सिहोरा को जिला घोषित कराने उठी आवाज़ें तेज़, जनआंदोलन के दबाव में नेता देने लगे समर्थन।
पूर्व विधायक के आवास पर आंदोलन समिति का प्रदर्शन, नगरपालिका अध्यक्ष ने सौंपा सिहोरा जिला प्रस्ताव।
सिहोरा,ग्रामीण खबर MP:
सिहोरा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर वर्षों से चल रहा जनआंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति के बैनर तले गुरुवार को बड़ी संख्या में समिति के सदस्य पूर्व विधायक दिलीप दुबे के निवास पर पहुंचे। हाथों में शंख, थाली और घंटा लेकर पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने "दिलीप भैया हमें बताओ, उमा भारती कौन है?" जैसे नारों से माहौल को आंदोलित कर दिया।
प्रदर्शन के दौरान समिति के सदस्यों ने पूर्व विधायक को याद दिलाया कि उनके कार्यकाल में ही 6 जून 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने सिहोरा को जिला बनाए जाने की घोषणा की थी। समिति के अनुसार, इस घोषणा को आज 22 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अब तक सिहोरा को जिला घोषित नहीं किया गया, जिससे जनता में आक्रोश है।
पूर्व विधायक दिलीप दुबे ने समिति के सदस्यों को आश्वासन देते हुए कहा कि "घोषणा मेरे विधायक रहते हुए जरूर हुई थी, लेकिन अब इसे आगे बढ़ाने का जिम्मा वर्तमान विधायक संतोष बरकड़े का है। मैं व्यक्तिगत रूप से इस मांग के पक्ष में हूं और पूरी ईमानदारी से वर्तमान विधायक का समर्थन करूंगा। यदि वे सरकार के समक्ष यह मुद्दा मजबूती से उठाते हैं, तो मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा।" उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते, परंतु जनभावनाओं को समझते हैं और हर स्तर पर समर्थन देने को तैयार हैं।
इस प्रदर्शन के दौरान एक और अहम पहलु सामने आया। नगर पालिका अध्यक्ष संध्या दिलीप दुबे ने आंदोलन समिति को सिहोरा जिला बनाए जाने को लेकर नगर पालिका परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव की प्रमाणिक प्रति सौंपी। उन्होंने जानकारी दी कि प्रस्ताव नगर पालिका की कार्य समिति में सर्वसम्मति से पारित हुआ है और उसे राज्य सरकार व मुख्यमंत्री को प्रेषित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह मांग केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सिहोरा की सामाजिक, भौगोलिक व आर्थिक आवश्यकता है।
पूर्व विधायक और नगरपालिका अध्यक्ष के निवास पर हुए इस प्रदर्शन में समिति के प्रमुख सदस्य अनिल जैन, अन्नू गर्ग, प्रदीप दुबे, गौरी राजे, वीरू दुबे, आशीष भार्गव, जितेंद्र श्रीवास, नीतेश खरया, विकास दुबे, सुशील जैन, कृष्ण कुमार कुररिया, शरद सेठ, निसार अहमद, नत्थू पटेल, रामजी शुक्ला, राकेश मिश्रा, राजेश दुबे, संतोष पांडे, नरेंद्र गर्ग, रवि दुबे, अशोक कोल सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
समिति का कहना है कि यदि सरकार शीघ्र ही सिहोरा को जिला घोषित नहीं करती, तो आंदोलन को और अधिक व्यापक रूप दिया जाएगा। सिहोरा की जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति, प्रशासनिक आवश्यकता एवं जनभावनाओं को देखते हुए अब सरकार को ठोस निर्णय लेना ही होगा।
जनता की उम्मीदें और संघर्ष अब निर्णायक दौर में पहुंच चुके हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन तक संदेश स्पष्ट है—सिहोरा अब जिला बने, यह सिर्फ मांग नहीं, बल्कि जनभावना बन चुकी है।