बी. के. प्रसाद के खिलाफ एक लिखित शिकायत दर्ज कराई। दुर्भाग्यवश, कई दिनों के बीत जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस प्रशासन की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
पूनम लोनी ने थाने की निष्क्रियता से हताश होकर अब पुलिस अधीक्षक कटनी को लिखित में शिकायत सौंपी है और दोषी डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है। पूनम का कहना है कि अगर एक आम नागरिक अस्पताल में इलाज की गुहार लगाने पर अपमान और गालियां सुनने को मजबूर हो जाए, तो यह सिस्टम की विफलता नहीं तो और क्या है?
इस घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में गरीबों के साथ इस तरह का बर्ताव रोजमर्रा की बात बन गई है, लेकिन अब यह सहन से बाहर हो चुका है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या कोई जिम्मेदार अधिकारी ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी तमाम मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?
अब निगाहें जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस पर टिकी हैं कि वे इस संवेदनशील मामले में किस प्रकार की प्रतिक्रिया देते हैं। यह न केवल एक परिवार के आत्मसम्मान और अधिकार का सवाल है, बल्कि पूरे चिकित्सा तंत्र की जवाबदेही का भी मामला बन चुका है।