ग्राम गोसलपुर में निर्यापक मुनि पुंगव श्री सुधासागर महाराज का दिव्य मंगल प्रवेश और भव्य स्वागत समारोह।
रंगोली, पाद प्रक्षालन और श्रद्धा से लबालब जनसैलाब ने किया स्वागत, सम्मेदगिरी परिसर में धर्मसभा और जिज्ञासा समाधान का आयोजन।
खितौला-सिहोरा:
आज ग्राम गोसलपुर की पावन धरा पर निर्यापक श्रवण मुनि पुंगव श्री सुधासागर महाराज ससंघ का अत्यंत भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण मंगल प्रवेश हुआ। यह ऐतिहासिक अवसर केवल गोसलपुर के लिए नहीं, बल्कि आसपास के समस्त क्षेत्रों सिहोरा, खितौला, जबलपुर एवं पनागर के श्रद्धालुओं के लिए भी एक दिव्य अनुभूति से कम नहीं था।
समारोह में हजारों श्रद्धालुओं ने पारंपरिक परिधानों में सहभागिता कर जनमानस में उत्सव का अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत किया। गांव की गलियों में सुंदर रंगोलियों से पथ सजाया गया और विभिन्न स्थानों पर भक्तों द्वारा पाद प्रक्षालन कर मुनि श्री व उनके संघ का अभिनंदन किया गया।
प्रातः 5:30 बजे खितौला से मंगल विहार प्रारंभ हुआ जो गोसलपुर होते हुए पवित्र अतिशय क्षेत्र सम्मेदगिरी पहुंचा। वहां श्रद्धालुओं के मध्य एक प्रेरणास्पद धर्मसभा का आयोजन हुआ, जिसमें मुनि श्री ने उपस्थित जनसमुदाय को आत्मिक विकास, सामाजिक समर्पण एवं आध्यात्मिक चेतना से जुड़ने का संदेश दिया।
अपने उद्बोधन में मुनि श्री ने कहा—“समर्पण का भाव यहां के समाज में सदा से रहा है। दीपक जलाना सरल है, किंतु उसे अखंड ज्योति बनाए रखना तप है। यही अखंडता अब इस समाज की पहचान बननी चाहिए।” उन्होंने समाजजनों को आह्वान किया कि जागृत हुए भावों को केवल भावना तक सीमित न रखें, बल्कि उसे दृढ़ संकल्प में परिवर्तित कर शीघ्र क्रियान्वयन प्रारंभ करें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका आगमन भगवान के लिए नहीं, भक्तों के कल्याण हेतु है और वे सदा इस कार्य में समर्पित रहते हैं। धर्मसभा के दौरान जबलपुर जैन समाज सहित अनेक समितियों द्वारा मुनि श्री को श्रीफल अर्पित कर सम्मानित किया गया। साथ ही जबलपुर आगमन के लिए विनम्र निमंत्रण भी प्रस्तुत किया गया।
मुनि श्री के पावन चरणों में पाद प्रक्षालन का सौभाग्य अनिल जैन, अमित जैन, आकाश जैन, मोनू जैन एवं अमित मेडिकल परिवार को प्राप्त हुआ।
मुनि श्री की आहारचर्या गोसलपुर जैन समाज के अध्यक्ष संजय जैन के यहां अत्यंत श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न हुई।
सांय 6:00 बजे सम्मेदगिरी परिसर में “जिज्ञासा समाधान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुनि श्री ने श्रद्धालुओं की विविध जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए उन्हें आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने हेतु प्रेरित किया।
यह समग्र आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहा, बल्कि समाज में एक नवीन चेतना, एकता और सेवा के भाव को भी जागृत कर गया।