सिवनी जिले में कृषि उद्यमी प्रशिक्षण की परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने ग्रामीण आजीविका मिशन की अनूठी पहल।
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में दो बैचों में दिया गया 13 दिवसीय प्रशिक्षण, कृषि व बैंकिंग क्षेत्र की हुई लिखित व मौखिक परीक्षा।
सिवनी,ग्रामीण खबर mp।
महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाकर स्वरोजगार की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश शासन के ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा सिवनी जिले में एक सराहनीय प्रयास किया गया है। इस कड़ी में जिले के विभिन्न विकासखंडों की स्वसहायता समूह की महिलाओं को दो बैचों में कृषि उद्यमी का 13 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। यह प्रशिक्षण सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा संचालित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI) में संपन्न हुआ, जिसका संचालन संस्थान के प्रबंधक कुलदीप सिंह के मार्गदर्शन में किया गया।
प्रशिक्षण का उद्देश्य था महिलाओं को कृषि आधारित उद्यमों की समझ देना, ताकि वे स्वयं का कृषि व्यवसाय प्रारंभ कर सकें और परिवार एवं समाज में आर्थिक रूप से सशक्त भूमिका निभा सकें। इस प्रशिक्षण में महिलाओं को व्यापक विषयवस्तु पर जानकारी दी गई, जिसमें कृषि की तकनीकी और व्यावसायिक जानकारी के साथ-साथ बैंकिंग और वित्तीय विषयों को भी सम्मिलित किया गया।
प्रशिक्षण समाप्ति के उपरांत कृषि उद्यमी परीक्षा का आयोजन किया गया, जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के भोपाल मुख्यालय से नियुक्त परीक्षा नियंत्रक ओम प्रकाश चतुर्वेदी के निर्देशन में संपन्न किया गया। परीक्षा के मूल्यांकन हेतु कृषि से संबंधित लिखित एवं मौखिक परीक्षा रामसुख दुबे, कटनी द्वारा ली गई, वहीं बैंकिंग विषयक मूल्यांकन गौरव डेहरिया, छिंदवाड़ा द्वारा किया गया।
प्रशिक्षण में जलवायु, भूमि के प्रकार, पोषक तत्व, मिट्टी परीक्षण की प्रक्रिया, जैविक खाद एवं कीटनाशकों का निर्माण एवं उपयोग, कीट और रोग नियंत्रण, खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, सब्जी फसलें, सिंचाई प्रणाली जैसे स्प्रिंकलर एवं टपक सिंचाई, शुष्क भूमि कृषि तकनीकी, लघु एवं सीमांत कृषकों के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली, औषधीय, सुगंधित एवं पुष्प पौधों की खेती, पशुपालन के साथ-साथ पौध प्रसार तकनीकों जैसे ग्राफ्टिंग, बडिंग, लेयरिंग और नर्सरी प्रबंधन की गहन जानकारी दी गई।
इसके अतिरिक्त, जैविक खेती की आवश्यकता एवं उसके लाभों पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें भूमि, मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों की जानकारी भी सम्मिलित थी। प्रशिक्षणार्थियों को जैविक कीटनाशकों जैसे गोमूत्र, नीम पत्ती, पाँच पत्ती का काढ़ा, नीमच, ब्रह्मास्त्र और आग्नेयास्त्र आदि के निर्माण की विधियां एवं उनके व्यावहारिक उपयोग के बारे में भी विस्तार से बताया गया।
प्रशिक्षण के अंत में सभी प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया गया, जिसमें उनके व्यवहारिक ज्ञान के साथ-साथ उनके स्वरोजगार स्थापित करने की योजना की समझ का भी परीक्षण किया गया। यह मूल्यांकन रामसुख दुबे एवं गौरव डेहरिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षण समन्वयक पवन सिनोदिया एवं रूपा शर्मा ने सतत रूप से महिलाओं का मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान किया, जिससे प्रशिक्षण सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह पहल ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। महिलाएं अब न केवल पारंपरिक खेती को समझेंगी, बल्कि वैज्ञानिक एवं उद्यमशीलता आधारित कृषि प्रणाली को अपनाकर अपने एवं अपने परिवार के जीवनस्तर को उन्नत करेंगी। ग्रामीण आजीविका मिशन एवं RSETI द्वारा किया गया यह प्रयास निश्चित ही आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक मजबूत कड़ी साबित होगा।