विजयराघवगढ़ के जनप्रतिनिधि संजय सत्येंद्र पाठक ने स्वास्थ्य, संस्कृति, श्रमिक न्याय और सेवा भावना से जनता के विश्वास को मजबूत किया।
स्वीकृत स्वास्थ्य केंद्र, एंबुलेंस सेवा, धार्मिक तीर्थ विकास और श्रमिकों के लिए न्यायालय की मांग जैसी पहलों से क्षेत्रीय विकास को मिली नई दिशा।
विजयराघवगढ़,ग्रामीण खबर mp:
विकास, सेवा, संवेदना और संस्कृति – इन चार स्तंभों पर अपने राजनीतिक जीवन को समर्पित करने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा के वरिष्ठ विधायक संजय सत्येंद्र पाठक का योगदान केवल जनप्रतिनिधित्व तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र की वास्तविक ज़रूरतों को समझते हुए समाधानात्मक राजनीति का आदर्श प्रस्तुत किया है।
विधायक श्री पाठक के अथक प्रयासों से विजयराघवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सात प्राथमिक और उप-स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की दिशा में निर्णायक कदम उठाए गए हैं। जिन गांवों में ये केंद्र स्वीकृत किए गए हैं, उनमें बिचपुरा, खिरहनी, निपानिया, बम्होरी, परसवारा, रजरवारा और गुनौर प्रमुख हैं। इन केंद्रों के निर्माण के लिए कुल ₹5.49 करोड़ की स्वीकृति मिलना ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे स्थानीय लोगों को चिकित्सा सुविधा के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा और प्राथमिक इलाज अब गांव की सीमा में ही उपलब्ध होगा।
कोरोना संकट के दौरान जब स्वास्थ्य सेवाएं चरम दबाव में थीं, उस समय विधायक श्री पाठक ने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संसाधनों से दो आधुनिक एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराई। ये एंबुलेंस विजयराघवगढ़-बरही क्षेत्र की जनता के लिए समर्पित की गईं, जिनमें जीवन रक्षक उपकरण, ऑक्सीजन सिलेंडर और त्वरित चिकित्सा सहायता जैसी सुविधाएं थीं। यह एक संवेदनशील और सेवा भावनापूर्ण निर्णय था, जो सैकड़ों जरूरतमंदों के जीवन की रक्षा का माध्यम बना।
सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि श्रमिकों की समस्याओं को भी विधायक श्री पाठक ने गंभीरता से सुना और उठाया। कटनी जिले के हजारों मजदूरों को श्रम न्यायालय के अभाव में जबलपुर की लंबी यात्रा करनी पड़ती थी। इस स्थिति को बदलने के लिए संजय सत्येंद्र पाठक ने विधानसभा में आवाज उठाई और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर श्रम न्यायालय की स्थापना की मांग की। यदि यह मांग पूर्ण होती है तो यह न केवल श्रमिकों के समय और पैसे की बचत करेगा, बल्कि उन्हें स्थानीय स्तर पर न्याय भी सुनिश्चित करेगा।
धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। रामराजा पर्वत पर हरिहर तीर्थ निर्माण की पहल विधायक श्री पाठक के द्वारा की गई, जिसका भूमि पूजन स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं संत समाज की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। यह स्थल न केवल आध्यात्मिक महत्व का केंद्र बनेगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जिससे स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था में भी गति आएगी।
विधायक श्री पाठक ने आदिवासी समाज के साथ गहरे भावनात्मक संबंध स्थापित करते हुए उनके पारंपरिक आयोजनों में भागीदारी की है। हाल ही में उन्होंने एक जनजातीय सांस्कृतिक आयोजन में स्वयं नृत्य कर समाज से गहन जुड़ाव दिखाया और बिरसा मुंडा जी की प्रतिमा एवं मंदिर निर्माण हेतु ₹5 लाख की निधि भी प्रदान की। इससे आदिवासी समाज में आत्मगौरव की भावना और विश्वास का संचार हुआ।
वित्तीय पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही की दिशा में विधायक श्री पाठक की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही है। उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा की लोक लेखा समिति का निर्विरोध सदस्य चुना गया, जो राज्य के वित्तीय खर्चों की निगरानी और जांच का कार्य करती है। यह जिम्मेदारी उन्हें न केवल अनुभव के आधार पर मिली, बल्कि यह उनके सार्वजनिक जीवन की ईमानदारी और उत्तरदायित्व के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।
राजनीति में जहां कई बार दिखावटी घोषणाएं सुनने को मिलती हैं, वहीं विधायक संजय सत्येंद्र पाठक ने निरंतर जमीनी कार्यों से जनता का विश्वास अर्जित किया है। उनकी कार्यशैली में सरलता, संवादशीलता और सेवा की भावना साफ झलकती है। जन समस्याओं को प्राथमिकता देना, विभागों को त्वरित निराकरण के निर्देश देना, और स्वयं जनसंपर्क में रहना – यह उनके नेतृत्व की विशिष्टता है।
आज जब जनता के बीच नेतृत्व पर विश्वास की आवश्यकता सबसे अधिक है, ऐसे समय में संजय सत्येंद्र पाठक जैसे जनप्रतिनिधि यह सिद्ध कर रहे हैं कि यदि नीयत सेवा की हो, तो संसाधनों और पदों का सदुपयोग समाज हित में किया जा सकता है।